देश के वीर शहीदों को यादों को सहेज रहा चंडीगढ़ का टैरेस गार्डन, पार्क में बना खास शहीदी स्मारक
पार्क में बनाए गए शहीदी स्मारक में 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सेपर तारा चंद का नाम है। सेपर तारा चंद जाट रेजिमेंट के सिपाही थे। वहीं दूसरा नाम सेपर नंद लाल जो कि पंजाब रेजिमेंट में थे।
By Ankesh ThakurEdited By: Updated: Tue, 25 Jan 2022 01:57 PM (IST)
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की सुंदरता में शहर के पार्क चार चांद लगाते हैं। शहर के पार्क जहां सुंदरता और हरियाली को बढ़ा रहे हैं वहीं देश का इतिहास और संस्कृति को भी सहेज रहे हैं। सेक्टर-33 स्थित टैरेस गार्डन शहर का ऐसा पार्क है जहां फूलों की विभिन्न किस्मों के साथ 1948 से लेकर 2000 तक देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले देश के शहीदों की यादों और देश के नृत्यों की कलाकृतियों काे भी सहेज रहा है।
पार्क के अंदर बने शहीदी स्मारक की खासियत यह है कि इसमें उन शहीदों के नाम लिखे गए हैं जिन्हें इतिहास भूला चुका है या फिर उन्हें कोई जानता नहीं चाहता। उन्हीं शहीदों के नाम और शहादत को जिंदा रखने के लिए पार्क के अंदर शहीदी स्मारक में शहीदों के नाम लिखे हैं। पार्क की स्थापना 1979 में हुई थी। यह खाली और जंगल एरिया था, प्रशासन और नगर निगम ने लैंडस्केपिंग करके इसे पार्क का रूप दिया है।
गुलदाउदी की विभिन्न किस्मों के लिए जाना जाता है टैरेस गार्डनटैरेस गार्डन 100 एकड़ एरिया में फैला हुआ है, जिसमें 100 के करीब गुलदाउदी फूल की किस्में हैं। यह फूल लाल से लेकर पीले और नीले रंग के हैं। फूलों की इस खूबसूरती को निहारने के लिए शहर के लोग सुबह और शाम यहां सैर करने के लिए पहुंचते हैं। इसके अलावा फोटोग्राफी के शौकीन लोग भी यहां पर आते हैं। फूलों की खूबसूरती को देखते हुए नगर निगम चंडीगढ़ हर साल दिसंबर महीने में गुलदाउदी शो का भी आयोजन करता है, जिसमें फूलों की कई किस्में डिसप्ले की जाती हैं।
इन शहीदों ने दी देश के लिए कुर्बानीपार्क में बनाए गए शहीदी स्मारक में 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सेपर तारा चंद का नाम है। सेपर तारा चंद जाट रेजिमेंट के सिपाही थे। वहीं दूसरा नाम सेपर नंद लाल जो कि पंजाब रेजिमेंट में थे। सेपर नंद लाल 1988 में तमिलनाडू में हुए पवन आपरेशन में शहीद हुए थे। पवन आपरेशन लिट्टों के खिलाफ था। उस समय श्रीलंका से लिट्टे समर्थक जाफना यूनिवर्सिटी में घुसे थे। उस समय यूनिवर्सिटी के अंदर बंधकों को छुड़ाने की जिम्मेदारी पंजाब और असम रेजिमेंट को दी गई थी। इस आपरेशन में सेपर नंद लाल शहीद हुए थे। स्मारक पर तीसरा नाम लेफ्टिनेंट राजीव संधू का है जो कि 1998 में हुए पवन आपरेशन के दौरान शहीद हुए थे। उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। इसके बाद कर्नल तेज पाल सिंह माहिल, मद्रास रेजिमेंट जो कि 1999 में आपरेशन रिहानो, कर्नल केएल गुप्ता असम राइफल से 1995 में हुए आपरेशन रक्षक, कैप्टन रोहित कौशल को 1995 में हुए आपरेशन रक्षक में शहीद हुए थे, उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल मिला है। 1995 रक्षक आपरेशन में शहीद हुए आर्टिलरी रेजिमेंट के मेजर संजय बदुनी, आर्मी सर्विस क्राप्स से हरदीप सिंह का नाम भी यहां अंकित है। इसी क्रम में बिहार रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल एसएस राणा को आपरेशन 1996 में वीरगति प्राप्त हुई थी, मेजर मोहित विग गौरखा रेजिमेंट से जो आपरेशन रक्षक, मेजर पीपीएस संधू, आर्टिलरी रेजिमेंट, 1997 में हुए आपरेशन रक्षक, आर्टिलरी रेजिमेंट से मेजर एसजेएस रंधावा, पंजाब रेजिमेंट से ब्रिगेडियर बीएस शेरगिल को आपरेशन रक्षक 2000 और आर्टिलरी रेजिमेंट से कैप्टन अतुल शर्मा एयर डिफेंस आर्टिलरी रेजिमेंट से रक्षक आपरेशन 2000 में शहीद हुए के नाम शामिल हैं।
अंडरपास में बना है शहर का नक्शाशहीदों की यादों के साथ पार्क में अंडरपास बनाया गया है जिसमें शहर का नक्शा और देश के विभिन्न लोकनृत्यों को दर्शाते हुए पेटिंग को बनाया गया है। पेटिंग में पंजाब के भंगड़े से लेकर राजस्थानी झूमर और कत्थककली, भरतनाट्यूम सहित विभिन्न नृत्यों को पेश किया गया है। इसी प्रकार से सूर्य नमस्कारम की मुद्राओं को भी अंडरपास में दर्शाया गया है।
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