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कैंसर मरीजों की विग के लिए बाल दान कर ला रहे मुस्कान, Bathinda AIIMS के 50 कर्मियों ने शुरू की अनोखी मुहिम

एक महिला ने कैंसर से जंग जीत ली लेकिन बाल झड़ने से हीनभावना का शिकार होकर आत्महत्या का प्रयास किया। इस बात ने बठिंडा एम्स के स्टाफ को झकझोर दिया। फिर उन्होंने शुरू की अनोखी मुहिम। विग के लिए अपने बाल दान करने की।

By Nitin SinglaEdited By: Pankaj DwivediUpdated: Tue, 29 Nov 2022 07:43 PM (IST)
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बठिंडा एम्स में बाल कटवाते हुए अस्पताल स्टाफ के लोग। जागरण
जासं, बठिंडा। कैंसर की बीमारी का उपचार करवाने के दौरान एक महिला के सभी बाल झड़ गए। महिला ने कैंसर से लड़ते हुए इस पर जीत हासिल की, लेकिन सिर पर बाल न होने के कारण वह हीनभावना की शिकार हो गई और आत्महत्या का प्रयास किया। हालांकि, उसे बचा लिया गया। बठिंडा एम्स में मेडिकल स्टाफ के दिमाग में यह बात घर कर गई कि कैंसर के मरीजों का सिर्फ उपचार ही काफी नहीं है, मानसिक रूप से मजबूत करना भी जरूरी है।

उन्हें इस हीनभावना से बाहर निकालने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है। कर्मचारियों ने तय किया कि वह कैंसर पीड़ित लोगों के उपचार के बाद उनकी आगे की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए काम करेंगे। उनके चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए बठिंडा एम्स के करीब 50 कर्मचारियों यह पहल शुरू की।

यहां के डाक्टरों, नर्सों, मेडिकल छात्राओं व प्रशिक्षुओं ने अपने बाल कटवाकर विग बनाने के लिए दान किए। इनका इस्तेमाल कैंसर पीड़ितों के लिए विग बनवाने किया जा रहा है। यह विग मरीजों को निश्शुल्क वितरित की जा रही हैं।

अपने बाल दान करने वाले बठिंडा एम्स के कर्मचारी।

एम्स के रेडिएशन ओन्कोलाजी विभाग की हेड डा. सपना भट्टी ने बताया कि कीमोथेरेपी के बाद सिर के सारे बाल झड़ना आम बात है, लेकिन बहुत से मरीज इससे परेशान हो जाते हैं, खासकर महिलाएं। एक महिला के आत्महत्या के प्रयास ने हमें सोचने पर मजबूत कर दिया। इसके बाद हमने बाल दान कर मरीजों के लिए विग बनवाने का फैसला लिया।

बाल दान कार्यक्रम का आयोजन बठिंडा एम्स के रेडिएशन ओन्कोलाजी विभाग एवं ज्वाइन टुगेदर संस्था ने किया। यह संस्था गरीब बच्चों को मुफ्त पढ़ाने का काम करती है। इस कैंप में बठिंडा के हेयर स्टाइलिस्ट हेड मास्टर ने बाल काटे व स्टाइलिंग की।

कीमोथेरेपी से क्यों झड़ते हैं बाल

डा. सपना भट्टी के अनुसार बालों का बढ़ना त्वचा की सतह के नीचे से होता है। सक्रिय वृद्धि से लेकर झड़ने तक प्रत्येक बाल, एक चक्र के विभिन्न चरणों से होकर गुजरता है। कीमोथेरेपी बालों की वृद्धि को नियंत्रित करने वाली और रोमकूप या बाल कूप, जहां से बाल निकलता है, उसका भरण-पोषण करने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके कारण बाल झड़ सकते हैं और यह नए बाल को उगने से रोग सकता है।

बठिंडा एम्स के डायरेक्टर डा. डीके सिंह एक कैंसर मरीज को बालों से तैयार विग देते हुए।

दिल्ली की कंपनी बना रही विग

दिल्ली में विग बनाने वाली संस्था वेरोनिका इन बालों से विग बना रही है। ज्वाइन टुगेदर संस्था के आशीष कुमार के अनुसार कैंसर के इलाज के दौरान बाल झड़ जाने के बाद मरीजों के नए बाल उगने में 2-3 महीने का समय लग सकता है। बाल की संरचना, विशेषकर पहली बार में पहले से अलग हो सकती है। कुछ रोगियों में कीमो कर्ल्स भी हो सकते हैं, जिसमें बाल पहले से अधिक घुंघराले उगते हैं।

ऐसे में महिलाएं बिना बालों के काफी असहज महसूस करती हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रयास कैंसर मरीजों के लिए एक नई उम्मीद और उनकी खोई हुई मुस्कान और पहचान वापस लाने में बेहद कारगर होगा। कैंसर का इलाज बहुत महंगा है। संस्था का यह प्रयास ऐसे मरीजों के तनाव को कुछ कम करेगा।

अब तक 50 से अधिक मरीजों को दी गई विग

आशीष कुमार मानते हैं कि कई बार मरीजों को बाल न होने के कारण कई बार तिरस्कार झेलना पड़ता है। महिलाएं अपने बालों का हमेशा खास ख्याल रखती हैं। इसलिए बात गिरने का प्रभाव सबसे ज्यादा उनमें होता है। महंगे इलाज के बाद महंगी विग खरीदना सबके बस में नहीं होता। पुरुष मरीज तो टोपी लगाकर इसका सस्ता विकल्प निकाल लेते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए मुश्किल बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि बठिंडा एम्स के कर्मचारियों की मदद से हम अब तक 50 से अधिक मरीजों को विग उपलब्ध करवा चुके हैं।

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