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10 साल पहले दूसरी शादी करने पर सेना अधिकारी को किया था बर्खास्त, अब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि अधिकारी की दूसरी शादी मुस्लिम कानून के तहत वैध है और यह पहली पत्नी की सहमति से की गई थी। कोर्ट ने कहा कि याची ने देश की सेवा एक सच्चे देशभक्त के रूप में की है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 10 Oct 2024 06:57 PM (IST)
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Punjab-Haryana High Court: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (जागरण फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एक अधिकारी की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत दूसरी शादी की थी। हाई कोर्ट ने कहा कि याची ने एक देशभक्त सैनिक के रूप में बेदाग सेवा की है और उसकी बर्खास्तगी आजीविका के अधिकार का उल्लंघन है।

आईएएफ अधिकारी को 2014 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था क्योंकि उसने सक्षम अधिकारियों की मंजूरी के बिना दूसरी शादी की थी। हालांकि हाई कोर्ट ने कहा कि दूसरी शादी मुस्लिम कानून के तहत वैध है और वर्तमान मामले में यह पहली पत्नी की सहमति से की गई थी।

आश्रितों के आजीविका के अधिकार पर पड़ा प्रतिकूल प्रभाव

जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने वायुसेना अधिकारी व पश्चिम बंगाल निवासी कलीमुल गाजी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अपने पूरे परिवार के लिए अकेला कमाने वाला है, जिससे उस पर और उसके आश्रितों के आजीविका के अधिकार पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने अपनी बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करने की गुहार लगाई थी। पीठ ने यह भी माना कि अधिकारी ने भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा दी है और एक देशभक्त सैनिक के रूप में उनका बेदाग रिकॉर्ड है।

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अनुमति लिए बिना की थी दूसरी शादी

वायुसेना अधिकारी ने 2012 में अपनी पहली शादी के दौरान एक अन्य मुस्लिम महिला से शादी की थी। वायु सेना के नियमों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लिए बिना दूसरी शादी की गई थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, उसने दूसरी शादी करने के तथ्य का खुलासा किया था, जिसके परिणामस्वरूप उसके खिलाफ कोर्ट आफ इंक्वायरी की गई थी।

तदनुसार एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने 23 जून 2014 को अपना जवाब प्रस्तुत किया, जिसमें उसने अनुमति के बिना एक से अधिक विवाह करने के तथ्य पर विवाद नहीं किया, बल्कि उसने प्रस्तुत किया कि उसका धर्म चार वैध विवाहों की अनुमति देता है, बशर्ते वह सभी पति-पत्नी को समान रूप से भरण-पोषण कर सके और उन्हें समान अधिकार दे सके।

अधिकारी ने वायुसेना के नियमों के बारे में अनभिज्ञता का भी दावा किया। हालांकि, जांच के बाद उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। दलीलें सुनने के बाद, हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकारी का बर्खास्तगी आदेश कठोर, कथित रूप से किए गए अपराध के अनुपात से अधिक है।

खंडपीठ ने यह भी कहा कि मुस्लिम कानून के तहत दूसरी शादी वैध है और पहली पत्नी ने अपने पति की दूसरी शादी के बारे में शिकायत नहीं की, जिसका अर्थ है कि उसने सहमति दी और दूसरी पत्नी के साथ रहने के लिए तैयार थी।

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