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सिख समुदाय पर टिप्पणी का मामला: नफरती भाषण देने के आरोपित नेता की जमानत खारिज, HC बोला- 1984 के दंगों की याद दिला दी

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नफरत फैलाने वाले भाषण के आरोप में गिरफ्तार राहुल शर्मा की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपित की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा की नफरत भरी टिप्पणियां 1984 के सबसे काले और भयानक क्षणों की याद दिलाती हैं। शर्मा पर आरोप है कि सुधीर सूरी की मौत के बाद पूरे सिख समुदाय के नरसंहार का आह्वान करने का बयान दिया था।

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Wed, 13 Dec 2023 03:37 PM (IST)
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सिख समुदाय पर टिप्पणी का मामला: नफरती भाषण देने के आरोपित नेता की जमानत खारिज

राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। Punjab News:  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नफरत फैलाने वाले भाषण के आरोप में गिरफ्तार राहुल शर्मा की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है। आरोपित की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा की नफरत भरी टिप्पणियां 1984 के सबसे काले और भयानक क्षणों की याद दिलाती हैं।

सिख समुदाय के नरसंहार करने का दिया था बयान

शर्मा पर आरोप है कि सुधीर सूरी की मौत के बाद पूरे सिख समुदाय के नरसंहार का आह्वान करने का बयान दिया था। दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करने के आरोप में इस युवा नेता को गिरफ्तार किया गया था।

सुधीर शर्मा पर हुआ था हमला

गोपाल मंदिर के बाहर एक विरोध प्रदर्शन के दौरान शिवसेना (टकसाली) नेता सुधीर सूरी की दिनदहाड़े हत्या के छह महीने बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि गत वर्ष 4 नवंबर को अमृतसर के मजीठा रोड पर गोपाल मंदिर के बाहर शिवसेना (टकसाली) नेता सुधीर सूरी पर हमला किया गया था, जिसमे उनकी मृत्यु हो गई थी बाद में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था।

राहुल शर्मा ने पिछले साल दिया था विवादित बयान

राहुल शर्मा ने पिछले साल नवंबर में अमृतसर में शिवसेना (टकसाली) नेता सुधीर सूरी की हत्या के बाद सिख समुदाय को निशाना बनाते हुए एक वीडियो अपलोड किया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।सरकारी वकील ने तर्क दिया कि केवल माफी मांगने से याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप बेअसर नहीं होंगे।

'इतिहास के सबसे काले और भयावह क्षणों को याद दिलाती'

एफआईआर की सामग्री और मामले में वकील की दलीलों पर गौर करने के बाद, जस्टिस जस गुरप्रीत सिंह पुरी की पीठ ने कहा यह अदालत भारत के इतिहास के सबसे काले और भयावह क्षणों में से एक की याद दिलाती है जो वर्ष 1984 में हुआ था।भारत के प्रधानमंत्री की हत्या के बाद इस देश में देशभर में दंगे हुए।

 मारे गए लोगों का परिवार आज तक पीड़ित

हजारों लोग मारे गए और उनके परिवार आज तक पीड़ित हैं। हालाँकि यह अदालत खुद को केवल वर्तमान एफआईआर में लगाए गए आरोपों तक ही सीमित रहेगी लेकिन याचिकाकर्ता और उसके अभिभाषक द्वारा कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए शब्दों में कोई संदेह नहीं है कि यह न केवल गंभीर है, बल्कि प्रकृति में जघन्य भी है।

नफरती बयान देने पर दर्ज हुआ था केस

शर्मा पर सदर अमृतसर पुलिस स्टेशन, जिला पुलिस आयुक्तालय, अमृतसर में दर्ज एक मामले में आईपीसी की धारा 295-ए, 298, 153-ए, 506 और 34 के तहत आरोप लगाया गया था। एफआईआर और वकील की दलीलों पर गौर करने के बाद, जस्टिस पुरी ने कहा एफआईआर की इस तरह की सामग्री निश्चित रूप से गंभीर और जघन्य प्रकृति की है।

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कोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज 

जो आशंका राज्य के वकील ने व्यक्त की है यदि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह गवाहों को डरा सकता है और प्रभावित कर सकता है और न्याय से भाग सकता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

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