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हरियाणा को नई विधानसभा के लिए जमीन देने पर सुनील जाखड़ के विरोधी सुर, PM मोदी से की फैसला रद करने की अपील

Punjab News चंडीगढ़ में हरियाणा को अलग विधानसभा के लिए जमीन आवंटित करने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) और उनके मंत्रियों की चुप्पी पर विपक्ष ने निशाना साधा है। कांग्रेस और भाजपा ने भी केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की है। शिरोमणी अकाली दल ने इसे असंवैधानिक करार दिया है।

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 14 Nov 2024 08:49 PM (IST)
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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और हरियाणा के सीएम नायब सैनी
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। हरियाणा को चंडीगढ़ में उनके लिए अलग विधानसभा बनाने के मामले का मुद्दा फिर से गरमा गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनके अन्य मंत्रियों की खामोशी को लेकर वह विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।

हालांकि, कांग्रेस के नेता भगवंत मान के साथ-साथ केंद्र सरकार की भी आलोचना कर रहे हैं और उससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने भी प्रधानमंत्री से इस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।

सीएम मान और बीजेपी के बीच समझौता

विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा का कहना हैं कि मुख्यमंत्री भगवंत मान का बीजेपी के साथ समझौता हो गया है। तभी वह केंद्र सरकार के किसी भी फैसले का विरोध नहीं करते। यह वहीं, मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने उत्तर क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंस में न्यू चंडीगढ़ में पंजाब के लिए नए हाईकोर्ट की मांग की थी।

मुख्यमंत्री केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए चंडीगढ़ में हरियाणा को जमीन देने के फैसले का विरोध नहीं कर रहे। बाजवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी के रूप में बसाया गया था।

लेकिन आज तक पंजाब को राजधानी के रूप में यह नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को अलग राजधानी बनाने के लिए 1966 में पैसा भी दिया गया था। लेकिन उन्होंने अपनी राजधानी नहीं बनाई।

क्या बोले सुनील जाखड़

भाजपा के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा है कि यह राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान की नाकामी है। अपने इंटरनेट मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि पंजाब की राजधानी के रूप में चंडीगढ़ न केवल एक भूमि क्षेत्र है, बल्कि इससे पंजाब के लोगों की गहरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं।

पंजाब को अतीत में मिले घावों पर मरहम लगाने की कोशिश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाबियों के सामाजिक और धार्मिक उत्थान के लिए जो कदम उठाए हैं, उनके इन्हीं प्रयासों के तहत हरियाणा को चंडीगढ़ में अलग विधानसभा के लिए 10 एकड़ जमीन देने से उनके इन प्रयत्नों से पंजाब के साथ बनी निकटता को ठेस पहुंचेगी।

उन्होंने आगे लिखा, पंजाब और केंद्र/दिल्ली के बीच मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और मैं प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने और इस फैसले को रद्द करने की अपील करता हूं।

पंजाब की सभी पार्टियां एकमत थीं, मगर...

सुनील जाखड़ ने आगे लिखा है कि जिस मुद्दे पर पंजाब की सभी पार्टियां एकमत थीं, आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री की नासमझी के कारण चंडीगढ़ और पंजाब का दावा कमजोर हो गया है।

उन्होंने कहा है कि जयपुर में जब उत्तर जोनल काउंसिल की मीटिंग में केन्द्रीय गृह मंत्री के सामने हरियाणा के विधान सभा के लिये यह जमीन मांगी थी तो पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने इसका विरोध करने की बजाय पंजाब की विधानसभा के लिए भी जमीन मांगकर हरियाणा की मांग पर अपने समर्थन की मोहर लगा दी थी।

उन्होंने कहा है कि पंजाब के नौसिखिए मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा इस मुद्दे पर लिये पंजाब विरोधी स्टैंड की सजा पंजाब के लोग ना भुगते इस लिये प्रधानमंत्री इस विषय पर दखल देें और इस फैसले पर पुर्नविचार करें। उन्होने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट का अंत पंजाब दी बात जरूरी है के साथ किया है।

'हरियाणा को जमीन आवंटित करने का निर्णय असंवैधानिक'

शिरोमणी अकाली दल ने आज कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में हरियाणा को जमीन आवंटित करने का कोई भी निर्णय असंवैधानिक होगा, क्योंकि यह अनुच्छेद 3 का उल्लंघन होगा, जिसके तहत केवल संसद ही राज्य की सीमाओं को बदल सकती है।

अकाली दल के वरिष्ठ नेता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस फैसले को रदद करने का आग्रह किया और कहा कि यह पंजाब पुनर्गठन एक्ट,1966 का उल्लंघन है।

चीमा ने केंद्र शासित प्रदेश में नई विधानसभा के लिए हरियाणा को जमीन अलॉट करने के कदम को चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को खत्म करने की साजिश करार देते हुए कहा, 'यह स्पष्ट है कि हरियाणा सरकार पंजाब के खिलाफ केंद्र के साथ मिलीभगत कर रही है।'

चीमा ने पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार पर हरियाणा और केंद्र सरकार के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया। वरिष्ठ अकाली नेता ने यह स्पष्ट किया कि अकाली दल इस कदम को हरगिज सफल नही होने देगा। उन्होंने कहा, 'हम कानूनी सलाह लेंगें और जल्द ही अगली कार्रवाई की रूपरेखा भी तैयार करेंगें।'

उधर, इस मामले को लेकर भाकियू के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने भी चंडीगढ़ में एक प्रेस कान्फ्रेंस की और कहा कि हरियाणा को अलग विधानसभा के लिए जमीन देने की तैयारी इस बात का संकेत है कि पंजाब की राजधानी उससे छीनने की योजना बनाई गई है।

राजेवाल ने कहा कि ये योजनाएं इसलिए सफल रहीं क्योंकि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ से पंजाब का दावा कम करने के लिए पंजाब के लिए अलग विधानसभा बनाने की मांग की।

उन्होंने पंजाब के सभी राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि आज राजनेताओं के संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों के कारण हमारी पूंजी हमसे छिनती जा रही है। किसी भी राजनीतिक दल ने कभी भी राजधानी पर अपना अधिकार जताने का साहस नहीं किया।

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