'दास की प्रार्थना स्वीकार करें', सुखबीर बादल ने तीसरी बार लिखा जत्थेदार को पत्र, जल्द निर्णय लेने की लगाई गुहार
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को लिखे तीसरे पत्र में सुखबीर बादल ने अपने तनखैया होने के मामले में जल्द निर्णय लेने की गुहार लगाई है। सुखबीर ने सिखों की सर्वोच्च धार्मिक अदालत द्वारा उन्हें तनखैया घोषित किए जाने के बाद शिअद प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था। अब वह श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर अपनी तनखाह लगवाना चाहते हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर। तनखैया घोषित सुखबीर बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को तीसरी बार लिखे पत्र में मामले में जल्द कोई निर्णय लेने की गुहार लगाई है। 18 नवंबर को जत्थेदार रघबीर सिंह को भेजे पत्र में तनखैया घोषित सुखबीर ने तख्तों के सिंह साहिबान के समक्ष सत्कार व नम्रता सहित पेश होने की अपील दोहराई है।
सुखबीर ने लिखा है कि सिखों की सर्वोच्च धार्मिक अदालत द्वारा उन्हें तनखैया करार दिया गया है। इसी के चलते दास (सुखबीर) की तरफ से शिअद प्रधान पद से भी इस्तीफा दे दिया गया है। अब दास नम्रता व सत्कार के साथ श्री अकालतख्त साहिब पर पेश होना चाहता है। दास की जल्द पेश होने की प्रार्थना को कृपया स्वीकार किया जाए।
अभी तक नहीं लिया जा सका कोई निर्णय
गौर हो कि सुखबीर ने 18 नवंबर को ही शिअद प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था जो अब तक स्वीकार नहीं हुआ है। गौरतलब है कि इससे पहले 13 नवंबर व 31 अगस्त 2024 को भी सुखबीर खुद श्री अकालतख्त साहिब पर पेश हुए थे और उन्होंने ऐसी ही अपील जत्थेदार रघबीर सिंह से की थी लेकिन अब तक इस संदर्भ में सिंह साहिबान की तरफ से कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।जत्थेदार ने बैठक की घोषण नहीं की
जत्थेदार की तरफ से इस मसले पर विचार विमर्श के लिए सिख विद्वानों की बैठक भी बुलाई जा चुकी है। तख्तों के सिंह साहिबान बैठक में सिख विद्वानों की राय हासिल कर चुके हैं। उनके द्वारा निकट भविष्य में विभिन्न सिख पंथक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक कर सलाह करने का संकेत दिया जा चुका है। फिलहाल जत्थेदार रघबीर सिंह ने संस्थाओं के साथ बैठक करने को लेकर तिथि की घोषण नहीं की गई है।
बता दें कि पूर्व अकाली सरकार के दौरान हुई गलतियों के लिए 30 अगस्त को सुखबीर बादल के तनखैया घोषित करते हुए श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर लिखित तौर से माफी मांगने का आदेश जारी किया था। आदेश में यह भी कहा था कि सुखबीर जब तक श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर अपनी तनखाह (धार्मिक दंड) नहीं लगवा लेते हैं तब तक वह तनखैया ही रहेंगे।
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