Chandigarh News किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच किसान पटका चौक पहुंच गए हैं। इस दौरान किसानों ने भगवंत मान सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सीएम भगवंत मान झूठ बोल रहे हैं। वे अपने वादों से मुकर रहे हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि सीएम बोले थे कि गांव से सरकार चलेगी लेकिन मटका चौक तक नहीं पहुंचे।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) एकता उगराहां ने सोमवार को अलग-अलग मोर्चा लगाया। एसकेएम ने सेक्टर 34 के गुरुद्वारा के सामने महापंचायत की।
बलबीर सिंह राजेवाल की अगुवाई में हुई महापंचायत लगभग 3.15 घंटे तक चली। जिसमें 32 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जबकि भाकियू एकता ग्रुप ने सेक्टर 34 से मटका चौक तक मार्च निकाला।इस मार्च में 1000 किसान शामिल थे। इस दौरान शहर में जाम की स्थिति बन गई। हालांकि, प्रशासन ने एक दिन पहले एडवाजरी जारी की थी। 18 वर्षों के बाद यह पहला मौका था जब किसान संगठनों ने चंडीगढ़ की सड़कों पर मार्च किया। किसान संगठनों के प्रदर्शन के कारण कुछ कोचिंग इंस्टीच्यूट और सेक्टर 34 के साथ लगते कुछ स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा कर दी थी।
प्रशासन ने दी धरना देने की इजाजत
भाकियू एकता उगराहां ने किसानी मुद्दों को लेकर पंजाब विधान सभा के पास धरना देने की घोषणा की थी। जिसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें शहर के केंद्रीय हिस्से सेक्टर 34 के दशहरा मैदान में धरना देने की इजाजत दे दी।18 वर्षों में यह पहला मौका था जब प्रशासन ने किसी संगठन को 34 में धरना देने की इजाजत दी हो। 18 वर्ष पहले किसान संगठनों ने मटका चौक (जहां से निकल कर ही पीजीआई या सेक्टर 16 के अस्पताल को जाते हैं) पर धरना दिया था। इस दौरान पत्थरबाजी हो गई थी।
जिसके बाद प्रशासन ने बाद में सेक्टर 25 के मैदान को धरना प्रदर्शन के लिए चिन्हित कर दिया था। प्रशासन ने 5 सितंबर तक उगराहां गुट को मोर्चा लगाने की इजाजत दी थी। जिसके बाद एसकेएम ने महापंचायत की कॉल दे दी। प्रशासन ने महापंचायत के लिए सेक्टर 34 के गुरुद्वारे के सामने स्थान दिया।
सीएम के साथ करेंगे बैठक
3.15 घंटे तक चली महा पंचायत के बाद मांगों को लेकर एक ज्ञापन मुख्यमंत्री भगवंत मान के स्पेशल प्रिंसिपल सेक्रेटरी कुमार अमित को ज्ञापन सौंपा गया। कुमार अमित ने एसकेएम के नेताओं को भरोसा दिलवाया कि जल्द ही उनकी बैठक मुख्यमंत्री के साथ करवाई जाएगी। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, रुलदू सिंह मानसा व अन्य किसान नेताओं ने कहा कि खेती संकट में है। अब आगे क्या करना है इसे लेकर जल्द ही बैठक होगी जिसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
वहीं, भाकियू एकता उगराहां ने किसानी मुद्दों को लेकर सेक्टर 34 से मटका चौक तक मार्च किया। पांच किलोमीटर के इस मार्च को पूरा करने में किसानों को तकरीबन डेढ़ घंटे का समय लगा। इस दौरान शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई। आफिस से छुट्टी का समय होने के कारण सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई।
खेती नीति बनाने का आश्वासन
इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ने मटका चौक पर किसानों को संबोधित किया। टिकैत ने कहा कि सभी किसान जत्थेबंदियां उगराहां ग्रुप के साथ है। किसान पंजाब की खेती नीति को लेकर जो मांग कर रहे है वह जायज है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए जो भी नीतियां बननी है वह किसानों का हक है।
जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि किसानों की जो मांगें है इसे लेकर पहले भी पंजाब सरकार से पहले भी बात हो चुकी है। किसानों को खेती नीति बनाने का आश्वासन दिया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। मान सरकार की भी कारपोरेट घरानों के हाथों में खेल रही है। जो अकाली और कांग्रेस की सरकारें कर रही थी वहीं आप सरकार कर रही है।
गुरमीत सिंह खुड्डियां को सौंपा मांग पत्र
मुख्यमंत्री बनने पर कहा था कि यह आम घरों के बच्चों की सरकार है, सरकार पंजाब के गांवों से चलेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं। किसानों ने एक मांग पत्र कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां को सौंपा। मंत्री ने किसान संगठनों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों को जल्द पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री से बात करूंगा। उन्होंने किसानो को आश्वासन दिया कि वह भी आप में से ही हैं इसलिए आपकी समस्याओं को समझता हूं।
बता दें कि भाकियू एकता उगराहां और पंजाब खेत मजदूर यूनियन ने 5 सितंबर तक सेक्टर 34 में पक्का मोर्चा लगा रखा है। एसकेएम के मुद्दे पंजाब में गिरता भूजल, राजस्थान से पानी की रायल्टी लेने, बासमती सहित सभी फसलों की एमएसपी सी2 प्लस 50 प्रतिशत पर खरीद करने का गारंटी कानून, किसानों की कर्जा मुक्ति, पाकिस्तान के साथ व्यापार के लिए अटारी व हुसैनीवाला बार्डर को खोलने के लिए विधान सभा में प्रस्ताव पास किया जाए।
उगराहां ग्रुप की मांगें - कृषि नीति को सार्वजनिक कर जल्द से जल्द लागू किया जाए। कृषि क्षेत्र में कारपोरेट घरानों, जगीरदारों, सूदखोरों की पकड़ को खत्म किया जाए। रोजगार की गारंटी दी जाए। रसायन मुक्त फसली पैदावार को प्रोत्साहित किया जाए। मजदूरों किसानों के कर्ज को खत्म किया जाए। आत्महत्या करने वाले किसानों को मुआवजा दिया जाए। नशे को खत्म किया जाए।
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