कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब में 'विलेन' बनाएगी कांग्रेस, जानें क्या बनाई खास रणनीति
Punjab Assembly Election 2022 कांग्रेस ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खास रणनीति तैयार की है। पार्टी ने कैप्टन पर हमला न करने की रणनीति बदल ली है और वह उनको अब राज्य में विलेन बनाने की काेशिश में है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 25 Nov 2021 08:09 AM (IST)
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। Punjab Assembly Election 2022: कांंग्रेस ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रति अपनी नीति में बदलाव किया है। उनके खिलाफ विशेष रणनीति तैयार की है। यहीीकारएा है कि पंजाब कांग्रेस कैप्टन अमरिंदर पर सीधा हमला न करने के फैसले से पीछे हटने लगी है। दरअसल ने कभी अपनी ही राज्य सरकार के मुखिया रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह को 'विलेन' बनाने की तैयारी की है और इसके लिए पार्टी कांग्रेस सरकार के साढ़े चार साल को आधार बनाएगी। हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के लिए यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है।
कांग्रेस ने पहले कैप्टन अमरिंदर पर सीधा हमला न करने का फैसला किया था और इसी कारण केवल कांग्रेस के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी परगट सिंह और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ही कैप्टन पर हमले कर रहे थे। लेकिन, अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी कैप्टन अमरिंदर पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। हालांकि कैप्टन ने भी उसी अंदाज में चन्नी को जवाब दे दिया। कैप्टन ने साफ संदेश दियाा, ‘जिनके घर शीशे के होते हैं वे दूसरे घरों पर पत्थर नहीं फेंकते।’ मुख्यमंत्री चनी अब तक कैप्टन पर सीधा हमला करने से बचते रहे थे। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान भी चाहती है कि 2022 के विधान सभा चुनाव को देखते हुए कैप्टन को ही ‘विलेन’ बनाया जाए।
चन्नी ने मंगलवार को नवांशहर में कैप्टन पर मुख्यमंत्री रहते हुए बादलों के साथ सांठ-गांठ करने के आरोप लगाए थे। अहम बात यह है कि एक दिन पहले मुख्यमंत्री चन्नी, प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू और हरीश चौधरी की दिल्ली में पार्टी हाईकमान के साथ बैठक हुई थी। इसमें पंजाब के राजनीतिक हालातों को लेकर भी चर्चा हुई थी।
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने पार्टी के नेताओं को स्पष्ट रूप से निर्देश दिए थे कि वे कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ कोई बयानबाजी न करें। हालांकि हरीश चौधरी के इस निर्देश को सिद्धू समर्थक मंत्रियों परगट सिंह और राजा वडिंग ने नहीं माना था और वे समय-समय पर कैप्टन पर बादलों के साथ मिलीभगत करने के आरोप लगाते ही रहे थे। इस दौरान सीएम चन्नी ने कैप्टन के खिलाफ बयानबाजी से खुद को दूर रखाा। चन्नी द्वारा अब कैप्टन पर हमला करने से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि हाईकमान चाहता है कि अगर सरकार के प्रति एंटी इनकंपेंसी को कम करना है तो उन्हें कैप्टन के ऊपर आक्रामक होना ही पड़ेगा।
कांग्रेस भले ही आने वाले दिनों में कैप्टन के प्रति आक्रामक रुख अपनाए लेकिन उसकी चिंता इस बात को लेकर भी है कि कैप्अन अमरिंदर सिंह के पास काफी ऐसा 'मैटेरियल' है जिसके उजागर होने से कांग्रेस की चुनाव में परेशानी बढ़ सख्ती है। कैप्टन ने पार्टी से इस्तीफा देते सोनिया गांधी को लिखे पत्र में भी इस बात के संकेत दे दिए थे। अमरिंदर ने स्पष्ट लिखा था कि कांग्रेस के कई मंत्री व विधायक अवैध रेत खनन मामले में लिप्त थे लेकिन पार्टी की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इन नामों को उजागर नहीं किया। जबकि, उनके पास बतौर गृह मंत्री विभिन्न एजेंसियां इस बात की जानकारी भेजती थी।
वहीं, रेत-बजरी पिछले 10 वर्षों से राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। रेत-बजरी का मुद्दा जहां पिछली अकाली सरकार पर भारी पड़ा था वहीं, कांग्रेस के शासन में भी यह मुद्दा गर्म है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री चन्नी ने घोषणा की कि रेत लोगों को 5 रुपये प्रति फीट मिलेगी। हालांकि बाद में नवजोत सिंह सिद्धू ने ही कह दिया कि रेत सस्ती नहीं हुई है। वहीं, चन्नी के हमले के बाद कैप्टन ने भी इस बात के संकेत दे दिए कि वह चुप बैठने वाले नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए कह दिया कि किस प्रकार से उन्होंने अपने भाई को लुधियाना सिटी सेंटर घोटाले से बचाने के लिए बादलों के आगे समर्पण कर दिया था। ऐसे में कांग्रेस की कैप्टन पर हमला करने की नीति उनके लिए परेशानी का कारण भी बन सकती है।
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