पंजाब के उद्योगों को बड़ी राहत, अब भूजल दोहन के लिए मंजूरी जरूरी नहीं, वाटर अथॉरिटी की खास स्कीम
केंद्रीय जल बोर्ड ने पंजाब के उद्योगों को बड़ी राहत दी है। अब उद्योगों को भूजल के दोहन के लिए केंद्रीय जल बाेर्ड से मंजूरी लेेने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए पंजाब वाटर रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने एक स्कीम शुरू की है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 12 Nov 2020 04:19 PM (IST)
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में नए उद्योग स्थापित करने के लिए अब केंद्रीय जल बोर्ड से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है, अब यह अनुमति पंजाब वाटर रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी से ही मिलेगी। गिरते भूजल को बचाने के लिए इसी साल बनाई अथॉरिटी ने भूजल के लिए नए निर्देश जारी करके आम लोगों से इस पर ऐतराज मांगे हैं ताकि इन्हें जल्द से जल्द अधिसूचित किया जा सके।
पंजाब वाटर रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने जारी किए निर्देश, आम लोगों से मांगे ऐतराजअथाॅरिटी के सेक्रेटरी अरुणजीत मिगलानी ने ये निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अब व्यवसायिक और औद्योगिक कामों के लिए भूजल दोहन बिना इस अथॉरिटी की अनुमति के नहीं निकाला जा सकेगा। इन दोनों सेक्टर्स के लिए अब भूजल के दोहन की मीटरिंग की जाएगी और उसके चार्जेस भी तय कर दिए गए हैं।
अथॉरिटी ने भूजल दोहन से फिलहाल घरेलू और खेती सेक्टर को बाहर रखा है। अथॉरिटी ने पूरे राज्य को तीन भागों में बांट दिया है। पहले क्षेत्र में ग्रीन जोन आता है जहां पानी का स्तर काफी ऊपर है इसमें राज्य के २९ ब्लॉक आते हैं। दूसरा पीला जोन है जहां पानी का स्तर संतोषजनक है लेकिन पानी का दोहन रीचार्ज के मुकबाले ज्यादा है।
इस जोन में 65 ब्लॉक आते हैं। गंभीर स्थिति वाले ब्लॉकों को ऑरेंज जोन में रखा गया है। यहां रीचार्ज के मुकाबले दोगुणा से ज्यादा पानी निकाला जा रहा है। जोन के हिसाब से ही पानी को निकालने के रेट तय किए गए हैं। यानी ग्रीन जोन में पानी निकालना सस्ता होगा जबकि ऑरेंज में यह महंगा रखा गया है ताकि यहां से और ज्यादा पानी न निकाला जा सके।
बचत पर मिलेगी राहतइन निर्देशों में सबसे अहम बात यह है कि अगर निर्धारित मात्रा से पानी कम निकाला जाएगा और भूजल को रीचार्ज करने की योजना पर इंडस्ट्री काम करेगी तो उन्हें रेट में राहत दी जाएगी। प्रस्तावित निर्देशों में कहा गया है कि जिन औद्योगिक यूनिटों ने केंद्रीय भूजल अथॉरिटी से अनुमति ली हुई है वह फिलहाल लागू रहेंगी लेकिन जैसे ही राज्य भूजल थॉिरटी की गाइडलाइंस नोटिफाई हो जाएंगी, सभी को नए सिरे से अनुमति लेनी होगी।
फिलहाल कमर्शियल और इंडस्ट्रियल में पानी के उपयोग के लिए लगाए जाएंगे चार्जेस, खेती, घरेलू सेक्टर बाहरअथॉरिटी ने भूजल दोहन के चार्जेस भी प्रस्तावित किए हैं लेकिन ये तभी लागू होंगे जब राज्य सरकार इन्हें एक्ट की धारा 17(5) के अधीन मंजूरी दे देगी। इसे दो भागों में बांटा गया है। पहले में सभी जोन में प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से शुलक निर्धारित होगा। दूसरे में संबंधित इंडस्ट्री ने जितना पानी बचाया, उस राहत को बिल में से काटकर उसका कुल बिल बनाया जाएगा।
अथॉरिटी की ओर से प्रस्तावित चार्जेसजोन पानी की उपयोग मात्राऑरेंज - 8 रुपये प्रति एक हजार लीटर - सीमा दस हजार लीटर। 18 रुपये प्रति एक हजार लीटर - सीमा दस से एक लाख लीटर। 22 रुपये प्रति एक हजार लीटर - एक लाख लीटर से ऊपर।येलो जोन- 6 रुपये प्रति एक हजार लीटर - सीमा दस हजार लीटर।
14 रुपये प्रति एक हजार लीटर - सीमा दस से एक लाख लीटर। 18 रुपये प्रति एक हजार लीटर - एक लाख लीटर से ऊपर। ग्रीन जोन - 4 रुपये प्रति एक हजार लीटर - सीमा दस हजार लीटर। 10 रुपये प्रति एक हजार लीटर - सीमा दस से एक लाख लीटर। 14 रुपये प्रति एक हजार लीटर - एक लाख लीटर से ऊपर।
यदि इंडस्ट्री पानी बचाने के अपने लक्ष्य को पूरा करेगी तो उन्हें रेट में राहत दी जाएगी। तब यह रेट ऑरेंज जोन में क्रमश: 4 रुपये , 12 रुपये और 14 रुपयेयेलो जोन में 3 रुपये, 10 रुपये और 12 रुपये होंगे।ग्रीन जोन में 2 रुपये, 7 रुपये और दस रुपये होगा।इंडस्ट्री के लिए राहत क्योंअथॉरिटी के सचिव अरुणजीत मिगलानी ने कहा कि यह इंडस्ट्री के लिए बड़ी राहत है क्योंकि इस समय मौजूदा इंडस्ट्री को अपने विस्तार और नई इंडस्ट्री को अपने यूनिट ऑरेंज जोन में स्थापित करने में दिक्कत आ रही है। केंद्रीय भूजल अथाॅरिटी अब विस्तार और नए यूनिट लगाने की इजाजत नहीं देती लेकिन हमने इसकी इजाजत पानी को बचाने की शर्त पर दे दी है। उन्होंने बताया कि भूजल दोहन के रूप में जो भी पैसा आएगा, वह पानी को रीचार्ज करने, उसे संभालने आदि पर ही खर्च किया जाएगा।
12 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट हैं लंबितजिक्र योग्य है कि जिन 29 ऑरेंज ब्लॉकों में इंडस्ट्री लगाने के लिए उद्योगपतियों ने आवेदन किए हुए हैँ वहां केंद्रीय भूजल अथॉरिटी अब अनुमति नहीं दे रही है। राज्य के सीनियर आईएएस अधिकारी ने बताया कि पानी की ज्यादा मांग वाले 12 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट लंबित हैं। अब पंजाब की अपनी अथॉरिटी बनने से इन प्रोजेक्ट्स को भी अनुमति मिलने के अासार हैं।
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