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सुखबीर बादल के इस्तीफे के बाद अब किसे मिलेगी कमान? 28 वर्षों तक रहा बादल परिवार का वर्चस्व, क्या है पार्टी की रणनीति?

शिरोमणि अकाली दल में बड़ा बदलाव सुखबीर बादल के इस्तीफे के बाद पार्टी को मिलेगा नया अध्यक्ष। वर्किंग कमेटी की बैठक में इस्तीफे पर चर्चा श्री अकाल तख्त से मिल सकती है सुखबीर को धार्मिक सजा। 14 दिसंबर तक नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने की चुनौती। शहरी क्षेत्र में कमजोर रही है पार्टी नए अध्यक्ष के सामने अग्निपरीक्षा होंगे निकाय चुनाव।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 17 Nov 2024 10:19 PM (IST)
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सुखबीर बादल के इस्तीफे के बाद अब किसे मिलेगी कमान?
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान पद से सुखबीर बादल के इस्तीफे के बाद ‘अब आगे क्या’ को लेकर चर्चा तेज हो गई है। पार्टी के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ की अगुवाई में सोमवार को होने वाली वर्किंग कमेटी की बैठक में सुखबीर के इस्तीफे पर चर्चा होगी।

माना जा रहा है कि सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाएगा, क्योंकि यदि वर्किंग कमेटी इस्तीफा अस्वीकार करती है तो शिअद के साथ-साथ सुखबीर बादल की परेशानी और बढ़ सकती है क्योंकि श्री अकाल तख्त ने सुखबीर को तनखाइया घोषित किया हुआ है। ढाई माह से अधिक समय बीतने के बावजूद सुखबीर को अभी तक सजा नहीं सुनाई गई है।

14 दिसंबर से पहले मिल सकती है सजा

माना जा रहा है कि इस संकट से निकलने के लिए वर्किंग कमेटी सुखबीर के इस्तीफे पर मुहर लगाएगी। सुखबीर का इस्तीफा स्वीकार किया जाता है तो पार्टी को नया प्रधान बनाने की प्रक्रिया 14 दिसंबर तक पूरी करनी होगी। शिरोमणि अकाली दल पर 28 वर्षों तक बादल परिवार का वर्चस्व रहा है।

ऐसे में बादल परिवार के बिना नए प्रधान के लिए राह आसान नहीं होने वाली है। नए शिअद प्रधान के लिए पार्टी का खिसका वोट बैंक संभालना होगा और नाराज धड़ों को वापस एक मंच पर लाना होगा।

नए प्रधान के सामने सबसे पहली अग्नि परीक्षा

5 नगर निगमों व 43 नगर कौंसिलों के चुनाव होंगे जो दिसंबर के मध्य तक हो सकते हैं। ये चुनाव शहरी क्षेत्र में होने वाले हैं जहां शिरोमणि अकाली दल कमजोर रहा है। उधर, शिरोमणि अकाली दल बादल के प्रधान पद से इस्तीफे के बाद अब पार्टी प्रधान सुखबीर बादल को श्री अकाल तख्त साहिब से ‘निमाणे (विनम्र) सिख’ की तरह धार्मिक दंड हासिल हो सकेगा।

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह पर बागी गुट द्वारा सुखबीर को राजनीतिक दंड देने का दबाव हट गया है क्योंकि सुखबीर ने खुद ही इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में पांच तख्तों के सिंह साहिब द्वारा उन्हें प्रधान पद से इस्तीफा देने के आदेश का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है।

पांच तख्तों के सिंह साहिब शीघ्र ही श्री अकाल तख्त साहिब पर बैठक बुलाकर उन्हें धार्मिक दंड देने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तिथि निर्धारित कर सकते हैं। जानकारों का कहना है कि 14 दिसंबर से पहले कभी भी सुखबीर को तनख्वाह (सजा) लगाई जा सकती है।

सुखबीर को सख्त राजनीतिक दंड के बजाय केवल धार्मिक दंड देकर गुरुद्वारा साहिब में पाठ करने व सुनने, संगत के जूठे बर्तन धोने, संगत के जूते पालिश करने आदि जैसी कोई नरम सजा देने की संभावना है।

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