Farmers Protest: दूसरे राज्यों के किसानों को मिलेगा संघर्ष का फायदा, केंद्र के फैसलों से पंजाब को नहीं लाभ
Farmers Protest 2024 पंजाब के किसानों का केंद्र के खिलाफ आंदोलन जारी है। वहीं पंजाब के संघर्ष का फायदा दूसरे राज्यों के किसानों को मिलेगा। केंद्र सरकार के फैसलों से पंजाब के किसानों को लाभ नहीं है। केंद्र ने जिन तीन फसलों पर एमएसपी दी है उनमें से सिर्फ दो ही पंजाब में होती हैं। धान के कारण पंजाब में अब दालें नहीं होतीं।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Farmers Protest 2024: केंद्र सरकार ने जिन तीन फसलों पर एमएसपी की गारंटी दी है। उनमें कपास और मक्का ही पंजाब में होता है, दालें नहीं लेकिन जिन राज्यों में दालें होती हैं उन्हें भी एमएसपी खरीदा जाएगा। इससे पहले दालें एमएसपी से कहीं नीचे बिक रही हैं।
यानी पंजाब के किसानों की ओर से किए जा रहे संघर्ष का लाभ दाल पैदा करने वाले राज्यों को होगा। लेकिन मक्का पैदा करने वाले किसान इस प्रस्ताव का लाभ उठा सकते हैं। धान के विकल्प के तौर पर इसे लगाया जा सकता है।
किसानों को 50 हजार तक हो सकती है आमदनी
बस्सी पठाणा के गांव भटेड़ी के किसान गुरविं भुल्लर का कहना है कि यदि नए प्रस्ताव के तहत हमें मक्की की निश्चित कीमत मिल जाए तो हमें धान लगाने की जरूरत नहीं है। इन दिनों कई कंपनियों के हाइब्रिड बीज आए हैं जिसकी पैदावार 35 क्विंटल तक है और 1300 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक सकता है। यानी किसानों को 50 हजार के लगभग आमदनी हो सकती है क्योंकि इसमें लागत खर्च बहुत कम है।
धान से 63 हजार रुपए की आमदनी होती है लेकिन उसमें 18500 का खर्च आता है और पानी की खपत बहुत ज्यादा है इसलिए धान पैदा करने वाले किसान मक्की की ओर जा सकते हैं। चूंकि मक्की धान के मुकाबले पानी की खपत कम लेती है इसलिए इससे बचने वाली बिजली सब्सिडी को सरकार भावांतर योजना में लगाकर किसानों के नुकसान को पूरा कर सकती है। मक्की का कमर्शियल डेयरी फार्मिंग और इथनाल में उपयोग बढ़ने से इन दिनों इस फसल की भारी मांग है।
मालवा में पानी की क्वालिटी खराब
किसानों को दूसरी कपास की फसल का भी सरकार ने एमएसपी पर खरीदने का विकल्प दिया है। यह मालवा क्षेत्र की सबसे अच्छी फसल थी लेकिन पिछले कुछ सालों में गुलाबी सुंडी, सफेद मक्की के कारण किसानों का मन इससे उचाट हो गया है। लेकिन जिन किसानों ने कपास के विकल्प के रूप में धान को अपनाया है उन्हें ज्यादा फायदा नहीं है क्योंकि मालवा में पानी की क्वालिटी खराब है। खेतीबाड़ी विभाग के पूर्व कमिश्नर डॉ. बलविंदर सिंह सिद्धू का कहना है कि कपास पट्टी में धान की पैदावार काफी कम है इसलिए वहां के किसान भी अच्छे बदल की तलाश में हैं।
मंडियों से दूर रहती है कपास
नए प्रस्ताव में कहा गया है कि कपास की फसल की एमएसपी पर खरीद भारतीय कपास निगम करेगी लेकिन अगर इसी में एक बात यह जोड़ दी जाए कि जब भी किसान फसल मंडी में लाएगा तो कपास निगम फसल की खरीद करेगा।
ऐसा करने से सरकार पर वित्तीय बोझ कम पड़ेगा क्योंकि जब सितंबर में कपास की फसल मंडी में आनी शुरू होती है तो कपास निगम मंडियों से दूर रहती है क्योंकि उन्होंने अक्टूबर महीने से ही खरीद करनी होती है। ऐसे में व्यापारी अपनी मर्जी के दाम पर फसल खरीदते हैं। अक्टूबर महीने में भारत कपास निगम के बाजार में कूदते ही रेट बढ़ जाते हैं। लेकिन इतना है कि इससे महाराष्ट्र ,गुजरात, आंध्रप्रदेश आदि जैसे राज्यों को जरूर फायदा होगा जहां कपास अब एमएसपी पर खरीदी जाएगी।
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मूंग की एमएसपी इतने प्रति क्विंटल
धान के कारण पंजाब में अब दालें नहीं होतीं लेकिन किसानों का मानना है कि अगर सरकार दालों पर एमएसपी दे दे तो किसान अपनी दो प्रमुख फसलों के बीच एक फसल दाल के रूप में ले सकते हैं इससे उनकी आमदनी प्रति एकड़ जरूर बढ़ सकती है। किसान अवतार सिंह संधू का कहना है कि इस समय मूंग की एमएसपी 7750 रुपए प्रति क्विंटल है जबकि बाजार में यह पांच हजार रुपए भी नहीं बिकती।