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चंडीगढ़ प्रशासन इस साल भी नहीं बेच सके 19 शराब के ठेके, 175 करोड़ के राजस्व का हुआ नुकसान; 4 साल से हो रहा घाटा

इस साल यूटी प्रशासन बार बार नीलामी न करने के कारण 19 शराब के ठेके नहीं बेच पाया है जिस कारण प्रशासन को 175 करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हुआ है। इस बार प्रशासन शराब के ठेके न बिकने का ठिकरा पंजाब की आबकारी नीति पर फोड़ रहा है क्योंकि वहां पर शराब पर चार्ज होने वाली एक्साइज डयूटी और वैट चंडीगढ़ के मुकाबले में कम है।

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Wed, 20 Dec 2023 10:20 AM (IST)
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चंडीगढ़ प्रसासन इस साल भी नहीं बेच सके 19 शराब के ठेके
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। इस साल यूटी प्रशासन बार बार नीलामी न करने के कारण 19 शराब के ठेके नहीं बेच पाया है जिस कारण प्रशासन को 175 करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हुआ है। इस बार प्रशासन शराब के ठेके न बिकने का ठिकरा पंजाब की आबकारी नीति पर फोड़ रहा है क्योंकि वहां पर शराब पर चार्ज होने वाली एक्साइज डयूटी और वैट चंडीगढ़ के मुकाबले में कम है।

पिछले चार साल में आबकारी एवं कराधान विभाग को हुआ घाटा

लेकिन यह भी असलियत है कि प्रशासन के आबकारी एवं कराधान विभाग को पिछले चार साल में भी घाटा हुआ है।आबकारी से होने वाला राजस्व का टारगेट कभी भी प्रशासन पूरा नहीं कर पाया है।इसका खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। सेकेंड इनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं आरटीआई एक्टिवस्ट आरके गर्ग ने सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी थी जिसमे आई सूचना में यह स्पष्ट हुआ है कि साल 2019 से लेकर 2023 तक प्रशासन कभी भी अपना टारगेट का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया।

830 करोड़ रुपये कमाई का रखा था टारगेट

जबकि अब प्रशासन अगले साल लागू होने वाली आबकार नीति की खामियों को दूर करने में अभी से जुट गया है।जिस कारण हाल ही में नई आबकारी नीति के लिए प्रशासन ने स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक करने के बाद सुझाव भी मांगे थे। चालू वित वर्ष की आबकारी नीति में प्रशासन ने ठेके बेचकर 830 करोड़ रुपये की कमाई करने का टारगेट रखा था।जिसे प्रशासन पूरा नहीं कर पाया है।ऐसे में पिछले पांच साल में यूटी प्रशासन को

कोरोना के समय के बराबर हुआ इस साल घाटा

साल 2020-21 का समय कोराना का रहा।उस समय प्रशासन ने एक्साइज ने राजस्व इकट्ठा करने का टारगेट 671 करोड़ रुपये का रखा था जबकि इसके मुकाबले राजस्व 497 करोड़ रुपये इकट्ठा हुआ।उस समय 173 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।इतना ही टारगेट इस साल प्रशासन को हुआ है।जिस कारण 19 शराब के ठेके न बिकने का रहा है।

कोटा किया ट्रांसफर, ठेकेदार विरोध में

इस साल प्रशासन जो 19 शराब के ठेके नहीं बेच पाया है उनकी शराब की पेटियों का कोटा वर्तमान में काम कर रहे ठेकेदारों को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है जिसका व्हाइन कांटेक्टरस एसोसिएशन विरोध कर रही है।इसलिए ही जो प्रशासन ने नई आबकारी नीति के लिए सुझाव मांगे थे उसका भी एसोसिएशन ने बहिष्कार किया।

50 फीसदी किया था कोटा

व्हाइन कांटेक्टरस एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन सिंह कलेर का कहना है कि अंतिम नीलामी में प्रशासन ने जो बचे हुए ठेको की अंतिम नीलामी की थी उसमे कोटा 50 फीसद कर दिया था, लेकिन अब प्रशासन ने ठेके न बिकने पर कोटा शत प्रतिशत ट्रांसफर कर रहा है जिस कारण ठेकेदारों का नुकसान बढ़ जाएगा।इसलिए वह विरोध कर रहे हैं।

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पांच साल से पूरा नहीं हो सका टारगेट

पिछले पांच साल से आबकारी एवं कराधान विभाग ने कभी भी अपने टारगेट को पूरा नहीं किया है।आरटीआई द्वारा आई आडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।जिस पर प्रशासन को मंथन करना चाहिए कि हर बार वह अपनी उम्मीद के बराबर राजस्व क्यों नहीं इकट्ठा कर पाए।

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