Punjab News: सिख फॉर जस्टिस संगठन को फंडिंग के आरोपी को मिली जमानत, HC ने कहा- लंबा ट्रायल अपने आप में सजा
Punjab News सिख फॉर जस्टिस संगठन को फंडिंग के आरोपी को जमानत मिल गई है। हाई कोर्ट ने कहा कि लंबा ट्रायल अपने आप में ही सजा है। आरोपी को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में 117 गवाहों में से केवल 23 की ही गवाही हुई है। अपीलकर्ता लगभग 05 साल और 09 महीने से हिरासत में है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (UPA) के तहत गिरफ्तार सिख फॉर जस्टिस (Sikh For Justice) संगठन को फंडिंग के आरोपी को जमानत दे दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमे की लंबी और कठिन प्रक्रिया ही अपना आप में सजा है, संवैधानिक न्यायालय ऐसी स्थिति बनने से रोकना चाहिए।
मंजीत सिंह ने की थी जमानत की मांग
याचिका दाखिल करते हुए मंजीत सिंह ने यूएपीए के तहत दर्ज मामले में जमानत की मांग की थी। याची ने बताया कि वह 5 वर्ष 9 माह से जेल में है और ट्रायल जल्द पूरा नहीं होने वाला है। याची पक्ष ने दलील दी कि उस पर आरोप है कि वह सिख फॉर जस्टिस की गतिविधियों को फंडिंग कर रहा था जो यूएपीए के तहत प्रतिबंधित संगठन है।
2018 दर्ज हुई थी एफआईआर
याची ने बताया कि एफआईआर 2018 में दर्ज की गई थी और उस समय संगठन पर प्रतिबंध नहीं था। इसे जुलाई 2019 में प्रतिबंधित किया गया था और जनवरी 2020 को यूएपीए ट्रिब्यूनल द्वारा मंजूरी दी गई थी। उन्होंने कहा कि भले ही संगठन प्रतिबंधित हो और आवेदक पर प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होने का आरोप हो, लेकिन यह अपने आप में यूएपीए के तहत अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक कि उसने ऐसे कार्य न किए हों जो यूएपीए के तहत अपराध की श्रेणी में आते हों।यह भी पढ़ें: IGNOU Admission 2024: यूजी-पीजी एडमिशन के लिए IGNOU ने बढ़ाई तारीख, छात्र अब 14 तक कर सकेंगे अप्लाई
23 गवाहों की हुई गवाही
हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि लंबी हिरासत अपने आप में यूएपीए के तहत आरोपी को भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जमानत देने का हाईकोर्ट को अधिकार देती है। इस मामले में 117 गवाहों में से केवल 23 की ही गवाही हुई है। आरोप दिसंबर 2021 में तय किए गए थे और अभी तक ढाई साल में केवल 23 गवाही हो सकी हैं। जब 94 गवाहों की जांच होनी बाकी है, तो मुकदमे के समापन के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल होगा।यह भी पढ़ें: खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने भारत के खिलाफ फिर उगला जहर, वीडियो वायरल कर सिख सैनिकों को उकसाया
अपीलकर्ता लगभग 05 साल और 09 महीने से हिरासत में है और संवैधानिक न्यायालय ऐसी स्थिति को रोकना चाहेगा जहां मुकदमे की लंबी और कठिन प्रक्रिया अपने आप में सजा बन जाए। अपीलकर्ता से हथियार, आग्नेयास्त्र, ड्रग्स या किसी अन्य आपत्तिजनक सामग्री के रूप में कोई भी आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई है। यह देखते हुए कि याची 5 वर्ष 9 महीने से हिरासत में है और मुकदमे का अंत नजऱ नहीं आ रहा, हाईकोर्ट ने याची को जमानत पर रिह करने का आदेश दिया है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।