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Punjab Lok Sabha Election 2024: पार्टी में बढ़ते असंतोष को काबू पाने में बेबस हुई कांग्रेस, इन नेताओं ने किया किनारा

Punjab Lok Sabha Election 2024 पंजाब में कांग्रेस पार्टी में असंतोष देखने को मिल रहा है। टिकटों के बंटवारे की शुरूआत होने तक कांग्रेस के संगठन से लेकर नेताओं में बिखराव देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के एक-एक कर नेता पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टियों में जा रहे है। पंजाब में कैप्टन और जाखड़ परिवार पहले ही कांग्रेस को छोड़ गया था।

By Inderpreet Singh Edited By: Himani Sharma Updated: Sun, 21 Apr 2024 09:09 PM (IST)
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पार्टी में बढ़ते असंतोष को काबू पाने में बेबस हुई कांग्रेस (फाइल फोटो)
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने पहली बार मजबूत संगठन का दावा किया। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग का दावा था कि पार्टी का पहली बार बूथ स्तर तक संगठन तैयार किया गया। टिकटों के बंटवारे की शुरूआत होने तक कांग्रेस के संगठन से लेकर नेताओं में बिखराव देखने को मिल रहा है।

कांग्रेस के एक-एक कर नेता पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टियों में जा रहे है। पार्टी में बढ़ते असंतोष को पाने में कांग्रेस बेबस नजर आ रही है। क्योंकि पार्टी में अब उस कद के नेता की कमी देखी जा रही है, जिसकी बात पर सभी विश्वास कर सके।

कैप्टन और जाखड़ परिवार छोड़ चुके हैं कांग्रेस

पंजाब में कैप्टन और जाखड़ परिवार पहले ही कांग्रेस को छोड़ गया था। जबकि लोक सभा चुनाव के दौरान स्वर्गीय बेअंत सिंह परिवार के रवनीत बिट्टू और 70 वर्षों से अधिक समय तक कांग्रेस के साथ रहे दोआबा के चौधरी परिवार भी पार्टी छोड़ कर भाजपा में चला गया। चौधरी परिवार लंबे समय तक दोआबा में दलित राजनीति का झंडा बुलंद किए हुए था। इसके अतिरिक्त गुरप्रीत जीपी और डॉ. राजकुमार चब्बेवाल जैसे नेता भी कांग्रेस छोड़ आप से उम्मीदवार बन गए।

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टिकट बंटवारे के दौरान नेताओं का अपनी पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी में जाने का सामना भले ही सभी पार्टियों ने किया हो लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ा है। पंजाब की राजनीति में स्थापित परिवार ही कांग्रेस को छोड़ कर जा रहे है।

दोआबा में दलित राजनीति का वर्षों तक झंडा उठाने वाले चौधरी परिवार की करमजीत कौर भाजपा में जा चुकी है। जबकि करमजीत कौर के पति व पूर्व सांसद चौधरी संतोख सिंह का निधन ही राहुल गांधी की देश बचाओ यात्रा के दौरान हुई थी।

असंतोष को संभालने में विफल साबित हो रही पार्टी

अहम बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के अंतर उत्पन्न होने वाले असंतोष को संभालने में विफल साबित हो रही है। प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग का कद कैप्टन अमरिंदर सिंह या सुनील जाखड़ की तरह नहीं है। वड़िंग भले ही प्रदेश प्रधान हैं लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता उन पर भरोसा नहीं जताते। राजा वड़िंग युवा है और उर्जावान भी लेकिन वरिष्ठ और युवाओं के बीच संतुलन नहीं बैठा पाते है।

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कमोवेश यही स्थिति विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा की भी है। यही स्थिति कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव का भी है। अभी तक कांग्रेस पंजाब में हमेशा ही भारी-भरकम कद वाले प्रभारी लगाती रही है। फिर चाहे आशा कुमारी हो या हरीश रावत या फिर हरीश चौधरी। देवेंद्र यादव का कद इन नेताओं के बराबर का नहीं है। यही कारण है कि एक-एक कर बड़े चेहरे पार्टी छोड़ कर जा रहे है और कांग्रेस उसे रोकने में बेबस साबित हो रही है।

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