Raksha Bandhan 2023: रक्षा बंधन पर छाया भद्रा का साया, जानिए किस मुहूर्त में बांध सकेंगे भाई की कलाई पर राखी
Raksha Bandhan 2023 इस बार रक्षा बंधन का त्योहार 30 अगस्त व 31 अगस्त को मनाया जाए इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। रक्षा बंधन पर भद्रा का साया बना हुआ है। इस समय पर भाई की कलाई पर राखी बांधने से बचें। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि से लेकर रात्रि 8.57 तक भद्रा काल रहेगा जो रक्षा बंधन के लिए सर्वत्र वर्जित है।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Sun, 27 Aug 2023 11:57 AM (IST)
बरनाला, जागरण संवाददाता। Raksha Bandhan 2023: इस बार भी रक्षा बंधन का त्योहार पिछले कुछ वर्ष की भांति दो दिन मनाया जाएगा। भाईयों को राखी बंधवाने और बहनों को राखी बांधने के लिए लंबी अवधि का इंतजार करना पड़ेगा। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त भी 2 घंटे 3 मिनट का रहेगा, क्योंकि रक्षा बंधन के दिन सुबह से ही भद्रा लग रहा है। इसलिए इस बार रक्षा बंधन का त्योहार 30 अगस्त व 31 अगस्त को मनाया जाए, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
30 अगस्त को सुबह 10.13 से पूर्णिमा तिथि लग रही है, जो 31 अगस्त की सुबह 7.46 तक रहेगी। पौराणिक नियम के अनुसार इस अवधि में रक्षा बंधन का त्योहार मनाते है, लेकिन जैसे ही 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि चढ़ रही है, वैसे ही भद्रा सुबह 10.13 से लग रहा है, जो रात को 8.57 तक रहेगा, इसलिए 30 अगस्त को सुबह से लेकर रात्रि 8.57 तक बहनें भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांध सकेगी।
भागवत भास्कर डॉक्टर सूर्य कांत शास्त्री के अनुसार मुहूर्त
भागवत भास्कर डॉक्टर सूर्य कांत शास्त्री ने बताया कि इस बार रक्षा बंधन की पूर्णिमा तिथि के दिन भद्रा काल लगने की वजह से मुहूर्त को लेकर लोगों में काफी संशय की स्थिति है कि राखी का त्योहार किस दिन मनाया जाए। उन्होंने बताया कि 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि से लेकर रात्रि 8.57 तक भद्रा काल रहेगा, जो रक्षा बंधन के लिए सर्वत्र वर्जित है, इसलिए रक्षा बंधन मुहूर्त के हिसाब से ही करें।तीन मुहूर्त
प्रथम सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 31 अगस्त की सुबह 5.43 से लेकर सुबह 7.46 तक रहेगा। द्वितीय सर्वश्रेष्ठ 30 अगस्त को रात्रि 8.57 से लेकर मध्य रात्रि 12 बजे तक रहेगा। तृतीय सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 31 अगस्त की सुबह 7.46 से लेकर साम 6.17 तक रहेगा। इन तीन सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में बहनें अपनी सुविधा अनुसार भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। मुहूर्त के अनुसार 31 अगस्त को दिन भर रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जा सकता है। इसमें किसी प्रकार का अनिष्ट व संदेह की स्थिति नहीं है।
इस काल में नहीं होता रक्षाबंधन
मंदिर बाबा गीटी वाला बरनाला के मुख्य पुजारी पंडित सुरेश दीक्षित शास्त्री ने बताया कि भद्रा काल में राखी नहीं बांधने के कारण के पीछे पौराणिक कथा है। इसके अनुसार लंका के राजा रावण की बहन ने अनजाने में भद्रा काल के समय ही राखी बांधी थी। इसी दिन राम द्वारा रावण का वध हुआ था, इसलिए भद्रा काल को रक्षा बंधन के कार्य में अनिष्ट कारक मानते हैं और इस काल में रक्षा बंधन नहीं होता है।रक्षा बंधन त्योहार मनाने के पीछे यह पौराणिक कथा
पंडित अमन शर्मा जलेबी बाबा ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार असुरों के राजा बलि ने सैकड़ों यज्ञ करने के बाद शक्तिशाली होकर देवराज इंद्र के इंद्रासन पर हमला बोल दिया। इससे देवराज इंद्र की पत्नी घबरा गई और रक्षा के लिए भगवान विष्णु के पास गई भगवान विष्णु रक्षा का वचन देकर वामन अवतार में राजा बलि के पास जाते हैं यहां वे राजा बलि से तीन पग जमीन मांगते हैं, दो पण जमीन देने के बाद तीसरा पग राजा बलि अपने सिर पर रखवाते हैं।
इस दौरान राजा बलि को ज्ञान हो जाता है कि यह सामान्य पुरुष नहीं बल्कि भगवान नारायण है। तब भगवान बोलते हैं हम तुम पर प्रसन्न हैं, जो मांगना चाहते हो, मांगो। तब राजा बलि भगवान से कहते हैं, आप हमारे दरबार के पहरेदार बनिए, भगवान तथास्तु कह करके दरबार में पहरेदार बन जाते हैं।इधर बहुत दिन होने के बाद भी भगवान विष्णु वापस नहीं लौटते हैं तो उनकी पत्नी लक्ष्मी व्याकुल हो जाती है और राजा बलि के पास पहुंचती हैं। यहां राजा बलि को भाई बनाकर रक्षा सूत्र बांधती हैं और बदले में अपने पति भगवान विष्णु को मांगकर वापस लेकर जाती हैं, जिस दिन यह हुआ, उसी दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी, तब से लेकर आज तक रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है।
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