'पंजाबी आ गए ओए...', दिल्ली कॉन्सर्ट में Diljit Dosanjh ने छू लिया सबका दिल; दुनिया में छा गया 'जट्ट'
दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) के संगीत का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। दिल्ली में उनके दिल-लुमिनती टूर के आगाज ने राजधानी को झूमने पर मजबूर कर दिया। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में हजारों की भीड़ उमड़ी और स्टेडियम के बाहर भी टिकट के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी रहीं। दिलजीत ने अपने गानों और शानदार परफॉर्मेंस से दर्शकों का दिल जीत लिया।
विवेक शुक्ला, चंडीगढ़। दिलजीत दोसांझ के गीतों और शख्सियत का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। इसका सुबूत था जब उन्होंने पिछली 26 अक्टूबर को अपने दिल-लुमिनती टूर के भारतीय चरण की राजधानी दिल्ली में शुरुआत की। उनके कंसर्ट को देखने के लिए जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम खचाखच भरा था।
जितना अंदर भरा था, उससे ज्यादा लोग स्टेडियम के बाहर किसी भी कीमत पर कंसर्ट का टिकट लेने के लिए खड़े थे। याद नहीं आता कि 1982 के एशियाई खेलों के लिए बने जवाहरलाल नेहरू स्टेडमयम में कभी किसी खेल या खिलाड़ी को देखने के लिए इतने दर्शक पहुंचे हों। दिलजीत ने कंसर्ट के दौरान अपने सिर पर भारतीय तिरंगा झंडा लहराया। ये देखते ही दर्शक दिल-दिल की आवाजें लगाने लगे। उसके बाद वो छा गए।
'इतनी सफलता के बाद भी पैर जमीन पर हैं'
दिलजीत दोसांझ को जानने वाले कहते हैं कि वो बहुत ‘बिबा मुंडा’ यानी प्यारा बच्चा है। सफलता उसके सिर पर चढ़कर नहीं बोलती। उसके पैर जमीन पर हैं। उसमें फूकरापन (शेखी मारने वाला इंसान) नहीं आया। उसकी लोकप्रियता केवल उसकी मधुर आवाज की वजह से नहीं है, बल्कि उसकी गीतों की गहराई, भावना और उनके संगीत के प्रति समर्पण के कारण है।उनके ‘जट्ट पैदा होया छोन वास्दे’ ( किसान पैदा होते ही छाने के लिए...) शब्दों को गौर करें। इसमें वे किसानों के एक तरह से हक में बोल रहे हैं। किस पॉप सिंगर ने उनसे पहले किसानों के हक में इतना सशक्त गीत गाया है। दिलजीत दोसांझ अपनी विनम्रता और जनता से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। वे अपने प्रशंसकों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं और उन्हें अक्सर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं।
यह भी पढ़ें- दिलजीत दोसांझ के कॉन्सर्ट ने थामी दिल्ली की रफ्तार, जेएलएन के अंदर बाहर काफी भीड़; रुक-रुककर चल रहा ट्रैफिक
गैर-संगीत प्रेमियों को भी पसंद आ रहे दिलजीत के गाने
दिलजीत दोसांझ के कंसर्ट पंजाबी और गैर-संगीत प्रेमियों को समान रूप से पसंद आ रहे हैं। वे अपनी मां बोली पंजाबी की बीच-बीच में बात करते हुए कन्नड़, गुजराती, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति आदर का भाव दर्शाते हैं। उनमें कोई श्रेष्ठता भाव नहीं हैं। ये ही किसी स्टार में होना चाहिए। भाषाएं सब अपनी हैं। उनके प्रति सम्मान किसी भी इंसान को रखना ही चाहिए।
दिलजीत अपने कंसर्ट में भरपूर ऊर्जा और उत्साह लेकर आते हैं। वो दर्शकों के साथ मेलजोल करते हुए, उनके साथ नाचते-गाते हैं, जिससे माहौल और भी जीवंत हो जाता है। उनकी स्टेज प्रेजेंस अद्भुत है, जिससे दर्शक उनके साथ पूरी तरह खो जाते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।