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21 वर्षीय ब्रेन डेड मरीज ने पांच लोगों को दी नई जिंदगी, पिता बोले- इन लोगों के जरिए हमारे बीच रहेगा मेरा बेटा

चंडीगढ़ के 21 वर्षीय अमनिंदर सिंह ने एक सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाने के बाद पांच लोगों को नया जीवन दिया। उनके परिवार ने उनके अंगों को दान करने का फैसला किया जिससे उनकी किडनी पैंक्रियाज़ और कॉर्निया का पीजीआई में जरूरतमंद मरीजों को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया। वहीं लिवर को दिल्ली के आर्मी हस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) भेजा गया।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 23 Nov 2024 09:58 PM (IST)
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मौत के बाद भी जिंदा रहे 21 वर्षीय ब्रेन डेड मरीज।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब के रोपड़ जिले के खिजराबाद के रहने वाले 21 वर्षीय अमनिंदर सिंह ने दुनिया को अलविदा कहने से पहले पांच लोगों को नया जीवन देने की मिसाल कायम की।

अमनिंदर 10 नवंबर को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें पहले रोपड़ सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत नाजुक होने के कारण उन्हें चंडीगढ़ पीजीआइ रेफर कर दिया गया।

पीजीआइ पहुंचने के बाद भी उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। करीब 10 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद 20 नवंबर को डॉक्टरों ने सभी प्रोटोकाल पूरा करने के बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

पिता ने लिया साहसिक फैसला

पीजीआइ के ट्रांसप्लांट को ऑर्डिनेटर ने अमनिंदर के परिवार से अंगदान के बारे में बात की। गहरे दुख के बीच भी पिता सुखजिंदर सिंह ने अपने बेटे के अंग दान करने का साहसिक फैसला लिया।

उन्होंने कहा कि अमनिंदर बहुत जिंदादिल लड़का था और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था। भले ही हम उसे बचा नहीं सके, लेकिन यह जानकर सुकून है कि उसके अंगों ने दूसरों को जीने का मौका दिया। ऐसा लगता है कि वह अब भी इन लोगों के जरिए हमारे बीच है।

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लिवर दिल्ली भेजा गया

अमनिंदर के लिवर, किडनी, पैंक्रियाज़ और कॉर्निया का दान किया गया। उनकी किडनी, पैंक्रियाज़ और कॉर्निया का पीजीआई में जरूरतमंद मरीजों को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया।

वहीं, लिवर का कोई उपयुक्त प्राप्तकर्ता पीजीआई में उपलब्ध न होने के कारण इसे राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन की मदद से दिल्ली के आर्मी हस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) भेजा गया। लिवर को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से दिल्ली पहुंचाया गया, जहां एक मरीज का सफल लिवर ट्रांसप्लांट किया गया।

प्रेरणादायक पहल

पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह परिवार समाज के लिए मिसाल है और इससे अन्य लोग भी अंगदान के प्रति जागरूक होंगे और लोगों की जान बचाने को आएंगे। इससे जरूरत मंद लोगों को नया जीवन मिलेगा। लोग जागरूक होंगे। 

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