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पंजाब स्‍काॅलरशिप घोटाले से निकला 16 साल पुराना 'भूत', उलझे कांग्रेस सरकार के सीएम व सांसद

पंजाब में स्‍कॉलरशिप घोटाले पर हंगामे के बीच 16 साल पुराना भूत तारकोल घोटाला सामने आ गया है। इस पर सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह व उनकी पार्टी के सांसद प्रताप सिंह बाजवा उलझ गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 01 Sep 2020 05:56 PM (IST)
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पंजाब स्‍काॅलरशिप घोटाले से निकला 16 साल पुराना 'भूत', उलझे कांग्रेस सरकार के सीएम व सांसद
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब में स्‍काॅलरशिप घोटाले से 16 साल पुराना 'भूत' सामने आ गया है और यह है तारकोल घोटाला। इस पर पंजाब की कांग्रेस सरकार के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और उनकी पार्टी के ही सांसद प्रताप सिंह बाजवा उलझ गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा दलित विद्यार्थियों को दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप में घोटाले की आग ने पंजाब की सियासत को गरमा दिया है।

 तारकोल घोटाले पर कैप्टन अमरिंदर सिंह और सांसद प्रताप सिंह बाजवा आए आमने-सामने

स्काॅलरशिप घोटाले में फंसे सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री साधू सिंह धर्मसोत को बर्खास्त करने, इसकी जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अगुवाई में करवाने की मांग कर रहे प्रताप सिंह बाजवा पर कैप्टन ने तारकोल घोटाले के जरिये पलटवार किया है। कैप्टन ने कहा, ‘क्या मैं जंगल राज में विश्वास रखता हूं। अपने पहले कार्यकाल के दौरान क्या मैंने बिटूमैन और अन्य मामलों में बाजवा को कैबिनेट से बर्खास्त किया था।’

बाजवा कर रहे है पोस्ट मैट्रिक घोटाले में मंत्री को बर्खास्त करने की मांग

बाजवा ने एससी पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले की जांच चीफ सेक्रेटरी को देने पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने तालकोल घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान पर भी टिप्पणी की है। बाजवा ने कहा कि 16 साल पुराने पांच मंत्रियों से जुड़े तालकोल घोटाले और पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले में फंसे कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत के बीच कोई सामानता ही नहीं है।

कैप्टन ने कहा, तो बाजवा को भी तारकोल घोटाले में बर्खास्त कर देता

बाजवा की मांग पर कैप्टन ने पलटवार किया है। कैप्टन का कहना है, अगर वह (कैप्टन) जंगल राज में विश्वास रखते होते तो उनको 2002-2007 के कार्यकाल के दौरान बाजवा को मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर देता, जब उनका नाम लोक निर्माण मंत्री होते हुए बिटूमैन घोटाले (तारकोल घोटाला) और कई अन्य मामलों में उछला था। 16 साल पुराने मामले को निकालने को लेकर बाजवा ने भी कैप्टन को घेरा है।

बाजवा का कहना है तारकोल घोटाला 2004 में उभरा था, जब वह पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। यह घोटाला पांच विभाग इंजीनियरिंग विंग पीडब्ल्यूडी, पुडा (आवास विभाग), मंडी बोर्ड (कृषि विभाग), नगर निगम लुधियाना (स्थानीय सरकार) और पीएसआईईसी (उद्योग विभाग) के साथ जुड़ा था। यह घोटाला 1997 से 2002 की अकाली सरकार के दौरान हुआ था। इसमें कांग्रेस सरकार का कोई लेना देना नहीं था। इसलिए दोनों घोटाले की तुलना करना   फिजूल है।

2014 में विजिलेंस ने कोर्ट को सौंपी थी क्लोजर रिपोर्ट

बाजवा कहते हैं, उस मामले में विजिलेंस की जांच हुई थी। इसमें मेरा नाम कही भी नहीं आया था। यह घोटाला लुधियाना शहर में हुआ था, जब इनकम टैक्स अधिकारी के पास से एक डायरी पकड़ी गई थी। यह घोटाला भी 1997 से 2002 के अकाली सरकार के दौरान का था। इस मामले में विजिलेंस ने 2014 में क्लोजर रिपोर्ट सौंपी थी। उस समय पंजाब में अकाली-भाजपा की सरकार थी, जबकि मैं कांग्रेस का प्रदेश प्रधान था। बाजवा का कहना है, कैप्टन मुद्दे को भटकाने की बजाए अगर 63.91 करोड़ रुपये के घोटाले पर फोकस करें तो बेहतर होगा।

क्या था तारकोल घोटाला

2004 में लुधियाना में एक इनकम टैक्स अधिकारी के पास से डायरी पकड़ी गई थी। इसके बाद तारकोल घोटाला सामने आया था। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले में विजिलेंस जांच करवाई थी। विजिलेंस ने 63 लोगों को इस मामले में नामजद किया था। इसमें से 31 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 32 लोगों ने बेल ले दी थी। यह मामला खासा सुर्खियों में रहा था। 2014 में विजिलेंस ने कोर्ट में इस संबंध में क्लोजर रिपोर्ट दी थी। इसके बाद विजिलेंस कोर्ट ने सभी दोषियों को बरी कर दिया था।

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