पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष Navjot Singh Sidhu को झटका, पहली राजनीतिक कान्फ्रेंस पर किसानों व सरकार का रेड सिग्नल
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नजोत सिंह सिद्धू ने छपार में रैली की तैयारी कर रहे थे लेकिन उन्हें किसानों ने झटका दिया है। किसानों ने रैली न करने को कहा है। साथ ही सरकार ने भी कोविड नियमों के तहत 300 से ज्यादा भीड़ पर रोक लगा दी है।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sat, 11 Sep 2021 08:04 AM (IST)
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। कांग्रेस के पंजाब प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की पहली सियासी कान्फ्रेंस पर संकट के बादल छा गए हैं। सिद्धू ने 2016 से बंद पड़े छपार (लुधियाना जिला) मेले में कान्फ्रेंस को पुन: शुरू करने का फैसला किया था। इसके लिए वीरवार को बकायदा लुधियाना जिले के विधायकों व नेताओं की एक बैठक भी हुई थी। इसमें छपार कान्फ्रेंस करवाने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया, लेकिन किसान संगठनों के विरोध के कारण अब इस कांफ्रेंस के होने की संभावनाएं खत्म हो गई है।
किसान संगठनों कह दिया है कि अगर किसान आंदोलन के दौरान अगर कोई राजनीतिक पार्टी कान्फ्रेंस करती है तो उसका विरोध होगा। किसान संगठनों ने तो अपनी तरफ से सियासी पार्टियों को अल्टीमेटम दे दिया है। वहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कोविड रिव्यू करके सियासी पार्टियों को किसी भी समारोह में 300 से अधिक लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगा दी है। ऐसे में सिद्धू के पहले सियासी कान्फ्रेंस पर संकट के काले बादल गहरा गए है।
दरअसल, कांग्रेस छपार कांफ्रेंस करके अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रही थी। पार्टी की योजना थी कि इस कांफ्रेंस में कैप्टन और सिद्धू को एक मंच पर लाकर एकजुटता का परिचय दिया जाए। बता दें, कांग्रेस ने 2016 में अंतिम बार छपार में कांफ्रेंस की थी। उसके बाद से कांग्रेस ने कभी भी छपार में अपना स्टेज नहीं लगाया। क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह इस तरह के कान्फ्रेंस के खिलाफ थे। यही कारण था कि उसके बाद कांग्रेस ने किसी भी कान्फ्रेंस में अपने स्टेज को नहीं लगाया।
इस कांफ्रेंस की जिम्मेदारी फूड एंड सप्लाई मंत्री भारत भूषण आशू को सौंपी गई थी, क्योंकि मेला उन्हीं के जिले में होता है। उनके साथ मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार कैप्टन संदीप संधू भी लगाया गया था। पार्टी के पंजाब महासचिव परगट सिंह का कहना है, किसान संगठनों के रुख के बाद अब पार्टी छपार कांफ्रेंस को लेकर फैसला लेगी। एक-दो दिनों में फैसला ले लिया जाएगा कि पार्टी कांफ्रेंस करेगी या नहीं।
हालांकि पार्टी के सूत्र बताते हैं कि किसान संगठनों के रुख के बाद अब कांग्रेस ने छपार कान्फ्रेंस को करने का विचार त्याग दिया है। वहीं, कोविड रिव्यू के दौरान जो फैसला लिया गया, उसे नजरंदाज किया गया तो कांग्रेस पर यह भी आरोप लग जाएंगे कि वह खुद ही अपनी पार्टी के आदेशों को नहीं मानती है, क्योंकि 300 व्यक्ति के साथ कांफ्रेंस करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।
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