चार एमएम वर्षा में ही तालाब बनीं शहर की सड़कें, हर जगह पानी-पानी
जिले में शुक्रवार सुबह से रुक-रुक कर हो रही वर्षा से जहां मौसम सुहाना हो गया।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 06 Aug 2022 02:08 AM (IST)
जागरण संवाददाता, बठिडा: जिले में शुक्रवार सुबह से रुक-रुक कर हो रही वर्षा से जहां मौसम सुहाना हो गया। वहीं शहर के निचले इलाकों में वर्षा का पानी भर गया। वर्षा से किसान तो खुश नजर आए, मगर शहर की सड़कों व गलियों में पानी भरने से लोग परेशान रहे। मौसम विभाग के मुताबिक शुक्रवार दोपहर 2.30 बजे तक चार एमएम वर्षा रिकार्ड की गई। इसके साथ ही जिले में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
सड़कों पर वर्षा का पानी खड़ा होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। मिनी सचिवालय रोड, पावर हाउस रोड, परस राम नगर व सिरकी बाजार में वर्षा का पानी जमा हो गया। हालांकि कम वर्षा के कारण कुछ देर बाद पानी निकासी शुरू हो गई। वर्षा के चलते शहर की कई सड़कें पानी से भर गईं, जिससे लोग सुरक्षित रास्ता तलाशते नजर आए। कई सड़कें झीलों में बदल गईं, जिससे मोटरसाइकिलें पानी में बंद हो गईं। लोग अपने वाहन खींचते देखे गए। जल निकासी हर बार बनती है मुद्दा, नहीं हो रहा हल उल्लेखनीय है कि शहर वासी लंबे समय से वर्षा के पानी की निकासी से जूझ रहे हैं। हर चुनाव से पहले वर्षा जल संचयन एक मुद्दा बन जाता है, लेकिन चुनाव के बाद राजनीतिक नेता इस मुद्दे से बचते हैं। दस साल तक चली शिरोमणि अकाली दल सरकार ने बठिडा को पेरिस बनाने का वादा किया था, लेकिन उसके बाद इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया। साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस प्रत्याशी मनप्रीत सिंह बादल ने जल निकासी के मुद्दे पर वोट तो लिया था, लेकिन जल निकासी की समस्या का समाधान नहीं हो सका। अब साल 2022 में आम आदमी पार्टी के विधायक जगरूप सिंह गिल ने भी पानी निकासी के मुद्दे पर वोट लिया, लेकिन अब तक यह समस्या जस की तस बनी हुई है। धान सहित अन्य फसलों के लिए लाभदायक है वर्षा
वर्षा धान सहित अन्य फसलों के लिए लाभकारी मानी जाती है। इस समय धान की फसल को गर्मी के कारण अधिक पानी की जरूरत है। वहीं वर्षा के कारण बिजली की मांग भी कम हो जाएगी। कृषि विभाग के एडीओ डा. बलजीत सिंह बराड़ ने कहा कि वर्षा फसलों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। इससे जहां धान की फसल पर सफेद मक्खी का हमला कम होगा, वहीं धान की फसल को भी बड़ा फायदा होगा।
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