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Ayushman Yojana के तहत नहीं मिल रहा इलाज, पंजाब के प्राइवेट अस्पताल क्यों कर रहे विरोध? पढ़ें पूरा मामला

Ayushman Yojana in Punjab पंजाब के निजी अस्पतालों में 600 करोड़ रुपए के बकाया राशि को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। अस्पतालों का कहना है कि जब तक उनकी बकाया राशि नहीं मिल जाती तब तक आयुष्मान योजना के अंतर्गत किसी भी मरीज का इलाज नहीं किया जाएगा। निजी अस्पतालों का यह विरोध प्रदर्शन जनता की मुश्किलें बढ़ा रहा है

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 21 Sep 2024 12:05 PM (IST)
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पंजाब के प्राइवेट अस्पताल क्यों कर रहे विरोध? पढ़ें पूरा मामला
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। प्राइवेट अस्पताल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन (पीएचएएनए) ने साफ कर दिया है कि जब तक उनको 600 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान नहीं होता वे राज्य में आयुष्मान कार्ड धारकों का इस योजना के तहत उपचार नहीं करेंगे। पीएचएएनए के प्रतिनिधियों ने यह घोषणा शुक्रवार को स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) पंजाब की सीईओ बबिता कलेर के साथ बैठक के बाद की।

खास बात यह है कि पीएचएएनए के प्रतिनिधि शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह के साथ बैठक के लिए पहुंचे थे,लेकिन बैठक में केवल स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) की सीईओ व स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी पहुंचे थे। बैठक में पीएचएएनए व स्वास्थ्य विभाग में भी खींचतान बढ़ गई। पीएचएएनए के प्रतिनिधि जहां पंजाब सरकार की तरफ 600 करोड़ रुपये बकाया की बात कह रहे थे।

वहीं, स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया कि निजी अस्पतालों का केवल 197 करोड़ रुपये बकाया है। इस खींचतान के बीच बैठक बिना किसी सहमति के समाप्त हो गई।

केंद्र और राज्य दोनों सरकारें मिलकर उठाती हैं खर्च

केंद्र और राज्य सरकार की इस खर्च में 60:40 की हिस्सेदारी होती है। पीएचएएनए के पदाधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से अपने हिस्से का भुगतान तो किया जा रहा है लेकिन पंजाब सरकार की ओर से सात महीने से अपने हिस्से का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

पीएचएएनए के सचिव डा. दिव्यांशू गुप्ता ने बताया कि राज्य में प्रति माह आयुष्मान योजना के तहत करीब 90 करोड़ रुपये का इलाज किया जाता है। सात माह में पंजाब सरकार ने मात्र 50 करोड़ रुपये ही रिलीज किया है। उन्होंने कहा कि उनकी बैठक स्वास्थ्य मंत्री के साथ होनी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

19 दिनों तक 70 करोड़ का किया काम

बैठक में सीईओ ने वही डाटा शेयर किया जो स्वास्थ्य मंत्री ने अपने बयान में दिया था। हालांकि सीईओ ने माना कि 1 से 19 सितंबर तक राज्य में आयुष्मान योजना के तहत 70 करोड़ रुपये का काम हुआ। एसोसिएशन भी यही बात कह रही हैं कि एक माह में 90 करोड़ रुपये का काम इस योजना के तहत किया जाता है।

सात महीने से भुगतान नहीं होने से निजी अस्पतालों को आयुष्मान योजना के तहत उपचार करना मुश्किल हो रहा है। अब फैसला किया गया है कि जब तक पंजाब सरकार फंड रिलीज नहीं करती है तब तक आयुष्मान के तहत इलाज नहीं किया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने भी निजी अस्पतालों के 197 करोड़ बकाया की कही थी बात बता दें कि दो दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री डा. बलबीर सिंह ने दावा किया था कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों का 364 करोड़ रुपये बकाया है। इसमें से प्राइवेट अस्पतालों का शेयर 197 करोड़ रुपये है।

मुख्यमंत्री मान अस्पतालों को यथाशीघ्र करें भुगतान: नड्डा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पंजाब में निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारकों का उपचार बंद होने पर चिंता जताई है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट डाल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से कहा है कि वे जितनी जल्दी हो सके निजी अस्पतालों के बकाया का भुगतान करें।

नड्डा ने मुख्यमंत्री मान को सलाह दी है कि वे दिल्ली में पार्टी इकाई की जय-जयकार करने के बजाय राज्य की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर विशेषकर मेहनती किसान जोकि इस आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठा रहे थे, उनकी तरफ ध्यान दें।

आप का पलटवार, केंद्र सरकार ने नहीं दिए 220 करोड़

केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के बयान के बाद आम आदमी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आप के प्रदेश प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि नड्डा को पता होना चाहिए कि अस्पतालों की तरफ जो बकाया है, उसमें से 220 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने देने हैं। यही नहीं, केंद्र ने सरकार पिछले दो वर्षों से पंजाब के 800 करोड़ का नेशनल हेल्थ मिशन का फंड रोक रखा है।

अलग-अलग योजनाओं के पंजाब के हिस्से के लगभग आठ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के फंड केंद्र सरकार ने रोक रखे हैं। अगर नड्डा को पंजाब के लोगों की बहुत चिंता है तो वे बताएं कि हमारे हिस्से का फंड क्यों रोक रखा है।

बता दें कि राज्य में आयुष्मान योजना के तहत 45 लाख परिवारों के 84.44 लाख कार्ड बने हुए हैं। इन कार्ड धारकों का सरकारी और निजी अस्पतालों में उपचार निशुल्क किया जाता है और यह सारा खर्च केंद्र और राज्य सरकार उठाती है।

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