Punjab: विधानसभा चुनाव ने अलग कर दी किसान नेताओं की राहें, अब पिछले चेहरे संभाल रहे हैं कमान; दो गुटों में बंट गया आंदोलन
Punjab News विधानसभा चुनाव ने किसान नेताओं की राहें अलग कर दी हैं। अब पिछले चेहरे कमान संभाल रहे हैं। असल में इसका एक बड़ा कारण 2022 में विधानसभा के चुनाव भी रहे हैं जहां संयुक्त किसान मोर्चा जिसकी अगुवाई में आंदोलन लड़ा गया वह कई हिस्सों में बंट गया। एक हिस्सा संयुक्त किसान मोर्चा राजनीतिक और एक संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के रूप में सामने आया।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। दो दिन पहले चंडीगढ़ के महात्मा गांधी प्रशासनिक संस्थान में तीन केंद्रीय मंत्रियों और विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं की हुई बातचीत बेशक अभी सिरे न चढ़ी हो, लेकिन किसान आंदोलन-2 ने अब उन चेहरों के हाथ में कमान सौंप दी है जो अब तक पिछली सीटों पर बैठते थे। बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी , लक्खोवाल, प्रेम सिंह भंगू , बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उगराहां जैसे नेता आंदोलन के परिदृश्य से गायब हैं।
भारत बंद का आह्वान
असल में इसका एक बड़ा कारण 2022 में विधानसभा के चुनाव भी रहे हैं जहां संयुक्त किसान मोर्चा जिसकी अगुवाई में आंदोलन लड़ा गया, वह कई हिस्सों में बंट गया। एक हिस्सा संयुक्त किसान मोर्चा राजनीतिक और एक संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के रूप में सामने आया। बलबीर सिंह राजेवाल अपने पांच संगठनों के साथ अलग से भारत बंद का आह्वान कर रहे हैं। उनका कहना है कि देश भर की 56 यूनियनों और किसान संगठनों ने इसको समर्थन दिया है। इसमें बैंक कर्मचारी भी शामिल हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा बना लिया गैर राजनीतिक
राजेवाल और उनके सहयोगी संगठनों ने पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ा जिसको लेकर दूसरे संगठन नाराज होकर अलग हो गए और उन्होंने अपना संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक बना लिया। चुनाव में राजेवाल व अन्य उम्मीदवार बुरी तरह हारे।यह भी पढ़ें: Punjab News: विजिलेंस ब्यूरो ने की PSIEC के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी, CM मान की ओर से दिखाई गई हरी झंडी
राजेवाल उस हार से निराश नही हैं। उनका कहना है कि चुनाव लड़ने का फैसला उनका नहीं बल्कि किसान संगठनों का था लेकिन अब 16 फरवरी का भारत बंद आंदोलन को एक नई दिशा देगा। उन्होंने बताया कि पूरे भारत में सभी शहरों के प्रमुख चौकों पर बड़े धरने और प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने यह जरूर साफ किया कि हम रेलें नहीं रोकेंगे।
आपातकालीन में कहीं जा रहे लोगों को दी जाएगी छूट
प्रमुख सड़क मार्ग जरूर बंद किए जाएंगे लेकिन मरीजों, बारात, हवाई अड्डों पर जाने वाले और आपातकालीन में कहीं जा रहे लोगों को छूट दी जाएगी। अब 13 फरवरी को दिल्ली चलो का आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक ने किया है और वह नए आंदोलन में कूद पड़ा है। उनके साथ किसान मजदूर संघर्ष कमेटी भी है और इनका दावा है कि देश के अन्य राज्यों में संगठनों ने भी उन्हें समर्थन देने की बात की है। मांगें वही पुरानी हैं।
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