पंजाब के शहरों को मिलेगा मीठा पानी, तीन शहरों में नहरी जल की सप्लाई
पंजाब के शहरों में अब मीठे पेयजल की सप्लाई की जाएगी। शहरों में नहरी पानी की आपूर्ति की जाएगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के शहरी क्षेत्रों के लोगों को पीेने का मीठा पानी मिलेगा। राज्य के शहरों में नहरी पानी की सप्लाई दी जाएगी। राज्य सरकार को विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने नहरी पानी से पेयजल देने के लिए 3508 करोड़ रुपए के लोन की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भी इस संबंध में अपनी मंजूरी दे दी है।
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने दावा किया कि अगले नौ महीनों में अमृतसर, लुधियाना और पटियाला में नए सिरे से पाइपें बिछाकर लोगों के घरों में साफ नहरी पानी उपलब्ध करवाने का काम शुरू हो जाएगा। अगले एक साल तक काफी हद तक काम मुकम्मल करके लोगों को सप्लाई होने लगेगा।
नौ माह में नए सिरे से पाइपें बिछाकर काम शुरू होगा : सिद्धू
उल्लेखनीय है कि डेवलपमेंट टैक्स को जायज ठहराते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने दावा किया था कि एशियन डेवलपमेंट बैंक से सस्ती दरों पर लोन लेने के लिए यह टैक्स लगाना जरूरी है।
सिद्धू ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को पास करवाने के लिए स्थानीय निकाय विभाग के सेक्रेटरी ए.वेणुप्रसाद और पंजाब म्युनिसिपल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी के सीईओ अजॉय शर्मा ने बीते कल केंद्रीय वित्त मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय से इसकी मंजूरी ले ली। हुडको से जहां 8 फीसद पर लोन मिलता है वहीं एडीबी से यह मात्र 2.50 फीसद पर मिला है और इसकी खास बात यह है कि अगले छह साल में इसकी कोई किश्त नहीं देनी है।
सिधवां नहर, यूबीडीसी व भाखड़ा से होगी सप्लाईसिद्धू ने शनिवार को चुनिंदा पत्रकारों से बातचीत में बताया कि लुधियाना के लिए सिंधवां नहर, अमृतसर के लिए यूबीडीसी और पटियाला के लिए भाखड़ा नहर से पानी की सप्लाई की जाएगी। लुधियाना की 16 लाख की आबादी के लिए 1468.86 करोड़, अमृतसर की 11.37 लाख की आबादी के लिए 1339.24 करोड़ और पटियाला की 4.45 लाख की आबादी के लिए 700 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
सिद्धू ने बताया कि जालंधर की अभी स्टडी चल रही है। वह भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा होगा जिसके लिए लोन अगले चरण में लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट से पंजाब की 40 फीसद आबादी कवर कर ली जाएगी।
पानी होता जा रहा जहरीलास्थानीय निकाय मंत्री ने बताया कि जमीन का पानी जहरीला होता जा रहा है जो सरकार के लिए चिंता की बात है। नीरी ने पिछले दिनों एक स्टडी करवाई तो पता चला कि पानी में बीओडी का लेवल जो 30 होना चाहिए वह 500 है, सीओडी 250 की बजाए 1550 है जबकि टीएसएस 100 के स्थान पर 1500 आ रहा है।
सिद्धू ने माना कि इंडस्ट्री का वेस्टेज नहरों में फेंका जा रहा है या फिर जमीन के नीचे डाला जा रहा है। सिद्धू ने कहा कि इस पर सख्ती की जानी चाहिए और एक एक फैक्टरी की फिजिकल जांच करवानी चाहिए। प्रोजेक्ट अगले चुनाव को देखकर नहीं, अगली पीढिय़ों को देखकर बनाए जाने चाहिए। केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्टों के अनुसार उपरोक्त सभी शहरों के भूजल का स्तर काफी गिर गया है। इसके अलावा पानी में आर्सेनिक, यूरेनियम जैसे भारी तत्व पाए जा रहे हैं जो सेहत के लिए बहुत हानिकारक हैं।