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पंजाब में कांग्रेस ने दलित चेहरे चरणजीत चन्‍नी पर चला मास्‍टर स्‍ट्रोक , जानें चन्‍नी को चुने जाने के पांच कारण व चुनौतियां

Punjab New CM कांग्रेस ने पंजाब में दलित चेहरे पर दांव लगाकर अपना मास्‍टर स्‍ट्रोक खेला है। चरणजीत सिंह चन्‍नी को पंजाब का सीएम बनाकर कांग्रेस ने बड़ा रिस्‍क लेने के साथ ही विरोधी दलों को भी चौंका दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Mon, 20 Sep 2021 08:49 AM (IST)
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पंजाब के नए मुख्‍यमंत्री चुने गए चरणजीत सिंह चन्‍नी राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरो‍हित व कांग्रेस नेताओं के साथ।
चंडीगढ, [कैलाश नाथ]। Punjab New CM: चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब सरकार के नए ‘सरदार’ बन गए हैं। कांग्रेस ने दलित चेहरा चन्‍नी पर दांव लगाया है। यह उसका मास्‍टर स्‍ट्रोक माना जा रहा है। कांग्रेस ने चन्‍नी को पंजाब का नया सीएम बनाकर विरोधी दलों के साथ सियासी जानकारों को भी चकित कर दिया है। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के इस्‍तीफे के बाद जिस तरह पहले सुनील जाखड़ और सुखजिंदर सिंह रंधावा व पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के नाम की चर्चा चली उससे माना जा रहा था कि कांग्रेस किसी हिंदू या जट्ट सिख काे नया सीएम बनाएगी।

चमकौर साहिब से तीसरी बार चुनाव जीते चन्नी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट कर चन्नी को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुने जाने की जानकारी दी। चन्नी ने देर शाम को ही राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात करके अपना दावा पेश कर दिया। नए मुख्यमंत्री सोमवार 20 सितंबर को 11 बजे लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

खरड़ नगर काउंसिल के प्रधान पद से राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने एक तीर से कई शिकार किए है। दलित मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने करीब 35 फीसदी दलित आबादी को न सिर्फ प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की बल्कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा दलित मुख्यमंत्री का एजेंडा आगे बढ़ा की धार को भी कुंद करने की कोशिश की है। इसके साथ ही कांग्रेस ने अकाली दल द्वारा दलित उप मुख्यमंत्री की घोषणा को भी चोट पहुंचाई है। वहीं, कांग्रेस ने पंजाब में जट मुख्यमंत्री की धारणा को भी तोड़ दिया है। पंजाब में अभी तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हमेशा ही जट्ट सिख ही मुख्यमंत्री बनता रहा है।

दरअसजल मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस में शनिवार से ही खासी खींचतान चल रही थी। मुख्यमंत्री के पद को लेकर सबसे पहले सुनील जाखड़ का नाम आया था। इसका सुखजिंदर सिंह रंधावा ने विरोध किया। इसी मौके पर चन्नी ने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी थी। कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी थी।

रविवार सुबह से ही कांग्रेस पार्टी के प्रभारी व पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर विधायकों से फीडबैक ले रहे थे। इस फीडबैक में सुनील जाखड़ सबसे आगे चल रहे थे। जबकि रंधावा दूसरे नंबर पर थे। सिद्धू ने रंधावा का विरोध कर दिया। हालांकि इस बीच कांग्रेस ने अंबिका सोनी को भी पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा लेकिन उन्होंने इसे सेहत का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया।

गांधी परिवार की करीबी अंबिका सोनी ने उसी समय स्पष्ट कर दिया कि पंजाब में सिख को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। इसके बाद ही जाखड़ मुख्यमंत्री की रेस से बाहर हो गए। सिद्धू और रंधावा की खींचतान के बीच राहुल गांधी ने सोनिया गांधी के साथ भी मुलाकात की। अंततः विरोधी पार्टियों द्वारा दलित वर्ग को लेकर की गई घोषणाओं के बीच पार्टी ने चरणजीत सिंह को ही मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया।

वहीं, कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत के साथ चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू, सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत एक दर्जन से ज्यादा विधायकों के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर कांग्रेस विधायक दल का पत्र सौंप दिया। सोमवार को 11 बजे नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

चरणजीत सिंह चन्नी काे कांग्रेस द्वारा नया मुख्यमंत्री बनाने के ये हैं पांच कारण

- कांग्रेस पार्टी हिंदू और जट्ट सिख के बीच में कोई फैसला नहीं कर पा रही थी।

- कांग्रेस के जेहन में यह बात भी थी कि सिद्धू व रंधावा में से किसी को मुख्यमंत्री बनाया तो कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।

- भाजपा और शिरोमणि अकाली दल ने दलित कार्ड खेला है। कांग्रेस ने सोचा डिप्टी सीएम की बजाए दलित को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए।

- बतौर सीएलपी लीडर चन्नी ने कांग्रेस के पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी के साथ अच्छे संबंध बना लिए थे।

- दलित को मुख्यमंत्री बनाकर अकाली दल और बसपा गठबंधन की धार को भी कुंद किया जा सकता है।

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चन्नी के लिए पांच चुनौतियां

- पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को साथ लेकर चलना।

- प्रशासनिक कामकाज का अनुभव कम है।

- सीमावर्ती राज्य और गृह विभाग की जानकारी नहीं होना।

- बेअदबी, ड्रग्स मामले में कार्रवाई और निजी थर्मल प्लांटों के समझौतों को रद करना।

- मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्रियों के साथ सामंजस बैठाना।

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 विवादों से भी रहा है चन्नी का नाता

- बतौर नेता प्रतिपक्ष चरणजीत सिंह चन्नी ने तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा उनके सरकार के कार्यकाल में करवाए गए कामकाज का विवरण पूछे जाने पर चन्नी ने विधान सभा में कहा था, कैप्टन ने पंजाब की सड़कों का पैचवर्क करवाया। चन्नी के इस बयान का खासा उपहास उड़ाया गया था।

- ज्योतिष में विश्वास करने वाले चरणजीत सिंह चन्नी ने सेक्टर दो स्थिति अपने सरकारी आवास के सामने ग्रीन बेल्ट को खत्म करके सड़क बनवा दी थी। जिसके बाद विवाद हो गया था और चंडीगढ़ प्रशासन ने पुनः सड़क को खत्म करवाकर ग्रीन बेल्ट डेवलप कर दिया।

- चरणजीत सिंह चन्नी ने हाथी पर भी सवारी की थी। चर्चा तब यह थी कि उन्‍होेंने ऐसा इस विश्‍वास से किया है कि वह इससे पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

- चन्‍नी एक कथित मी-टू विवाद में भी फंसे थे। चन्नी द्वारा एक सीनियर आईएएस अधिकारी को आपत्तिजनक मैसेज भेजने का आरोप लगा था।

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