SYL नहर मुद्दे पर राजा वड़िंग ने बीजेपी पर फोड़ा ठीकरा, कहा- 'मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गई भाजपा'
एसवाईएल मुद्दे (SYL Matter) का मामला दोनों राज्यों में गर्माता ही जा रहा है इस मामले को लेकर सभी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने एसवाईएल मामले को लेकर कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। इस मामले को बीजेपी द्वारा हल किया जाना चाहिए था लेकिन वो सुप्रीम कोर्ट में ले गए।
By Jagran NewsEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Sat, 07 Oct 2023 10:45 PM (IST)
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी को एसवाईएल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। इस मुद्दे पर कोर्ट ने राजनीति न करने की बात करते हुए सकारात्मक रुख अपनाने की बात कही है। वहीं, इस मामले पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने इस मामले को लेकर बीजेपी पर तंज कसा है।
SYL मामले को कोर्ट में ले गई बीजेपी: राजा वड़िंग
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने एसवाईएल नहर मामले में कहा कि हमें इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए, हमें इसका समाधान ढूंढना चाहिए। पंजाब एक नदी तटीय राज्य है और हरियाणा नहीं है। हमें इस पर कोर्ट में चर्चा करनी चाहिए। इसे संघीय नियमों के अनुसार, भाजपा द्वारा हल किया जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने क्या किया? वे इसे सुप्रीम कोर्ट में ले गए।
ये भी पढ़ें: Passport Seva Service: पासपोर्ट मोबाइल वैन में अब आपको 20 की जगह रोजाना मिलेंगे इतने अप्वाइंटमेंट, जल्दी देखेंVIDEO | “We should not politicise this issue, we should find a solution. Punjab is a riparian state, and Haryana is not. We should discuss this in court. It was supposed to be sorted by BJP according to federal rules, but what did they do? They took it to the Supreme Court,” says… pic.twitter.com/1INoZ941tc
— Press Trust of India (@PTI_News) October 7, 2023
पंजाब बीजेपी यहां से किसी को पानी नहीं लेने देगी: सुनील जाखड़
वहीं, सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के मामले में आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि भगवंत मान के नेतृत्व में पार्टी ने पंजाब के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। पंजाब का पानी उसकी जीवनरेखा है। सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि पंजाब की अर्थव्यवस्था इस पर निर्भर है। पंजाब भाजपा यहां से किसी को पानी नहीं लेने देगी और पंजाब के पास किसी को देने के लिए पानी नहीं है। मैं पंजाब के लोगों से सतर्क रहने की अपील करता हूं।
SYL नहर विवाद क्या है?
पंजाब से हरियाणा के गठन से कुल 10 साल पहले 1955 में रावी और ब्यास के पानी का आंकलन 15.85 मिलियन एकड़ फीट (MAF) किया गया गया। फिर सरकार ने इसी साल राजस्थान, पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच एक मीटिंग बुलाई थी। इस बैठक में राजस्थान को आठ, पंजाब को 7.20 व जम्मू कश्मीर को 0.65 मिलियन एकड़ फीट पानी आवंटित किया गया था। साल 1966 में पंजाब पुनर्गठन एक्ट के बाद से पंजाब और हरियाणा दो अलग-अलग राज्य बनाए गए। हरियाणा के गठन के बाद पंजाब के हिस्से में जो 7.2 MAF पानी था। अब इसे हरियाणा के साथ बांटा गया और 3.5 MAF का हिस्सा दिया गया। वहीं, पंजाब ने राइपेरियन सिद्धांतों (Riparian Water Rights) का हवाला देते हुए दोनों नदियों का पानी हरियाणा को देने से इनकार कर दिया।ये भी पढ़ें: 'एक बूंद भी नहीं देंगे...' पंजाब-हरियाणा में नहर को लेकर लड़ाई, जानिए क्या है दशकों पुराना अनसुलझा SYL विवाद
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