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Chandigarh Housing Scheme पर बड़ा अपडेट, अभी निराश न हों... विरोध के बीच यूटी प्रशासक ने रिव्यू करने की कही बात

चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की PC में आज Employees Housing Scheme का मुद्दा उठाया गया। मामले में प्रशासन की किरकिरी और कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए यूटी प्रशासन को यू टर्न लेना पड़ा। प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने कहा है कि कर्मचारियों के लिए हाउसिंग स्कीम का रिव्यू किया जाएगा। बता दें कि 13 मार्च की पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है।

By Jagran News Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Fri, 08 Mar 2024 08:49 PM (IST)
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Employees Housing Scheme को लेकर होगा रिव्यू, प्रशासक ने दिया बयान

डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़। चंडीगढ़ प्रशासन ने 2008 में करीब चार हजार यूटी कर्मचारियों के लिए जारी इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम (Chandigarh Employees Housing Scheme) को बीते दिनों पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में एफिडेविट देकर रद करने का फैसला ले लिया।

लोकसभा चुनाव से पहले प्रशासन के इस फैसले को लेकर कर्मचारियों में जबर्दस्त विरोध शुरू हो गया। भाजपा के 2019 चुनाव के संकल्प पत्र में इस हाउसिंग स्कीम को सिरे चढ़ाने को लेकर प्रमुख्ता से शामिल किया गया था। लेकिन प्रशासन ने तो जमीन का हवाला देते हुए स्कीम को ही रद्द करने की तैयारी कर ली।

आगामी चुनाव में वोट बैंक को सीधे नुकसान को देखते हुए कुछ ही दिनों में ही भाजपा नेताओं के प्रेशर में प्रशासन को यू टर्न लेना पड़ा है। गुरुवार को सेक्टर-9 चंडीगढ़ सचिवालय में यूटी प्रशासक राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित (Banwari Lal Purohit) ने कहा कि कर्मचारियों के लिए हाउसिंग स्कीम उनकी प्राथमिकता में शामिल है।

हाई कोर्ट में इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम रद करने और आवेदकों का पैसा लौटाने के एफिडेविट के सवाल पर पुरोहित ने कहा कि इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम को रिव्यू किया जाएगा। इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम रद किए जाने के मुद्दे को सबसे पहले दैनिक जागरण ने पांच मार्च 2024 के अंक में प्रमुख्ता से उठाया था।

मामले में पुरोहित ने कहा कि जरुरत पड़ी तो प्रशासन हाईकोर्ट में फिर से एफिडेविट दे देगा। प्रशासक ने केंद्र सरकार का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी जमीन को कलैक्टर रेट से कम पर नहीं दिया जा सकता, जबकि यह रेट भी मार्केट रेट से 30 से 40 प्रतिशत अधिक है। 

यूटी प्रशासक की ओर से बेशक इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के रिव्यू का आश्वासन दिया गया है, लेकिन इस स्कीम को इतनी आसानी से सिरे चढ़ाना आसान नहीं है। 2008 में यूटी कर्मचारियों के लिए प्रस्तावि फ्लैट की कीमत कई गुणा अधिक बढ़ चुकी है। टू बैडरुम की कीमत डेढ़ से दो करोड़ तक पहुंच चुकी है,जोकि कर्मचारियों के लिए मुमकिन नहीं है। 

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़ में 4 हजार कर्मचारियों के सपने पर फिरा पानी, 2008 की इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम रद

इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम का सफर इस प्रकार रहा 

  • 2008 में चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की ओर से 3930 यूटी कर्मचारियों के लिए हाउसिंग स्कीम लांच की गई।
  • 2010 में हाउसिंग स्कीम का लकी ड्रा निकाला गया।
  • 2012 में केंद्र सरकार ने सर्कुलर जारी किया कि किसी भी प्रोजेक्ट के लिए मार्केट रेट से कम पर जमीन नहीं दी जाए।
  • इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम की शर्तों के तहत कोई भी कर्मचारी ट्राईसिटी में अपना मकान नहीं बना सकता था।
  • हाउसिंग स्कीम में फ्लैट के लिए योग्य 900 से एक हजार के करीब कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं।
  • यूटी इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के इंतजार में 80 से अधिक कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी।
  • हाउसिंग स्कीम को रद करने को लेकर बीते दिनों यूटी प्रशासन ने हाई कोर्ट में एफिडेविट भी जमा कर दिया।
  • 13 मार्च को हाउसिंग स्कीम को लेकर हाई कोर्ट में अंतिम बहस होगी, जिसके बाद ही कोई अंतिम फैसला होगा।

डेपुटेशन पॉलिसी केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजी

पंजाब, हरियाणा और दूसरे राज्यों से चंडीगढ़ प्रशासन के विभागों में डेपुटेशन पर आने वाले कर्मचारियों के लिए समय सीमा निर्धारित किए जाने के सवाल पर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि इस मामले में पालिसी बनाकर केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से इस बारे में जो भी दिशा निर्देश जारी होंगे उन्हें ही फॉलो किए जाएगा। यूटी प्रशासन में बीते काफी समय से डेपुटेशन पालिसी को लेकर विवाद चल रहा है। पंजाब और हरियाणा सरकार की ओर से कर्मचारियों के लिए डेपुटेशन समय सीमा तय करने का यूटी प्रशासन के साथ मार्च 2023 में हुई बैठक में विरोध जताया जा चुका है। अब मामले में अंतिम फैसला केंद्र सरकार को लेना है, जिसे यूटी प्रशासन फोलो करेगा। 

कांट्रेक्ट कर्मचारियों के लिए केंद्र के निर्देशों पर बनाई पॉलिसी

यूटी प्रशासक की प्रेस वार्ता में चंडीगढ़ के विभिन्न विभागों में 10 से 20 वर्षों से कांट्रैक्ट पर कार्यरत्त कर्मचारियों की जाब सिक्योरिटी के मुद्दे पर भी सवाल किया गया। पुरोहित ने कहा कि इस मामले में उन्होंने प्रशासन को पालिसी बनाने के लिए कहा था। मामले में यूटी प्रशासन के पर्सोनल सेक्रेटरी अजय चगती ने जवाब देते हुए कहा कि यूटी प्रशासन में सेंट्रल सर्विस रुल्स को देखते हुए केंद्र सरकार के निर्देशों पर सभी कर्मचारियों की नौकरी बचाने के लिए पालिसी तैयार की गई है। उन्होंने कांट्रैक्ट कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया।

प्रशासन अगर इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम को रिव्यू करने पर सोच सकता है तो फिर प्रशासन में 15 से 20 वर्षों से कार्यरत कांट्रैक्ट कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करने पर सौतेला व्यवहार क्यों कर रहा है। कांट्रैक्ट कर्मचारियों को जाब सुरक्षा दी जानी चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों को हरियाणा कौशल विकास या रोजगार निगम की तर्ज पर प्रशासन के सीधे नियंत्रण में लेकर उन्हें भी सुरक्षा प्रदान करे। प्रशासन में 25 हजार कांट्रैक्ट और आउटसोर्स कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं।

बिपिन शेर सिंह, चेयरमैन आल कांट्रैक्चुअल कर्मचारी संघ भारत यूटी, चंडीगढ़