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जहां अगले महीने बजनी थी शहनाई, वहीं से उठा सिपाही गुरदीप का पार्थिव शरीर, मां की आंखों से नहीं सूख रहे आंसू

पंजाब के बठिंडा जिले के गांव जंगीराना में सिपाही गुरदीप सिंह के निधन से शोक की लहर है। गुरदीप सिंह का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने पर उनकी मां और बहनों का रो-रो कर बुरा हाल था। गुरदीप सिंह की सगाई हो चुकी थी और अगले महीने उनकी शादी होनी थी। मां का रो-रोकर बुरा हाल है। उनकी आंखों के आंसू नहीं सूख रहे।

By Sahil Garg Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 03 Oct 2024 03:51 PM (IST)
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ब्रेन हैमरेज के कारण गुरदीप सिंह का निधन।

जागरण संवाददाता, बठिंडा। पुत तूं तां कैंहदा सी हुन आपने चंगे दिन आ गए। मैं जल्दी आउंगा, ते विआह पूरा वधिया करांगे। हुन तूं पता नहीं कित्थे चला गया। सानू कलियां नूं छड गया। यह शब्द गांव जंगीराना के सिपाही गुरदीप सिंह के निधन पर उनकी माता कर्मजीत कौर विरलाप करते समय बोल रही थी।

जब गुरदीप सिंह का पार्थिव शरीर गांव में आया तो उसकी माता के अलावा बहनों का रो-रो कर बुरा हाल था। वह घर का इकलौता बेटा था। पिता का भी एक साल पहले बिमारी के कारण निधन हो गया था। दोनों बहनें शादीशुदा हैं, अब घर पर उसकी माता अकेली रह गई है।

गुरदीप सिंह के संस्कार के समय उसकी बहनों हरप्रीत कौर व किरनदीप कौर ने अपने भाई के सिर पर सेहरा भी सजाया। वह ढ़ाई महीने पहले छुट्टी भी काट कर गया था।

गुरदीप सिंह का निधन 30 सितंबर को हुआ था, जिसकी सूचना जैसे ही गांव पहुंची तो गांव में गमहीन माहौल बन गया। गुरदीप सिंह की इस समय 24 साल की उम्र थी। वह 2019 में सेना में भर्ती हुआ था। उसकी तैनात लेह लदाख में थी। मगर वहां पर उसकी सेहत खराब हुई तो झारखंड के राजगढ़ में तैनात कर दिया। मगर 30 सितंबर को झारखंड में ब्रेन हैमरेज के कारण गुरदीप सिंह का निधन हो गया।

उसका गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। गुरदीप सिंह की सगाई हो चुकी थी, जिसकी अगले महीने 8 नवंबर को शादी थी। घर में शादी का माहौल बना हुआ था, गांव में हर कोई उनके घर पर शादी की तैयारियां कर रहा था। मगर हो कुछ ओर ही गया। गांव के लोग इस माहौल को देखकर काफी गमहीन थे, जो सिर्फ यही बातें कर रहे थे कि जिस घर में शादी के गीत बजने थे, अब वहीं पर दुखों का पहाड़ टूट गया है।

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हालांकि, गुरदीप सिंह के संस्कार के समय उसकी बहनें बार बार अपने भाई के चेहरे को देखकर बोलती रहीं कि ओहनां ने तां विआह दियां पूरियां तैयारियां कितियां होइयां सन, हुंन तूं पता नहीं कित्थे चला गिआ। गुरदीप सिंह का पार्थिव शरीर लेकर पहुंचे नायब सूबेदार जतिंदरपाल सिंह ने बताया कि गुरदीप सिंह 16 सिख रेजिमेंट में तैनात था। जिसका झारखंड के राजगढ़ में ब्रेन हैमरेज के कारण निधन हुआ था। वह पहले भी बीमार था।

गांव वासी केवल सिंह ने बताया कि गुरदीप सिंह के पिता जगजीत सिंह का एक साल पहले बीमारी के साथ निधन हो गया था। जबकि गांव का यह साधारण परिवार था। उसके पिता ने गांव में छोटी सी दुकान कर अपने बेटे को पढ़ाया, जिसकी बाद में फौज में भर्ती हुई। गांव के जलौर सिंह ने बताया कि गुरदीप सिंह को बलिदानी का दर्जा देकर हर सुविधा मिलनी चाहिए।

अब परिवार में केवल उसकी बुजुर्ग माता रह गई है, जिसकी मदद के लिए केंद्र व पंजाब सरकार को आगे आना चाहिए। जबकि गांव में उसकी याद में पार्क या गेट भी बनाया चाहिए। गांव वासी जगतार सिंह ने बताया कि गुरदीप सिंह के परिवार का गांव में हर किसी के साथ अच्छा मिलवर्तन था। वह हर किसी के दुख सुख में काम आते थे। अब अगले महीने उसकी शादी थी। यहां बता दें कि जिले के गांव जंगीराणा एक ऐसा गांव है, जहां के सबसे ज्यादा लोग सेना में भर्ती हैं।

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