पंजाब में नशा बना बड़ा राजनीतिक मुद्दा, ड्रग्स तस्करी रोकने को मान सरकार ने केंद्र से कभी नहीं मांगी वित्तीय सहायता
Drug addiction in punjab पंजाब में पिछले दो दशक से नशे की समस्या से ग्रस्त है। साल 2017 व 2022 के विधानसभा चुनाव में नशा प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना। इसके बावजूद पंजाब सरकार ने नशा तस्करी रोकने के लिए अभी तक केंद्र से कोई वित्तीय सहायता नहीं मांगी है। इसके विपरीत पड़ोसी हिमाचल व हरियाणा सहित अन्य राज्यों ने वित्तीय सहायता प्राप्त कर ली।
By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Wed, 13 Dec 2023 09:32 AM (IST)
रोहित कुमार, चंडीगढ़। Drug addiction in punjab: पंजाब में पिछले दो दशक से नशे की समस्या से ग्रस्त है। साल 2017 व 2022 के विधानसभा चुनाव में नशा प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना।
इसके बावजूद पंजाब सरकार ने नशा तस्करी रोकने के लिए अभी तक केंद्र से कोई वित्तीय सहायता नहीं मांगी है। इसके विपरीत पड़ोसी हिमाचल व हरियाणा सहित अन्य राज्यों ने वित्तीय सहायता प्राप्त कर ली।
सत्ता में आने के बाद नशा रोकने के लिए आप चला रही अभियान
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जब गुटका साहिब हाथ में लेकर एक चुनावी रैली में कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनने पर वह चार सप्ताह में नशे की कमर तोड़ देंगे तो इसका लोगों पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ा था।इससे कांग्रेस 77 सीटें जीत कर सत्ता में आई थी, लेकिन इस मुद्दे पर वह कुछ खास कर नहीं पाई थी। वर्ष 2022 में सत्ता में आने के बाद आप ने भी नशे को रोकने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चल रखा है।
नशा रोकने के लिए केंद्र से नहीं ली कोई वित्तीय सहायता
विडंबना यह है कि गंभीर समस्या होने के बावजूद नशे को रोकने के लिए केंद्र से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली जा रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की ओर से संसद में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 के बाद पंजाब को मादक द्रव्य नियंत्रण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता योजना के तहत कोई धनराशि नहीं मिली है। इस अवधि के दौरान मिजोरम को सबसे ज्यादा 3,07,78,000 रुपये वित्तीय सहायता मिली। इसके बाद कर्नाटक को 1,94,41,097 रुपये वित्तीय सहायता मिली।यह भी पढ़ें- ठंड की चपेट में पूरा पंजाब: कोहरे की चादर में लिपटा पिंड, धीमी पड़ी वाहनों की रफ्तार; पढ़ें आपके शहर में मौसम का हाल
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