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पंजाब लोकसभा चुनाव में भाजपा को हु्आ भारी नुकसान, क्‍या फिर गठजोड़ की राह पर हैं शिअद और बीजेपी?

पंजाब में लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुत नुकसान झेलना पड़ा। अब भाजपा के रवनीत बिट्टू ने अपने बयान से ये साबित कर दिया है कि एक बार फिर भाजपा और शिअद फिर से गठबंधन की राह पर हैं। इन संसदीय चुनाव में किसानों की नाराजगी के कारण भाजपा को बड़ा झटका लगा है। पार्टी हर हालत में इसे सुधारना चाहती है।

By Inderpreet Singh Edited By: Himani Sharma Updated: Sat, 15 Jun 2024 03:52 PM (IST)
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फिर से गठबंधन की राह पर शिअद और भाजपा (फाइल फोटो)
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में तीन दशक से जेलों में बंद आरोपितों की सजा माफ करने संबंधी विपरीत स्टैंड लेकर बैठे उनके पोते रवनीत सिंह बिट्टू के अचानक अपना स्टैंड बदलने को राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई है।

हालांकि बिट्टू के बयान को लेकर कांग्रेस कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है लेकिन उनमें हैरत इस बात को लेकर जरूर है कि भाजपा में जाते ही अचानक बिट्टू के स्वाभाव में ऐसा क्या परिवर्तन हुआ है कि बेअंत सिंह की हत्या करने वालों को माफी देने के मामले का विरोध करते नजर आ रहे हैं। बिट्टू अचानक से कहने लगे हैं कि अगर भारत सरकार उन्हें छोड़ देती है तो वह इसका विरोध नहीं करेंगे।

दोनों दल आ सकते हैं साथ

आखिर इस बयान के पीछे क्या है? जानकारों का मानना है कि संसदीय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को एक भी सीट न मिलने और शिरोमणि अकाली दल के ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने के चलते दोनों दलों की ओर से एक बार फिर से एकजुट होने की कवायद हो सकती है। चूंकि ऐसा करने से पहले गठजोड़ की राह में पड़े उन कांटों को निकालना जरूरी है जिनके बने रहने से इस राह पर चलना मुश्किल है।

संसदीय चुनाव से पहले भी चली थी गठजोड़ की बात

काबिले गौर है कि संसदीय चुनाव से पहले भी दोनों दलों के बीच गठजोड़ करने की बात चली थी लेकिन बंदी सिखों और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर किसानों के चल रहे आंदोलन को लेकर शिरोमणि अकाली दल इस बात की हिम्मत नहीं जुटा सका कि वह भाजपा के साथ जाए। ये दोनों मुद्दे उसके कोर वोट बैंक से जुड़े हुए हैं। दोनों दल अलग अलग जरूर लड़े लेकिन मतदाताओं को यह भरोसा देने में असफल रहे कि चुनाव के बाद भी दोनों अलग-अलग ही रहेंगे।

कांग्रेस की ओर गया पंथक वोट

ग्रामीण हलकों में पंथक वोट बैंक भी कांग्रेस की ओर चला गया क्योंकि वह लगातार भाजपा का विरोध कर रहे थे। प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक डॉ मनजीत सिंह का मानना है कि पूरा चुनाव ही मोदी के पक्ष में या विरोध में था। ऐसे में जो लोग मोदी के विरोध में थे उनके सामने बड़ा विकल्प कांग्रेस ही बचा था इसलिए न तो उन्होंने आप को खुलकर वोट दिया जो इंडी गठबंधन का एक छोटा सा हिस्सा था और न ही शिअद को , जो किसी समय एनडीए का मजबूत हिस्सेदार था।

पूर्व शिअद ने बंदी सिखों की रिहाई की चलाई थी मुहिम

चुनाव से पूर्व शिअद ने बंदी सिखों की रिहाई के लिए बड़ी मुहिम चलाई थी लेकिन इसका फायदा उन्हें नहीं मिला बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या करने वाले बेअंत सिंह के बेटे सबरजीत सिंह खालसा जैसे लोगों को मिल गया। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में भी बलवंत सिंह राजोआणा, जगतार सिंह हवारा, जगतार सिंह तारा और परमजीत सिंह भ्यौरा जैसे लोग तीन दशकों से जेलों में बंद हैं।

श्री गुरु नानक देव जी के 550 साला प्रकाशोत्सव पर केंद्र सरकार ने दशकों से जेलों में बंद युवाओं को छोड़ने संबंधी अधिसूचना भी जारी की थी लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। जब केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया था तब भी रवनीत बिट्टू ने इसका जोरदार विरोध किया था।

शिवराज चौहान ने सौ फीसदी खरीद सुनिश्चत करने संबंधी दिया था बयान

इसी प्रकार से सभी फसलों पर एमएसपी को लेकर पिछले चार महीनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। नई सरकार बनते ही कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी दालों की सौ फीसदी खरीद सुनिश्चत करने संबंधी बयान दिया है। क्या यह बयन किसानों के गुस्से को कम करने में सहायक होगा? ये देखना दिलचस्प होगा। पंजाब में हालांकि दालों के अधीन ज्यादा रकबा नहीं है लेकिन अगर दालों पर एमएसपी मिलती है तो कम से कम वे किसान दालें उगाने की ओर जा सकते हैं जिनके पास सिंचाई के साधनों की कमी है।

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अगर ये दोनों मुद्दे हल होते हैं तो शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी एक दूसरे के करीब जा सकते हैं क्योंकि संसदीय चुनाव के परिणामों से यह स्पष्ट हो गया है कि कि अगर दोनों पार्टियों अलग-अलग लड़ती हैं तो दोनों के हिस्से में कुछ भी नहीं आएगा। ऐसे में फिर से गठबंधन की राह निकालने के लिए इस प्रकार बयान को वाटर टैस्टिंग के रूप में देखा जा सकता है। इन संसदीय चुनाव में किसानों की नाराजगी के कारण भाजपा को बड़ा झटका लगा है। पार्टी हर हालत में इसे सुधारना चाहती है।

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