Punjab Politics: SAD से गठबंधन के लिए सुरक्षित राह की तलाश में जुटी BJP, किसान आंदोलन के चलते नहीं हो पा रही घोषणा
Punjab Politics पंजाब में शिअद और भाजपा का साथ आना तय है। गठबंधन की घोषणा के लिए दोनों पार्टी सुरक्षित राह की तलाश में जुटी हैं। शिरोमणि अकाली दल पंजाब में सिख पंथ और किसान का चेहरा रहा है। 2020 में तीन कृषि कानून के कारण ही अकाली दल ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया था। गठबंधन तोड़ना शिअद को रास नहीं आया।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी ने 18 राज्यों के 195 लोक सभा उम्मीदवारों की घोषणा कर 2024 के लोक सभा चुनाव का शंखनाद फूंक दिया है। इन 18 राज्यों की सूची में पंजाब को स्थान नहीं दिया गया है।
इसका मुख्य कारण पंजाब में भाजपा के सबसे पुराने सांझेदार शिरोमणि अकाली दल के साथ पुन: गठबंधन नहीं होने को बताया जा रहा है। भाजपा और शिअद के बीच गठबंधन में सबसे बड़ा पेंच किसानी संघर्ष है। जोकि राज्य में 13 फरवरी से चल रहा है।
पंजाब में शिअद किसानों का रहा चेहरा
अकाली दल गठबंधन से पहले भाजपा से सुरक्षित राह की मांग कर रहा है। ताकि पंथ के साथ-साथ किसानी का उसका चेहरा भी बरकरार रहे। भाजपा भी कमोवेश इसके लिए तैयार दिख रही है। शिरोमणि अकाली दल पंजाब में सिख पंथ और किसान का चेहरा रहा है। 2020 में तीन कृषि कानून के कारण ही अकाली दल ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया था। गठबंधन तोड़ना शिअद को रास नहीं आया।
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पार्टी 2022 के विधान सभा चुनाव में मात्र 3 सीटों पर सिमट कर रह गई। लोक सभा चुनाव को लेकर दोनों ही पार्टियों में गठबंधन की बातचीत सिरे चढ़ ही गई थी कि उसी समय पंजाब में एमएसपी, किसानों को पेंशन देने जैसे मुद्दे को लेकर दो किसान संगठनों ने आंदोलन की शुरूआत कर दी। जबकि 13 फरवरी को गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए सुखबीर बादल दिल्ली पहुंच गए थे।
किसानों की वजह से नहीं हो पा रहा गठबंधन
किसानी संघर्ष के बीच शिअद भाजपा के साथ गठबंधन करने का जोखिम नहीं उठा पा रही है। क्योंकि उसे डर है कि गठबंधन करने से ग्रामीण क्षेत्र में संदेश गलत चला जाएगा। यही कारण है कि शिअद भाजपा से सुरक्षित राह की मांग कर रही है। ताकि वह किसानों को यह संदेश दे सके कि किसानी के लिए उसने भाजपा के साथ पुन: गठबंधन किया है। क्योंकि पंथक मोर्चे पर भाजपा पहले ही शिअद को राहत दे चुकी है।
गठबंधन की संभावनाओं को देखते हुए भाजपा ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव को टाल दिया। वहीं, महाराष्ट्र सरकार द्वारा तख्त श्री हजूर साहिब नादेड़ महाराष्ट्र के 1956 के एक्ट में किए गए बदलाव पर रोक लगा दिया था। अब शिअद भाजपा से किसानी मुद्दे पर सुरक्षित राह मांग रही है।
भाजपा की है पूरी तैयारी
वहीं, भाजपा भी इसके लिए तैयार दिख रही है। जिसकी शुरूआत रविवार को भाजपा के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कर दी। जाखड़ ने किसानी संघर्ष पर ही सवाल खड़े कर दिया। उनका कहना है ‘पंजाब में जब एमएसपी लागू है तो फिर किसके लिए संघर्ष किया जा रहा है।
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आखिर पंजाब के किसान क्यों बॉर्डर पर बैठे है और हमारे युवा मर रहे है।’ अहम बात यह है कि किसानी संघर्ष शुरू होने के बाद से ही भाजपा ने चुप्पी साध रखी थी। वहीं, 195 लोक सभा सीटों के लिए उम्मीदवार की घोषणा होने के साथ ही भाजपा आक्रामक रूप से सामने आ गई है। ताकि अकाली-भाजपा गठबंधन की अड़चनों को जल्द से जल्द दूर किया जा सके।