Move to Jagran APP

अपंगता का प्रमुख कारण है मल्टीपल स्क्लेरोसिस

By Edited By: Updated: Wed, 23 Oct 2013 10:16 PM (IST)
Hero Image
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़

मल्टीपल स्क्लेरोसिस(एमएस) एक इम्यून-मीडिएटेड विकार है, इसके पीछे कई कारण हो सकते है। इसका सटीक कारण मालूम नहीं है। यह पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक शिकार बनाता है और यह रोग अकसर 20 से 40 की उम्र के बीच शुरू होता है। डायग्नोसिस के 15 वर्षो के भीतर लगभग 50 प्रतिशत एमएस रोगी चलने में परेशानी का सामना करते है, 20 प्रतिशत लोगों को लाठी, क्रच या वॉकर का सहारा लेना पड़ता है तथा 30 फीसद लोग बिस्तर तक सीमित हो जाते है। अधिकांश भारतीय शहरों में किसी भी सार्वजनिक स्थल को शारीरिक विकलांगता से पीडि़त लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन नहीं किया गया है। इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना बनाते वक्त इन चीजों को ध्यान में रखना चाहिए।

एमएस एक ऑटो-इम्यून बीमारी है इसमें शरीर अपनी ही कोशिकाओं व ऊतकों पर हमला करता है। सबसे आम लक्षण है अंगों में कमजोरी, सुन्न पड़ना, अचानक संतुलन खोना, धुंधली दृष्टि; ये लक्षण पक्षाघात की ओर ले जा सकते है। अवसाद, व्यग्रता, घूमने-फिरने में अवरोध, अस्पष्ट बोली, पेशाब व मल त्याग की आवृत्ति बढ़ना तथा संज्ञानात्मक क्षीणता से एमएस रोगियों को याद रखने व ध्यान एकाग्र करने में कठिनाई आती है इससे उनकी कार्यक्षमता सीमित हो जाती है। एमएस इंजेक्शन की औसत लागत 40 हजार रुपये प्रति माह के लगभग होती है। अनुमानों के मुताबिक भारत में मल्टीपल स्क्लेरोसिस के एक लाख से दो लाख के बीच मरीज है; हालांकि इसके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं है।

भेदभाव सहना पड़ सकता है रोगियों को : पीजीआइ

पीजीआइ चंडीगढ़ में सहायक प्रोफेसर डॉ धीरज खुराना कहते है, मरीजों को भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है विशेषकर यदि वह विकलांग हो जाएं या उनमें थकान आदि लक्षण दिखाई दें, क्योंकि इससे उनकी कार्यक्षमता सीमित हो जाती है। इस बीमारी के बारे में जानकारी की कमी भी भेदभाव को बढ़ाने में सहायक है। सामाजिक संपर्क टूटना मुख्यत: बीमारी के प्रभाव का परिणाम है, यह रोगी को अपने साथियों के मुकाबले अपंग महसूस कराता है।

मान्यता देने वाला विधेयक संसद में लंबित

परसंस विद डिसएबिलिटीज 1995 के तहत मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) को मान्यता देने वाला विधेयक अब भी संसद में लंबित है। इस देरी के चलते मल्टीपल स्क्लेरोसिस रोगियों का भाग्य अधर में लटका हुआ है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।