चंडीगढ़ में 4 हजार कर्मचारियों के सपने पर फिरा पानी, 2008 की इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम रद; अब नहीं मिलेगा कोई फ्लैट
चंडीगढ़ में पिछले 15 साल से अपने फ्लैट का इंतजार कर रहे करीब चार हजार कर्मचारियों को झटका लगा है। दरअसल साल 2008 की इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम को प्रशासन रद कर दिया है। बता दें कि साल 2008 में प्रशासन ने इस स्कीम के लिए ड्रॉ निकाला था। इस स्कीम के लिए प्रशासन ने शहर में जमीन भी आरक्षित की हुई थी।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। यूटी प्रशासन ने अपने ही 4000 कर्मचारियों को धोखा दिया है। साल 2008 की इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम को प्रशासन रद कर दिया है। प्रशासन ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करके जवाब दिया है कि इस स्कीम को सिरे नहीं चढ़ाया जा सकता। यह संभव नहीं है और सभी सफल आवेदकों को अग्रिम राशि वापस किए जाएंगे। यह चार हजार कर्मचारी पिछले 15 साल से अपने फ्लैट का इंतजार कर रहे हैं।
प्रशासन ने इन कर्मचारियों के सिर से छत छीन ली है। पिछले 15 साल में यह कर्मचारी ट्राई सिटी में कहीं भी अपना फ्लैट और मकान नहीं बना सके क्योंकि प्रशासन ने इस स्कीम के तहत यह शर्त रखी थी कि जिनका इस स्कीम में सफल आवेदक शहर में अपना कोई अन्य फ्लैट नहीं ले सकता। इस शर्त के कारण भी कर्मचारी अपना मकान कहीं पर भी नहीं बनवा पाएं हैं।
800 से ज्यादा कर्मचारी तो रिटायर भी हो चुके हैं और अब वह शहर में किराए के मकानों में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। इसके साथ ही 82 कर्मचारियों का निधन हो चुका है।इस स्कीम को सिरे चढ़ाने के लिए कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक अपनी आवाज पहुंचाई।
स्कीम के लिए हाउसिंग इंप्लाइज सोसाइटी कई केंद्रीय मंत्रियों को मिल चुके हैं। 15 साल में प्रशासन के जितने भी आला अधिकारी आए उन्हें स्कीम से अवगत करवाया गया। सोमवार को भी पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई है। अब कोर्ट अगली तारीख अंतिम बहस के लिए 13 मार्च तय की है।
भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में शामिल की थी हाउसिंग स्कीम
प्रशासन के यूटर्न से चार हजार कर्मचारी और उनके परिवार वालों को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका दिया है।पिछले लोकसभा चुनाव में इस स्कीम को सिरे चढ़ाने का वायदा भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में किया जिसके बाद कर्मचारियों ने प्रस्ताव पास करके भाजपा उम्मीदवार किरण खेर को वोट डालने की घोषणा की थी।इंपलाइज सोसाइटी का दावा है कि प्रशासन ने चार हजार कर्मचारियों के साथ धोखा किया है। सांसद किरण खेर ने भी कर्मचारियों से वायदा किया था। साल 2008 में प्रशासन ने इस स्कीम के लिए ड्रॉ निकाला था। इस स्कीम के लिए प्रशासन ने शहर में जमीन भी आरक्षित की हुई है।इस शर्त के कारण प्रशासन ने स्कीम को नहीं किया सफल
साल 2008 में स्कीम को लांच करने के बाद साल 2010 में ड्रा निकाला गया।लक्की ड्रा में 3,930 सफल उम्मीदवारों की घोषणा की गई थीजिसके बाद 5 अक्तूबर, 2012 को केंद्र सरकार द्वारा एक पत्र जारी किया गया कि किसी भी योजना के लिए बाजार मूल्य से कम पर जमीन ना दी जाएं। जिसके बाद प्रशासन पीछे हटने लग गया। जबकि कर्मचारियों की आवासीय योजना 2008 की है। असल में महंगी जमीन होने के कारण प्रशासन स्कीम लांचिंग के समय के तय रेट पर फ्लैट का निर्माण करके देने के लिए तैयार नहीं है।
वह इस बात को लेकर हैरान हैं कि प्रशासन ने पहले खुद ही इस स्कीम को केंद्र सरकार के केबिनट से पास करवाया और अब खुद ही हाईकोर्ट में जवाब दे रहा है कि इस स्कीम की कोई जरूरत नहीं है।15 साल से संघर्ष कर रहे कर्मचारी और उनके परिवार वालों के साथ धोखा किया गया है।
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नरेश कोहली, उपाध्यक्ष, इंप्लाइज हाउसिंग सोसाइटी