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पंजाब में 6वीं से 9वीं तक के छात्रों के लिए खुशखबरी! हर महीने मिलेगा 500 रुपया; बस करना होगा ये काम

पंजाब में छठी से नौवीं तक के छात्रों के लिए डाक विभाग की दीन दयाल स्पर्श योजना के तहत हर महीने 500 रुपये की छात्रवृत्ति पाने का मौका है। इस योजना में भाग लेने के लिए छात्रों को मेधा परीक्षा पास करनी होगी। परीक्षा में डाक विभाग और डाक टिकट से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके अलावा इतिहास भूगोल विज्ञान करंट अफेयर्स खेल और संस्कृति से भी प्रश्न पूछे जाएंगे।

By Rohit Kumar Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Thu, 26 Sep 2024 04:08 PM (IST)
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दीन दयाल स्पर्श योजना के तहत हर महीने मिलेगी 500 रुपये छात्रवृति। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में छठवीं से नौवीं तक के स्टूडेंट्स के लिए हर माह छात्रवृति पाने का बढ़ियां मौका है। डाक विभाग की दीन दयाल स्पर्श योजना के तहत स्टूडेंट्स को हर माह छात्रवृति के रूप में पांच सौ रुपये दिए जाएंगे।

इस योजना में कक्षा छठवीं से लेकर नौवीं कक्षा तक के सभी छात्र छात्राएं योग्य होंगे। डाक विभाग की तरफ से इसके लिए मेधा परीक्षा का आयोजन कराया जाएगा। इस परीक्षा को पास करने वाले छात्रों को एक साल तक प्रतिमाह 500 रुपये छात्रवृति के रूप में दिए जाएंगे। जिससे बच्चों को अपनी पढ़ाई के दौरान आने वाली आर्थिक समस्याओं का सामना करने में सुविधा मिले और वे प्रोत्साहित भी होंगे।

डायरेक्टर जनरल स्कूल शिक्षा की ओर से राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी किया गया है। जिस में कहा गया है कि केंद्रीय डाक विभाग की इस योजना को लागू करने के लिए स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित किया जाए। स्टूडेंट्स इस योजना में भाग लेने के लिए फार्म जमाकर के अपने नजदीकी डाक घर में जमा करवा सकते है।

इस परीक्षा में सभी स्कूलों के विद्यार्थी भाग ले सकते हैं। डाक विभाग की दीन दयाल स्पर्श योजना में छठवीं से नौवीं कक्षा तक के मेधावी छात्र – छात्राओं को छात्रवृति दी जाएगी। यह परीक्षा 50 अंको को होगी। जिसमे डाक विभाग और डाक टिकट से संबंधित प्रश्न पूछें जायेंगे।

इसके अलावा इतिहास भूगोल विज्ञान करंट अफेयर खेल और संस्कृति से भी पांच पांच अंक के प्रश्न पूछें जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य टिकट संग्रहण की पहुंच बढ़ाने के प्रयासों को मजबूत करना है।

कम उम्र के बच्चों के बीच एक स्थायी तरीके से टिकट संग्रहण का प्रचार करना जिससे शैक्षिक पाठ्यक्रम को मजबूत और पूर्ण बनाया जा सकता है, साथ ही यदि इसे एक शौक की तरह अपनाया जाए तो यह बच्चों का तनाव कम करने में मदद कर सकता है।