Punjab Politics मुख्यमंत्री मान ने पूछा कि क्या हरियाणा के राज्यपाल ने नूंह हिंसा के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। मणिपुर में क्या हुआ है? क्या राज्यपाल ने कभी मणिपुर के बारे में कोई बयान दिया है? क्या मीडिया को मणिपुर के राज्यपाल का नाम पता है? क्या वहां कोई संविधान नहीं है?
By Inderpreet Singh Edited By: Mohammad SameerUpdated: Sun, 27 Aug 2023 05:30 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की शुक्रवार को अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करने की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्यपाल की यह धमकी साढ़े तीन करोड़ पंजाबियों का अपमान है। मैं ऐसी धमकियों से डरने वाला नहीं हूं।
राज्यपाल ने देश की एकता और अखंडता के लिए बेमिसाल बलिदान देने व देश को अनाज के पक्ष से आत्मनिर्भर बनाने वाले अमन पसंद और मेहनतकश पंजाबियों की भावनाओं को गहरी चोट पहुंचाई है। मैं इस पत्र को देख रहा हूं। अनुच्छेद-356 का सबसे ज्यादा खामियाजा पंजाब को भुगतना पड़ा है।
उन्होंने शनिवार को चंडीगढ़ में प्रेस कान्फ्रेंस में राज्यपाल से सवाल किया कि आखिर उन्होंने ऐसी धमकी देने की हिम्मत कैसे की। इस तरह के धमकी भरे पत्र उन्हीं राज्यों के राज्यपाल क्यों लिख रहे हैं, जहां पर भाजपा की सरकार नहीं है।
मुख्यमंत्री मान ने पूछा कि क्या हरियाणा के राज्यपाल ने नूंह हिंसा के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। मणिपुर में क्या हुआ है? क्या राज्यपाल ने कभी मणिपुर के बारे में कोई बयान दिया है? क्या मीडिया को मणिपुर के राज्यपाल का नाम पता है?
क्या वहां कोई संविधान नहीं है? मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि मैं राज्य के हितों के लिए समझौता नहीं करूंगा। मैं पंजाब का सम्मान दांव पर नहीं लगाऊंगा। मुझे नहीं पता कि ये पत्र कौन लिख रहा है, लेकिन राज्यपाल की ओर से मुझे जितने भी पत्र लिखे गए हैं, उनमें सत्ता की भूख नजर आ रही है।
अगर राज्यपाल को आदेश देने का इतना ही शौक है तो वह राजस्थान जो उनका मूल राज्य है, वहां भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बन जाएं। राज्यपाल कहते हैं कि मैं उन्हें नागपुर का बताता हूं। इसमें दिक्कत क्या है? जब आप नागपुर से हैं तो मैं और क्या कहूंगा।
राज्यपाल के नौ का जवाब दे चुका, बाकी में अभी समय लगेगा
मान ने कहा कि मुझे बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसेज के कुलपति के रूप में नियुक्त करने के लिए डा. जीएस वांडर के रूप में प्रतिभाशाली डाक्टर मिले, लेकिन राज्यपाल ने उन्हें नहीं लगाया। उन्होंने भारी बहुमत से चुनी हुई सरकार को विशेष सत्र नहीं बुलाने दिया। सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।
मैं राज्यपाल के 16 पत्रों में से नौ का जवाब दे चुका हूं। बाकी जवाब देने में अभी समय लगेगा। राज्यपाल साहब! कभी-कभी पत्रों का जवाब देने में समय लगता है। आपने जो जानकारी मांगी है, उसे इकट्ठा करने में समय लगता है। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को याद दिलाया कि विधानसभा के आठ बिलों को वह दबाकर बैठे हैं।इसमें विजिलेंस आयोग को भंग करने वाले बिल पारित किए तो एक साल से ज्यादा हो गया है। कुछ बिल पिछले नौ माह से लंबित हैं और दो बिल पिछली सरकार के लंबित हैं। इन पर सिर्फ राज्यपाल के हस्ताक्षर की जरूरत है, लेकिन अभी तक इनके जवाब नहीं दिए गए। खुद राज्यपाल चाहते हैं कि हम उनके पत्रों का उत्तर तुरंत दें।
पंजाब के आरडीएफ व जीएसटी के करोड़ों लंबित, क्या आपने कभी केंद्र को पत्र लिखा?
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं राज्यपाल से पूछना चाहता हूं कि आरडीएफ व जीएसटी आदि के करोड़ों रुपये लंबित हैं, क्या इसके लिए आपने कभी केंद्र को पत्र लिखा है। राज्यपाल ने आज तक यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि किसान सड़कों पर क्यों हैं।मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि उनकी अधिकांश मांगें केंद्र सरकार से संबंधित हैं। सरकार ने राज्य के लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार से प्रांतीय आपदा राहत कोष, जिसमें 9,600 करोड़ रुपये का फंड है, के नियमों में ढील देने के लिए कई बार मांग की है, परंतु अभी तक केंद्र ने सकारात्मक स्वीकृति नहीं दी। राज्यपाल को इस बारे में भी केंद्र सरकार के साथ बात करनी चाहिए।
राज्यपाल ने चंडीगढ़ में तैनात पंजाब काडर का एसएसपी रातों-रात पद से उतार दिया
मान ने कहा कि चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर राज्यपाल ने चंडीगढ़ में तैनात पंजाब काडर के एसएसपी को रातों-रात पद से उतार दिया और छह महीने इस पद से पंजाब को वंचित रखा गया। राज्यपाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी के मामले में भी हरियाणा का साथ दिया।वह उनके लिए वकालत कर रहे थे। जब वह नहीं रुके तो मुझे उनसे पूछना पड़ा कि क्या वह पंजाब के राज्यपाल हैं या हरियाणा के। यह कितनी हैरानी वाली बात है कि राज्य सरकार लोगों को निश्शुल्क बिजली, अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और युवाओं को रोजगार देने के एजेंडे पर दिन-रात काम कर रही है और राज्यपाल सरकार को गिराने की चालें चल रहे हैं।
शिअद ने किया मान का समर्थन
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने मुख्यमंत्री की बात का समर्थन करते हुए कहा कि हम राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के विरोध में हैं। हमारी पार्टी आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के समर्थन में है, जिसमें राज्यों को अधिक अधिकार देने की बात कही गई है।
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