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Chandigarh: बंदी सिखों की रिहाई के समर्थन में कट्टरपंथियों को मिला मंच, किसान संगठनों ने किया प्रदर्शन का ऐलान

Chandigarh News पंजाब के किसान संगठनों ने चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर बंदी सिखों की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है। किसान संगठन 20 फरवरी को कौमी इंसाफ मोर्चा के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Mon, 13 Feb 2023 09:47 AM (IST)
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चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर कौमी इंसाफ मोर्चा के सदस्य सातवें दिन रविवार को भी डटे रहे।

चंडीगढ़, जागरण संवाददाता। पंजाब के किसान संगठनों ने चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर बंदी सिखों की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है। किसान संगठन 20 फरवरी को कौमी इंसाफ मोर्चा के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करेंगे।

किसान संगठनों के आगे आ जाने से जहां सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं, वहीं कट्टरपंथियों को भी मंच मिलना शुरू हो गया है। शनिवार को कट्टरपंथियों ने मोहाली के एसएसपी आवास के पास खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे।

तनाव की स्थिति बरकरार

पिछले सात दिन से चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर बंदी सिखों की रिहाई को लेकर चल रहे धरने को लेकर तनाव की स्थिति बरकरार है। बंदी सिखों की रिहाई के लिए चल रहे आंदोलन में 32 किसान संगठनों ने बीते दिनों फगवाड़ा में बैठक कर निर्णय लिया है कि मोर्चा के समर्थन में मोहाली में अपना कैडर भेजेंगे

20 फरवरी को मोहाली में विरोध प्रदर्शन

जिसमें किरती किसान यूनियन, भाकियू (कादियां), भाकियू (क्रांतिकारी), भाकियू (उगराहां), पंजाब किसान यूनियन और क्रांतिकारी किसान यूनियन आदि के कार्यकर्ता शामिल होंगे।

इसे लेकर किसान संगठनों ने 20 फरवरी को मोहाली में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। किरती किसान यूनियन के रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा कि हम चाहते हैं कि सजा पूरी कर चुके सभी कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए। मोर्चा का समर्थन करना 32 किसान संगठनों का सामूहिक निर्णय था, इसलिए कोई भी इससे पीछे नहीं हट सकता है।

मोर्चा के साथ एकजुटता की बात कही

उधर भाकियू (उगराहां) को छोड़कर कई किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों और सदस्यों ने मोहाली में विरोध स्थल का दौरा किया है। भाकियू (उगराहां) हमेशा ही खालिस्तान के विचार का विरोध करता रहा है लेकिन अब अपने कैडर के दबाव में झुकते हुए इस संगठन ने भी मोर्चा के साथ एकजुटता की बात कही है।

भाकियू (उगराहां) ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि संगठन केवल बंदी सिखों ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक कैदियों, एसटी, एससी, धार्मिक अल्पसंख्यकों और माओवादियों की रिहाई की मांग कर रहा है। बंदी सिखों की रिहाई के लिए हो रहे प्रदर्शन को बीकेयू (कादियां) ने सबसे पहले समर्थन दिया था। उल्लेखनीय है कि आठ फरवरी को प्रदर्शन तब हिंसक हो गया था, जब कौमी इंसाफ मोर्चा ने बंदी सिखों की रिहाई के लिए चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास के बाहर धरना देने की घोषणा की थी।

पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक

मुख्यमंत्री आवास की तरफ बढ़ने पर चंडीगढ़ पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटन कैनन का प्रयोग किया। परंतु प्रदर्शनकारियों में शामिल निहंग सिंहों और ट्रैक्टर सवार लोगों ने बैरिकेड तोड़ दिए और भीड़ हिंसक हो गई थी। इसी दौरान पुलिस कर्मियों पर तलवार, बरछे और लाठियों से हमला कर दिया गया। किसान संगठनों के बंदी सिखों की रिहाई को लेकर जारी प्रदर्शन को समर्थन देने से सरकार की चिंता बढ़ गई है।

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