मां खुद नहीं पढ़ीं, पर बेटों को बनाया आइएएस और आइपीएस
धरती पर भगवान के रूप में मौजूद मां भले ही कम पढ़ी लिखी हो या अनपढ़ हो लेकिन वह अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर काबिल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। बच्चों की खुशी में ही वह अपनी खुशी ढूंढ़ती हैं।
By Edited By: Updated: Sun, 08 May 2022 01:21 AM (IST)
जागरण संवाददाता ब¨ठडा: धरती पर भगवान के रूप में मौजूद मां भले ही कम पढ़ी लिखी हो या अनपढ़ हो, लेकिन वह अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर काबिल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। बच्चों की खुशी में ही वह अपनी खुशी ढूंढ़ती हैं। उनका यही सपना होता है कि उनका बेटा या बेटी जीवन में सफलता की सीढि़यां चढ़े। उसके लिए भले ही उसे कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। हम बात कर रहे हैं ब¨ठडा जिले के डीसी शौकत अहमद परे व एसएसपी जे एलनचेजियन की, जिनकी माताएं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने बेटों को आइएएस व आइपीएस बनाया। आज जो कुछ भी हूं, मां की बदौलत हूं: डीसी वैसे तो हर दिन ही मां का दिन होता है, लेकिन आज विशेष तौर पर मातृ दिवस मनाया जा रहा है। आज मैं जो कुछ भी हूं अपनी मां राजा बेगम के कारण ही हूं। भले ही वह खुद पढ़ी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने मुझे पढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। उनकी देन मैं ताउम्र नहीं दे सकता। जन्नत मां के कदमों के नीचे है और जन्नत जाने का रास्ता भी वहीं से है। मुझे याद है कि मैं जब भी कभी स्कूल न जाने का मूड बनाता तो मां खुद उंगली पकड़ कर स्कूल छोड़ कर आतीं। उसी का ही नतीजा है कि आज मैं इस मुकाम पर पहुंच पाया हूं। - शौकत अहमद परे, डीसी, ब¨ठडा मां ने मेरी पढ़ाई के साथ कभी समझौता नहीं किया: एसएसपी मेरी मां सेल्वी के दूरदर्शी नजरिए के कारण ही मैं आइपीएस बन पाया हूं। वह खुद नहीं पढ़ पाई, लेकिन उन्होंने हमेशा मुझे पढ़ने के लिए उत्साहित किया और पढ़ाई की अहमियत बताई। मुझे प्यार बहुत करती थीं, लेकिन पढ़ाई के साथ कभी समझौता नहीं करती थी। मैं आज जो भी हूं मेरी मां की तपस्या के सदका ही हूं। अब वह चेन्नई में हैं, लेकिन मुझे जब भी समय मिलता है मैं उनसे मिलने के लिए जाता हूं। - जे एलनचेजियन, एसएसपी, ब¨ठडा मां का योगदान अतुलनीय और निस्वार्थ: एसडीएम अपने बच्चों के जीवन में मां का योगदान अतुलनीय और निस्वार्थ है। मेरी मां ने हमेशा हमारे हित को बाकी सब चीजों से ऊपर रखा है। उन्हीं की बदौलत आज मैं जीवन में यह मुकाम हासिल कर सकी हूं। उनकी शिक्षाएं मेरे जीवन में हमेशा मार्गदर्शन करती रहेंगी। मां का कोई तोल नहीं कोई मोल नहीं। मातृ दिवस की सभी को शुभकामनाएं। - इनायत गुप्ता, एसडीएम, ब¨ठडा
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