Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Chandigarh Mayor Election की जंग तो जीती मगर आसान नहीं 'आप' के लिए आगे की राह, आखिर किस गुना-गणित में फंसी पार्टी

Chandigarh Mayor Election बीते कल सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया। चुनाव को लेकर अदालत ने दोषी माना और आप पार्टी के पार्षद कुलदीप कुमार को विजयी बनाया। लेकिन आप पार्टी के लिए आगे की राह आसान नहीं है। चंडीगढ़ नगर निगम में वर्तमान में बहुमत का आंकड़ा भाजपा के पक्ष में है लेकिन वह विपक्ष में बैठेगी।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 21 Feb 2024 03:52 PM (IST)
Hero Image
Chandigarh Mayor Election की जंग तो जीती मगर आसान नहीं आगे की राह

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम में वर्तमान में बहुमत का आंकड़ा भाजपा के पक्ष में है, लेकिन वह विपक्ष में बैठेगी। दरअसल, मेयर चुनाव के समय भाजपा के 14 पार्षद थे, जबकि एक सांसद का वोट था और आप व कांग्रेस गठबंधन के पास 20 वोट थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।

भाजपा के पास कुल 19 वोट

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले आप के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए हैं। ऐसे में भाजपा में पार्षदों की संख्या 17 हो गई है। सांसद को भी जोड़ दें तो भाजपा के पक्ष में 18 वोट हैं, जबकि आप-कांग्रेस के पास 17 ही पार्षद हैं। हालांकि फिर भी भाजपा के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने का आंकड़ा नहीं है।

एक्ट के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत है। 36 सदस्यों (एक सांसद सहित) वाले नगर निगम में दो तिहाई का आंकड़ा 24 वोट का बनता है। भाजपा के पास अकाली दल के एक पार्षद को मिलाकर 19 वोट हैं।

कुलदीप कुमार को दूसरे मेयरों के मुकाबले मिले कम वोट

आप का बेशक मेयर बन गया हो, लेकिन निगम सदन चलाने में उसे मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। भाजपा के साथ नौ मनोनीत पार्षद भी हैं। ऐसे में आप को घेरने में भाजपा को मनोनीत पार्षदों का समर्थन मिलेगा। एक्ट के अनुसार चंडीगढ़ में मेयर का एक साल का कार्यकाल होता है, लेकिन मेयर चुनाव विवाद के कारण एक माह खराब हो गया है। ऐसे में आप के मेयर कुलदीप कुमार को दूसरे मेयरों के मुकाबले में कम समय मिलेगा।

यह भी पढ़ें- Chandigarh Mayor Election: जिस नगर निगम में साफ-सफाई करते थे कुलदीप, आज उसी इलाके के मेयर पद की संभाली कुर्सी

आप की नेहा को दिया गया था मेयर उम्मीदवार बनाने का प्रलोभन

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले आप की पार्षद नेहा मुसावत, पूनम और गुरचरणजीत सिंह काला भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने मनोज सोनकर से पहले ही मेयर पद से इस्तीफा दिलवा दिया था। ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा की रणनीति थी कि फिर से मेयर चुनाव होने की स्थिति में नेहा को उम्मीदवार बनाया जाए, क्योंकि नेहा मनोज सोनकर से ज्यादा पढ़ी लिखी हैं।

मनोज सोनकर सातवीं तक पढ़े थे

मनोज सोनकर सिर्फ सातवीं तक पढ़े थे। नेहा वाल्मीकि समुदाय से संबंध रखते हैं। वाल्मीकि समुदाय का शहर में सवा लाख से ज्यादा वोट बैंक है। भाजपा नेहा को उम्मीदवार बनाकर लोकसभा चुनाव में इस वोट बैंक को अपनी तरफ खींचना चाहती थी, लेकिन उनकी सारी रणनीति धरी की धरी रह गई।

यह भी पढ़ें- Lok Sabha Election: ... तो क्या चंडीगढ़ मेयर चुनाव पलटेगा लोकसभा की बाजी! राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की तैयारी में 'आप'

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर