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Chandigarh Pollution: पच्चीस करोड़ खर्च, फिर भी प्रदूषण की चपेट में शहर; बारिश के बाद फिर गहराने लगा है जहरीली हवा का संकट

Chandigarh Pollution चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से पॉल्यूशन से निपटने के लिए पिछले तीन वर्षों में पच्चीस करोड़ व्यय किए जा चुके हैं। बावजूद इसके प्रदूषण पर लगाम कसती नजर नहीं आ रही है। बढ़ता प्रदूषण प्रशासन पर भी सवाल खड़े कर रहा है। बता दें कि यह राशि नेशनल क्लीन एयर (राष्ट्रीय स्वच्छ वायु) प्रोग्राम के अंतर्गत खर्च की गई है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 10 Feb 2024 12:13 PM (IST)
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Chandigarh Pollution: पच्चीस करोड़ खर्च, फिर भी प्रदूषण की चपेट में शहर
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। बारिश का असर खत्म होने लगा है जिस कारण शहर का प्रदूषण फिर से बढ़ने लगा है। शनिवार को एक बार फिर से  एयर क्वालिटी इंडेक्स 250 से ऊपर हो गया। ऐसे में शहर ओरेज जोन में पहुंच गया है।

गौरतलब है कि प्रशासन की ओर से प्रदूषण से निपटने के लिए पिछले तीन साल में 25 करोड़ रुपये का खर्च किए जा चुके हैं। इस कारण प्रशासन की कारगुजारी पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। शनिवार को सरकारी अवकाश होने के बावजूद सड़कों पर वाहनों की तादाद कम है इसके बावजूद प्रदूषण बढ़ रहा है जबकि मौसम विभाग ने अगले सप्ताह फिर से बारिश की उम्मीद जताई है।

प्रशासन की ओर से प्रदूषण से निपटने क लिए 24.34 करोड़ रुपये का खर्चा किया गया है। यह राशि नेशनल क्लीन एयर (राष्ट्रीय स्वच्छ वायु) प्रोग्राम के तहत खर्च की गई है।

स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत खर्च हुए 32.81 करोड़

स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 32.81 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। लोकसभा सत्र में पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्रालय की ओर से देश भर के राज्यों में प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए गए कदम और खर्च किए जाने वाले फंड की जानकारी पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है जिसके तहत चंडीगढ़ में प्रदूषण से निपटने के लिए चंडीगढ़ पर खर्च की जाने वाली राशि की जानकारी शेयर की गई है।

हाल ही में प्रशासन ने शहर के कुछ चौराहें चिन्हित किए गए हैं जहां पर धूल और पीएम10 कणों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगभग एक करोड़ की लागत से इन चौराहों पर फाग फव्वारे लगाने का फैसला लिया गया है।पीजीअाइ के पर्यावरण विशेषज्ञ डा.रविंदर खेरवाल का कहना है कि शहर में प्रदूषण बढने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां पर ईधन से चलने वाले वाहनों की तादाद सबसे ज्यादा है।

पूरे देश में खर्च किए गए हैं 6133 करोड़

मंत्रालय के अनुसार नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत इस साल 90 शहरों में 15 में एयर क्वालिटी में सुधार हआ है।रिपोर्ट के अनुसार देशभर के 24 शहरों को 9934 करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया था जिसमे से 6133 करोड़ रुपये का फंड प्रदूषण को कम करने पर खर्च हो चुका है।

जबकि 15 दिन पहले चंडीगढ़ में इतना ज्यादा प्रदूषण था कि यह देश में टाप-5 की सूची में शामिल था।जबकि चंडीगढ़ का एरिया अन्य शहरों के मुकाबले में छोटा है लेकिन इसके बावजूद फंड ज्यादा मिल रहा इसके बावजूद प्रदूषण् कम नहीं हो रहा।

एक करोड़ 19 लाख करोड़ रुपये से खरीदे वाटर स्प्रिंक्लर से हो रहा पानी का छिड़काव

शहर में कई जगह पौधे भी लगाए गए हैं।बढ़ते वायु प्रदूषण और धूल को कम करने के लिए नगर निगम ने दो नए स्प्रिंक्लर व्हीकल भी लांच किए हैं।

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनकैप) के तहत यह नए वाहन लिए गए हैं। इन वाहनों की खासियत यह है कि इनमें ट्रैकिंग सिस्टम भी पहले से ही है। एनकैप से मिले फंड का इस्तेमाल कर चार माह पहले 1.19 करोड़ रुपये से यह दो वाटर स्प्रिंक्लर वाहन खरीदे गए हैं।

अलग-अलग एरिया में धूल को कम करने के लिए यह वाहन इस्तेमाल होंगे। शहर में सस्पेंडिड पर्टिक्यूलेट मैटर (एसपीएम) और धूल को कम करने का सबसे अच्छा तरीका पेड़-पौधों और गलियों में पानी का छिड़काव करना है।

यह वाहन शहर के ज्यादा प्रदूषिण एरिया और रोड पर पानी का छिड़काव कर उसे कम करने में प्रयोग होंगे। यह स्प्रिंक्लर व्हीकल शहर का वातावरण बेहतर करने में सहयोग करेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य पत्तों पर पानी का छिड़काव कर साफ और प्रदूषण मुक्त हवा, धूल कण हटाना है। यह मशीन न्यूनतम 30 मीटर डिस्टेंस तक हवा में पानी फेंकता है। जिससे पीएम 2.5 कम होता है।

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