Move to Jagran APP

जरूरतमंद महिलाओं की सहारा बनी चंडीगढ़ की 181 महिला हेल्पलाइन, एक कॉल पर घर पहुंचती है टीम

चंडीगढ़ में सोशल वेलफेयर से 181 महिला हेल्पलाइन यूनिट महिलाओं को बेहतर जीवन देने की दिशा में काम कर रही है। महिला हेल्पलाइन टेलीफोनिक मदद से लेकर फील्ड विजिट करते हुए दयनीय स्थिति से उठाकर महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य और रहन-सहन तक की सुविधा देती है।

By Ankesh ThakurEdited By: Updated: Sat, 05 Mar 2022 02:27 PM (IST)
Hero Image
महिला हेल्पलाइन ने अब तक कई जरूरतमंद महिलाओं की मदद की है।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। महिलाओं को सशक्त करने के लिए आठ मार्च को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन सशक्त महिलाओं का मान-सम्मान किया जाता है, लेकिन चंडीगढ़ में सोशल वेलफेयर से 181 महिला हेल्पलाइन यूनिट ऐसी भी है जो कि महिलाओं को बेहतर जीवन देने की दिशा में काम कर रही है। महिला हेल्पलाइन टेलीफोनिक मदद से लेकर फील्ड विजिट करते हुए दयनीय स्थिति से उठाकर महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य और रहन-सहन तक की सुविधा देती है। महिला हेल्पलाइन ने अब तक ऐसे कई महिलाओं की मदद की है जिन्हें असल में मदद दरकार थी।

मानसिक रूप से परेशान 30 वर्षीय बेटी घर में रह रही थी नग्न अवस्था में

चंडीगढ़ को हर प्रकार की सुविधाओं से परिपूर्ण माना जाता है। बावजूद शहर की बेटियां और महिलाएं ऐसी परिस्थितियों का शिकार हो जाती हैं कि उन्हें मानसिक बीमारी का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही केस में 181  महिला हेल्पलाइन ने मदद की है। एक बेटी के पिता ने हेल्पलाइन पर कॉल करके बताया कि उनकी बेटी मानसिक रोगी है। बेटी नग्न अवस्था में घर के अंदर रहती है, जिसे संभालना मुश्किल है। पिता के नाते मैं उसे इस हालत में नहीं देख सकता। हेल्पलाइन टीम के पहुंचने पर पता चलता है कि बेटी मानसिक परेशानी से ग्रस्त है। मानसिक रूप से ग्रस्त होने का एक कारण सौतेली मां थी। बेटी मानती थी कि उसकी मां उसे प्यार नहीं करती। जिसका डर उसके दिल में था और वही डर उसे मानसिक रोगी बना चुका था।

नेपाल से चंडीगढ़ पहुंची तीन युवतियों को पहुंचाया घर

नेपाल से नौकरी की तलाश में तीन युवतियां चंडीगढ़ पहुंच गई। काम तो कोई मिला नहीं लेकिन स्थिति ऐसी हो गई कि खाने के लिए पैसे तक नहीं बचे। महिला हेल्पलाइन को उन्होंने बताया कि वह तीनों नेपाल से भारत किसी के साथ आई थी। चंडीगढ़ लेकर आने वाला व्यक्ति उन्हें यहां छोड़कर भाग चुका है। युवतियों को वापस जाने का रास्ता, साधन और शहर में नौकरी भी नहीं थी। करीब छह महीने काम करने के बाद 181 हेल्पलाइन ने तीनों के उनके घर वापस नेपाल पहुंचाया।

मां की भूमिका भी निभा रहा हेल्पलाइन

हेल्पलाइन पर कॉल आती है कि 60 वर्षीय मां के साथ एक बेटा है जो कि नशा करके मां को मारता-पीटता है। मां बेटे का इलाज करवाना चाहती है, लेकिन वह उसे अस्पताल तक लेकर नहीं जा सकती। मां बेटे को पुलिस के हवाले नहीं करना चाहती। हेल्पलाइन मां बनकर बेटे को रेस्क्यू करवाने से लेकर इलाज तक करवा रही है और घर में अकेली रह रही मां की भी देखभाल कर रही है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।