Farmers Protest: मोहाली व पंचकूला में किसानों व पुलिस के बीच टकराव, बेरिकेट्स तोड़ चंडीगढ़ पहुंचे पंजाब के किसान, अफसर खुद पहुंचे ज्ञापन लेने
पंजाब एवं हरियाणा राजभवन में जाकर राज्यपाल को ज्ञापन देने के लिए दोनों राज्यों के किसान राजभवन की तरफ कूच करने पहुंचे लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया। अफसर खुद उनसे ज्ञापन लेने मौके पर पहुंचे।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sat, 26 Jun 2021 08:00 PM (IST)
जेएनएन, मोहाली/पंचकूला। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन को सात माह पूर्ण होने पर किसान संगठनों के आह्वान पर आज पंजाब व हरियाणा के किसान अपने-अपने राज्यपालों को ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन की ओर कूच किया। पंजाब के किसान मोहाली के रास्ते चंडीगढ़ की सीमा में प्रवेश कर गए।
#WATCH | Farmers push barricades aside in Haryana's Panchkula as they march towards Governor's residence in Chandigarh to submit a memorandum seeking repeal of new farm laws pic.twitter.com/6uNRo9cn28
— ANI (@ANI) June 26, 2021
किसानों ने आठ और नौ चौक के बीच में लगाई गई बसों को भी हटाकर बैरिकेड तोड़ दिया और वह राजभवन की तरफ बढ़ने लगे। पुलिस किसी भी तरह से उन्हें कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। मोहाली बैरियर से पैदल चलकर 8 और 9 चौक पर पहुंचे किसान भी थके हुए लग रहे हैं। यहां चंडीगढ़ डिप्टी कमिश्नर मनदीप सिंह बराड़ किसानों से ज्ञापन लेने पहुंचे।
बेरिकेट्स तोड़ चंडीगढ़ में एंटर होते किसान। जागरणकिसान चंडीगढ़ में एंटर न हो सकें इसके लिए मोहाली बार्डर व पंचकूला में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। लेकिन, किसानों की संख्या को देखते हुए इंतजाम नाकाफी साबित हुए। पंचकूला में किसानों व पुलिस के बीच टकराव हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बेरिकेट्स को उखाड़ फेंका। किसान प्रदर्शनकारी आगे बढ़े। मोहाली में भी पुलिस बेरिकेट्स को तोड़कर किसान चंडीगढ़ में एंटर हो गए और राजभवन के नजदीक तक पहुंच गए। बाद में पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया और चंडीगढ़ के डीसी मौके पर ज्ञापन लेने पहुंचे।
पंचकूला में पुलिस से टकराव के बाद आगे बढ़ते किसान। जागरणहरियाणा के राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने के लिए हरियाणा के किसान शनिवार को पंचकूला में एकत्रित हुए। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी की अध्यक्षता में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने नाडा साहिब से पैदल मार्च शुरू किया तो पुलिस ने बेरिकेडिंग लगाकर किसानों को रोकने की कोशिश की। किसानों ने बेरिकेडिंग उठाकर फेंक दी।
किसान माजरी चौक पहुंचे, लेकिन पुलिस वहां पर भी किसानों को रोकने में असफल रही। शहर के अलग-अलग कोनों से होते हुए किसान शालीमार चौंक से हाउसिंग बोर्ड चौक पहुंचे। चंडीगढ़-पंचकूला बॉर्डर पर किसान धरने पर बैठ गए। पैदल मार्च के दौरान किसानों ने भारतीय मजदूर संघ के झंडे और तिरंगा उठा रखा था। राज्यपाल के एडीसी हाउसिंग बोर्ड चौक पहुंचे, जहां पर योगेंद्र यादव के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद किसान वापस लौट गए। किसानों ने शहर में लगे भाजपा के बैनर भी फाड़ दिए।
किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हरियाणा के किसानों ने अनुशासन का परिचय दिया। हमने राष्ट्रपति के नाम रोष पत्र दिया है। योजना के हिसाब से अनुशासन में रहकर प्रदर्शन किया। आगे भी किसान आंदोलन जारी रहेगा, जब तक कृषि कानून वापस नहीं किए जाते। योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए यह सौदा महंगा होता जा रहा है। किसानों ने कहा कि जो भी कुर्बानी देनी पड़ेगी, वह देंगे।यादव ने कहा कि एक सप्ताह में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बारे में बड़ी घोषणा करेंगे। गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जब तक आंदोलन जीतेंगे नहीं, तब तक संघर्ष रहेंगे। गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हठी राजा हमेशा राज भी गंवा देता है और परिवार भी, यही हाल भाजपा का होगा। यह दिन आपातकाल के 46 साल पूरे होने के तौर पर भी मनाया जा रहा है, क्योंकि तब नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगा था और इस समय भी ऐसा ही अंकुश लगाया जा रहा है। सात महीने बात भी सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। उनकी आवाज को दबाया जा रहा है।
कई जगह हुई पुलिस से कहासुनीकिसानों के प्रदर्शन के चलते भारी पुलिस बल मौजूद रहा। कुछ जगहों पर पुलिस एवं किसानों के बीच कहासुनी भी हुई। किसान कारों, ट्रैक्टरों, बाइकों पर सवार थे। किसानों ने शालीमार चौक पर लगे भाजपा के बैनर भी फाड़ दिए। किसानों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष की तस्वीर लगे बैनर फाड़ डाले। खंभों पर चढ़कर किसानों ने बैनर फाड़ दिए।
चंडीगढ़ पुलिस ने चलाई पानी की बौछारेंमोहाली से चंडीगढ़ में एंटर हो रहे किसानों पर चंडीगढ़ पुलिस ने पानी की बौछारें चलाई, लेकिन किसान आगे बढ़ते रहे। किसानों का कहना है कि वह शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने पानी की बौछारें चलाई, इससे कई लोगों की पगड़ियां उछल गई। संयुक्त किसान मोर्चा के हरविंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि किसान पिछले दस दिन से कह रहे थे कि हमारा मार्च शांतिपूर्ण है। हम राष्ट्रपति के नाम राज्यपान को यादगारी पत्र देने जा रहे हैं।
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