हरियाणा को नई विधानसभा के लिए जमीन देने पर सुनील जाखड़ के विरोधी सुर, PM मोदी से की फैसला रद करने की अपील
Punjab News चंडीगढ़ में हरियाणा को अलग विधानसभा के लिए जमीन आवंटित करने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) और उनके मंत्रियों की चुप्पी पर विपक्ष ने निशाना साधा है। कांग्रेस और भाजपा ने भी केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की है। शिरोमणी अकाली दल ने इसे असंवैधानिक करार दिया है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। हरियाणा को चंडीगढ़ में उनके लिए अलग विधानसभा बनाने के मामले का मुद्दा फिर से गरमा गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनके अन्य मंत्रियों की खामोशी को लेकर वह विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।
हालांकि, कांग्रेस के नेता भगवंत मान के साथ-साथ केंद्र सरकार की भी आलोचना कर रहे हैं और उससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने भी प्रधानमंत्री से इस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
सीएम मान और बीजेपी के बीच समझौता
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा का कहना हैं कि मुख्यमंत्री भगवंत मान का बीजेपी के साथ समझौता हो गया है। तभी वह केंद्र सरकार के किसी भी फैसले का विरोध नहीं करते। यह वहीं, मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने उत्तर क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंस में न्यू चंडीगढ़ में पंजाब के लिए नए हाईकोर्ट की मांग की थी।मुख्यमंत्री केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए चंडीगढ़ में हरियाणा को जमीन देने के फैसले का विरोध नहीं कर रहे। बाजवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी के रूप में बसाया गया था।
लेकिन आज तक पंजाब को राजधानी के रूप में यह नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को अलग राजधानी बनाने के लिए 1966 में पैसा भी दिया गया था। लेकिन उन्होंने अपनी राजधानी नहीं बनाई।
क्या बोले सुनील जाखड़
भाजपा के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा है कि यह राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान की नाकामी है। अपने इंटरनेट मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि पंजाब की राजधानी के रूप में चंडीगढ़ न केवल एक भूमि क्षेत्र है, बल्कि इससे पंजाब के लोगों की गहरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं।
पंजाब को अतीत में मिले घावों पर मरहम लगाने की कोशिश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाबियों के सामाजिक और धार्मिक उत्थान के लिए जो कदम उठाए हैं, उनके इन्हीं प्रयासों के तहत हरियाणा को चंडीगढ़ में अलग विधानसभा के लिए 10 एकड़ जमीन देने से उनके इन प्रयत्नों से पंजाब के साथ बनी निकटता को ठेस पहुंचेगी।उन्होंने आगे लिखा, पंजाब और केंद्र/दिल्ली के बीच मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और मैं प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने और इस फैसले को रद्द करने की अपील करता हूं।
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