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Tallest Air Purification Tower: दो युवाओं के StartUp की दुनिया कायल, जानिए कैसे अनोखी टेक्नोलाजी शुद्ध करेगी चंडीगढ़ की हवा

चंडीगढ़ में 4 करोड़ रुपये का एयर प्यूरिफिकेशन टावर प्रोजेक्ट दो युवाओं का स्टार्टअप है। मनोज जेना और नितिन आहलुवालिया ने इस प्रोजेक्ट को निःशुल्क इंस्टाल किया है। पायस एयर प्राइवेट लि. कंपनी पांच साल के लिए इस प्रोजेक्ट को आपरेट और मेंटेन करेगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Wed, 08 Sep 2021 03:43 PM (IST)
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चंडीगढ़ के ट्रांसपोर्ट चौक पर भारत का सबसे ऊंचा एयर प्यूरिफिकेशन टावर लगाया गया है। जागरण
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। शहर के ट्रांसपोर्ट चौक पर तैयार किए गए एयर प्यूरीफिकेशन टावर की दुनिया कायल हो गई है। कई शहरों में अब ऐसे ही टावर लगाए जाने की प्लानिंग शुरू हो गई है। पंचकूला ने तो काम भी शुरू कर दिया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 4 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट दो युवाओं का स्टार्टअप है, जो उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से बिना कोई पैसा लिए निःशुल्क तैयार किया है। मनोज जेना और नितिन आहलुवालिया ने इस प्रोजेक्ट को एक स्टार्टअप के तौर पर इंस्टाल किया है। पायस एयर प्राइवेट लि. कंपनी के इन फाउंडर्स ने स्टार्टअप इंडिया के तहत इसे रजिस्टर्ड कराया है। यह कंपनी पांच साल के लिए इस प्रोजेक्ट को आपरेट और मेंटेन करेगी। इसका कोई खर्च प्रशासन को नहीं देना होगा। मनोज जेना ने बताया कि इस टावर के आपरेशन में किसी व्यक्ति की मौजूदगी जरूरी नहीं है। यह ऑटोमेटिक है और टैब से कंट्रोल और आपरेट होता है। मनोज ने बताया कि रिकार्ड समय में यह प्रोजेक्ट पूरा किया है।

इस तरह शुद्ध की जाती है हवा

कंपनी का दावा है कि देश का सबसे ऊंचा यह एयर प्यूरीफायर टावर ट्रांसपोर्ट चौक के 500 मीटर रेडियस को कवर करता है। प्रदूषित हवा जाल लगे चैंबर से अंदर जाती है। फिर, विभिन्न तरह की प्रदूषित हवा पर कई नोजल स्प्रे से पानी डाला जाता है। इससे सभी हैवी पॉल्यूटिड एयर पर्टिकल्स बहकर ड्रेन ट्यूब में चले जाते हैं और वाटर टैंक में एकत्र होते रहते हैं। इसके बाद प्यूरीफाई हो चुकी हवा को वापस वातावरण में छोड़ दिया जाता है।

टावर में लगी है फिल्टरलेस टेक्नोलॉजी

यह फिल्टरलेस टेक्नोलॉजी वाला टावर है। इससे पहले जो एयर प्यूरीफायर रहे हैं, उनमें फिल्टर होते थे। फिल्टर को बार-बार साफ करना पड़ता था। लेकिन इसकी खासियत यही है कि फिल्टर हैं ही नहीं। इस टेक्नोलाजी को कंपनी ने पेटेंट कराया है। इसमें नोजल स्प्रे और फैन का इस्तेमाल किया गया है।

आठ करोड़ क्यूबिक फीट हवा साफ

अभी तक यह एयर प्यूरीफिकेशन टावर 8 करोड़ क्यूबिक फीट हवा साफ कर चुका है। यह टावर रोजाना 18 घंटे काम करेगा। इस दौरान रोजाना 3.88 करोड़ क्यूबिक फीट हवा यह इनटेक करके साफ करेगा।

जानिए, इनलेट और आउटलेट हवा में कितना पड़ता है फर्क

कैटेगरी                एयर क्वालिटी इनलेट                    एयर क्वालिटी आउटलेट

पीएम 2.5             55                                           17 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

पीएम 10              97                                            21 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

एसओ-2               0.7                                           0.4 पीपीएम

एनओ-2               0.9                                             0.6 पीपीएम

इनलेट एयर टेंपरेचर 31                                      आउटलेट एयर टेंपरेचर 10 डिग्री सेल्सियस

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