Akal Takht Jathedar Giani Harpreet Singh: SGPC को तोड़ने की बड़ी साजिश, प्रबंधन के साथ खिलवाड़ कर रही सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम 2014 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था जिसके तहत राज्य में गुरुद्वारों के मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक अलग समिति का गठन किया गया था।
चंडीगढ़, पीटीआइ। अकाल तख्त जत्थेडर हरप्रीत सिंह ने बुधवार को कहा कि शीर्ष गुरुद्वारा निकाय एसजीपीसी को तोड़ने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा में सिख मंदिरों के प्रबंधन को राज्य सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है।
उन्होंने कहा कि गुरुद्वारों के प्रबंधन को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि जब किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ धरना दे रहे थे, तब उनके खाने का प्रबंध गुरुद्वारा लंगर के माध्यम से किया गया था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) हरियाणा में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का विरोध करती रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था, जिसके तहत राज्य में गुरुद्वारों के मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक अलग समिति का गठन किया गया था।
होला मोहल्ला महोत्सव के अवसर पर रूपनगर जिले में आनंदपुर साहिब में एक सभा को संबोधित करते हुए हरप्रीत सिंह ने कहा कि एक ऐसा देश जो अपनी संसद को बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास करता है, उसे सिखों की संसद (SGPC) को तोड़ते हुए बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही।
उन्होंने कहा कि देश की प्रणाली संसद को हर कीमत पर बरकरार रखने के लिए काम करती है। लेकिन हमारी संसद (SGPC) को दो भागों में तोड़ दिया गया है और अगर सिखों की संसद को दो भागों में तोड़ दिया गया है, तो सर्वशक्तिमान उस संसद को कई हिस्सों में तोड़ देगा। यह खालसा का अभिशाप होगा।
उन्होंने कहा कि SGPC सिख समुदाय की रीढ़ है। गुरुद्वारों का प्रबंधन हरियाणा के सिखों ने नहीं संभाला है। प्रबंधन सरकार द्वारा ले लिया गया है और इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। अगर हम नहीं जागे तो यह एसजीपीसी का भी प्रबंधन संभाल लेगी। हरियाणा में सिखों की तरफ से अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कोई मांग नहीं है।