Chandigarh: एम्स दिल्ली और जीएमसीएच चंडीगढ़ मिलकर करेंगे कोरोना काल में स्कूल जाने वाले दो हजार बच्चों पर शोध
दिल्ली और चंडीगढ़ मिलकर कोरोना काल में स्कूल जाने वाले दो हजार बच्चों पर शोध करेंगे। 60 स्कलों से नौवीं से 12वीं तक के 30 छात्रों का एक-एक ग्रुप में लिया जाएगा। यह शोध तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। यह शोध तीन साल में पूरा होगा।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Sun, 22 Jan 2023 12:31 PM (IST)
विशाल पाठक, चंडीगढ़ : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के नेतृत्व में पहली बार नई दिल्ली स्थित एम्स और चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (जीएमसीएच) मिलकर कोरोना महामारी के दौरान स्कूल जाने वाले बच्चों के मानसिक विकास पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ा है, उनकी मानसिक स्थिति और क्या बच्चे अब तक उस समय के तनाव से बाहर निकल पाए हैं या नहीं, ऐसी स्थितियों पर यह शोध किया जाएगा। चंडीगढ़ जीएमसीएच-32 से इस शोध के लिए साइकेटरी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डा. प्रीति अरुण को प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर बनाया गया है। उन्होंने बताया कि शोध तीन साल में पूरा होगा।
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60 स्कूलों से दो हजार बच्चों को शोध में शामिल किया जाएगा
डा. प्रिति अरुण ने बताया कि शहर से 60 स्कूलों के बच्चों को शोध में शामिल किया जाएगा। इन स्कूलों में सरकारी और प्राइवेट दोनों श्रेणी के स्कूलों के बच्चे शामिल होंगे। शोध में नौंवी से 12वीं तक के विद्यार्थियों को शामिल किया जाएगा। हर स्कूल से नौवीं से 12वीं तक के 30 छात्रों का एक ग्रुप लिया जाएगा। इस प्रकार शहर से कुल दो हजार बच्चों को शामिल किया जाएगा।तीन चरणों में पूरा होगा शोध
पहले चरण में इस शोध में शामिल किए जाने वाले हर छात्र का मनोचिकित्सक का 30 मिनट का सेशन होगा, जिसमें हर बच्चे के मानसिक विकास और उस पर कोरोना महामारी के दौरान किस प्रकार का प्रभाव पड़ा है, इस पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। दूसरे चरण में इन छात्रों के शिक्षकों से उनका फीडबैक लिया जाएगा और इसके बाद तीसरे चरण में उस बच्चे के माता-पिता से फीडबैक लेने के बाद तीन चरणों में रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
फिर देखा जाएगा कि किस उम्र के, किन कारणों से और बच्चों में कोरोना की वजह से क्या प्रभाव पड़े हैं और उन्हें इससे कैसे निजात दिलाई जा सकती है। शोध में दिल्ली के प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के नौंवी से 12वीं तक के छात्रों को भी शामिल किया जाएगा। दिल्ली में यह शोध एम्स के डाक्टरों की एक टीम करेगी।
घनी आबादी में पड़ने वाले स्कूलों में रहेगा खास फोकस
शोध के दौरान उन स्कूलों के बच्चों पर खास फोकस रहेगा, जो स्कूल घनी आबादी के आसपास हैं, क्योंकि कोरोना महामारी का खासकर असर घनी आबादी के रिहायशी इलाकों पर देखने को मिला है। ऐसे में इस शोध से यह भी पता लगेगा कि जो बच्चे घनी आबादी में रहते थे, उनके मानसिक विकास पर किस प्रकार का असर पड़ा है और क्या उनके मानसिक विकास या तनाव की स्थिति अन्य छात्रों के मुकाबले कैसी है।
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यह शोध आइसीएमआर के नेतृत्व में किया जा रहा है। इसमें दिल्ली और चंडीगढ़ के स्कूलों के नौंवी से 12वीं तक के बच्चों को शामिल किया जाएगा। देखने में आया है कि कोरोना की वजह से बच्चों के मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ा है, ऐसे में शोध के जरिए उनके कारणों का पता लगाकर उन्हें ठीक किए जाने का शोध का मुख्य उद्देश्य है।
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