Punjab: CM तीर्थ यात्रा योजना को चुनौती, HC ने नोटिस जारी कर 12 दिसंबर तक मांगा जवाब; कहा- 'राज्य सरकार रखे अपना पक्ष'
पंजाब में शुरू हुई मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना पर राज्य सरकार को हाई कोर्ट ने चुनौती दी है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 12 दिसंबर तक जवाब मांगा है। बता दें होशियारपुर के रहने वाले सोशल वर्कर परविंदर सिंह कित्तणा ने वकील एच सी अरोड़ा से योजना के खिलाफ याचिका दर्ज कराई। आरोप लगाया गया कि यह पैसा विकास के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Sat, 02 Dec 2023 12:41 PM (IST)
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। हाल ही में शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका में हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायाधीश निधि गुप्ता की पीठ ने दायर जनहित याचिका में पंजाब सरकार को 12 दिसंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से यह भी पूछा है कि क्यों न वह इस योजना पर रोक लगा दे।
होशियारपुर निवासी ने दी चुनौती
होशियारपुर निवासी परविंदर सिंह किटना ने अपने वकील एचसी अरोड़ा के माध्यम से पंजाब राज्य सरकार द्वारा 27 नवंबर 2023 को शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना को चुनौती दी। इस योजना में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 13 सप्ताह की अवधि के दौरान 13 ट्रेनें चलाना और प्रत्येक ट्रेन में 1000 तीर्तयात्रियो को शामिल करना शामिल है।यह भी पढ़ें: Punjab News: शुरू हुई स्वदेश वापसी, विदेश से वापस आकर युवाओं को मिल रही हैं पंजाब में नौकरियां
इसके अलावा, पंजाब राज्य के विभिन्न स्थानों से विभिन्न गंतव्यों के लिए प्रतिदिन 10 बसें और प्रत्येक बस में 43 यात्रियों को ले जाना होता है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 13 सप्ताह की अवधि की 40 करोड़ रुपये का इस योजना में खर्च शामिल है।
इससे कोई विकास या कल्याण नहीं होगा
चालू वित्तीय वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 50,000 लोगों को योजना से लाभान्वित किया जाना है। याचिकाकर्ता ने उपरोक्त योजना को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह करदाताओं के पैसे की भारी बर्बादी है और इससे कोई विकास या कल्याण नहीं होगा। बल्कि, यह योजना भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा "भारत संघ और अन्य बनाम रफीक शेख भीकन और अन्य" शीर्षक वाले फैसले में जारी निर्देशों की मूल भावना के खिलाफ है।जिसमें 2022 में मुस्लिम समुदाय के विभिन्न व्यक्तियों को हज यात्रा के लिए सब्सिडी देने में होने वाले खर्च पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह हज सब्सिडी को कम करे और 10 साल की अवधि के भीतर इसे पूरी तरह खत्म कर दे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि सब्सिडी का पैसा शिक्षा और सामाजिक विकास व अन्य उत्थान के लिए अधिक लाभप्रद रूप से उपयोग किया जा सकता है।
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