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Farmers Protest: तीन फसलों पर MSP की गारंटी को किसानों ने नकारा, क्‍या पंजाब ने गंवाया बेहतर मौका?

Farmers Protest पंजाब के किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है। सरकार ने किसानों को तीन फसलों पर एमएसपी की गारंटी दी है लेकिन किसानों ने केंद्र के इस प्रस्‍ताव को नकार दिया। किसानों को 23 फसलों पर एमएसपी की गारंटी चाहिए। केंद्र सरकार के इस प्रस्‍ताव को नकारना पंजाब के लिए महंगा पड़ सकता है। किसानों का दिल्‍ली कूच अभी कुछ दिनों के लिए टल गया है।

By Inderpreet Singh Edited By: Himani Sharma Updated: Sat, 24 Feb 2024 06:48 PM (IST)
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तीन फसलों पर MSP की गारंटी को किसानों ने नकारा (फाइल फोटो)
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Farmers Protest: क्या पंजाब ने एक अच्छा मौका गंवा दिया है? राज्य में धान के रकबे को कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को तीन और फसलें कपास, मक्की और दालें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का भरोसा दिया है। यह अगले पांच साल तक रहेगा। केंद्र सरकार भारतीय कपास निगम और नेफेड के जरिए इन तीनों फसलों की खरीद करेगी।

सरकार के प्रस्‍ताव को किया खारिज

इस प्रस्ताव को आंदोलन कर रहे भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने खारिज कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि किसानों की मांग सभी 23 फसलों पर स्वामीनाथन के फार्मूले पर एमएसपी की कानूनी गारंटी की है।

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संभव है कि किसान संगठन यह प्रस्ताव स्वीकार भी कर लेते लेकिन जो बड़े किसान संगठन इस आंदोलन से बाहर हैं उन्होंने सुबह ही इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और शाम तक दबाव में इन दोनों संगठनों को भी यही फैसला लेना पड़ा। अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए 21 फरवरी को दिल्ली कूच का आह्वान तो किसानों का 29 तक टल गया लेकिन उनके इस फैसले ने पंजाब को रसातल में धकेलने का एक और प्रयास किया है।

किसानों का ये तर्क

31 लाख हेक्टेयर रकबे पर धान पैदा करके बर्बादी के जिस मुहाने पर आज पंजाब खड़ा है उससे उसको निकालना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत थी। धान की निश्चित कीमत और खरीद के कारण किसान इस फसल से अपना मोह भंग नहीं करना चाहते। प्रति एकड़ लगभग 65 हजार रुपए देने वाली इस फसल ने जहां राज्य के 141 ब्लॉकों में से 117 ब्लॉकों को डार्क जोन में और 11 ब्लॉकों का क्रिटिकल डार्क जोन में धकेल दिया है वहीं यह फसल हर साल आठ हजार करोड़ रुपए की बिजली सब्सिडी भी खा जाती है।

किसान बोले- दूसरी चीजों में उलझा रही सरकार

सभी 23 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की मांग पर अड़े किसानों को इन तीन फसलों पर एमएसपी मिल भी जाती तो इससे क्या हासिल हो जाता? इस पर दलील देने वालों का मानना है कि सभी लड़ाइयां जीतने के लिए नहीं लड़ी जातीं। प्रसिद्ध कृषि नीतियों के माहिर दविंदर शर्मा का कहना है कि किसानों की मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी जायज मांग है और इसे पूरा करने की बजाए सरकार इसे दूसरी चीजों में उलझा रही है। यह सही नहीं है।

धान का विकल्‍प ढूंढना किसानों के सामने सबसे बड़ा सवाल

जबकि दूसरी ओर कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बड़ी लड़ाई में जितनी भी मांगें पूरी हो जाएं उसे स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हमारे किसानों के सामने सबसे बड़ा सवाल धान का विकल्प ढूंढना है। अगर मक्की और कपास समर्थन मूल्य पर बिक जाती हैं तो इससे यह धान का रकबा कम करने में मदद मिलेगी।

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उन्होंने कहा कि इससे भूजल को भी रिवाइव किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि मक्की ,कपास और दालें लगाने से जमीन की वह पर्त भी टूटेगी जो धान की पडलिंग करने के कारण पत्थर की हो गई है और इस कारण भूजल रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि किसान संगठनों को एक बार फिर से प्रस्ताव को स्वीकार को नामंजूर करने पर पुनविर्चार करना चाहिए।

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