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Punjab News: धोखाधड़ी में बेकसूर पाए गए पिता-पुत्र, हाईकोर्ट ने SSP को अपनी जेब से 5-5 हजार का मुआवजा देने का दिया आदेश

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधर के एसएसपी को जमकर धोखाधड़ी के मामले में पुलिस की असंवेदनशीलता के चलते तीसरी बार जमानत के लिए हाईकोर्ट की शरण लेने वाले पिता-पुत्र की याचिका पर फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ सख्त आदेश जारी किए व चेतावनी देते हुए कहा कि एसएसपी को मुआवजे के तौर पर अपनी जेब से पिता-पुत्र को 5-5 हजार रुपये देने होंगे।

By Inderpreet Singh Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Fri, 27 Oct 2023 11:11 PM (IST)
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हाईकोर्ट ने SSP को पिता-पुत्र को अपनी जेब से 5-5 हजार का मुआवजा देने का दिया आदेश
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। धोखाधड़ी के मामले में पुलिस की असंवेदनशीलता के चलते तीसरी बार जमानत के लिए हाईकोर्ट की शरण लेने वाले पिता-पुत्र की याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने जालंधर के एसएसपी को जमकर फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ सख्त आदेश जारी न करते हुए चेतावनी दी और मुआवजे के तौर पर अपनी जेब से पिता-पुत्र को 5-5 हजार रुपये देने का आदेश दिया है।

याचिकाकर्ता पाए गये बेकसूर

याचिका दाखिल करते हुए गुरशरण सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि धोखाधड़ी के मामले में पुलिस जांच कर रही थी और इस मामले में याचिकाकर्ताओं को बेकसूर पाया गया। बेकसूर पाने के बाद भी उनका नाम बार-बार इस मामले में घसीटा गया जिसके चलते उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी।

उस याचिका पर पुलिस ने सही कार्रवाई का विश्वास दिलाया जिसके चलते इसे वापिस ले लिया गया। विश्वास दिलाने के बावजूद याचिकाकर्ताओं को परेशान किया गया और उन्हें दोबारा हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी।

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याचिकाकर्ताओं ने तीसरी बार दाखिल की याचिका 

दूसरी बार भी पुलिस के विश्वास दिलाने के बाद मामले का निपटारा कर दिया गया। पुलिस की ओर से याचिकाकर्ताओं को फिर से परेशान करने पर तीसरी याचिका दाखिल की गई। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए एसएसपी को रवैए को अवमानना वाला करार देते हुए उन्हें तलब कर लिया था। एसएसपी को हाईकोर्ट को बताया कि उसके पास याचिकाकर्ताओं का मांगपत्र नहीं पहुंचा था।

एसएसपी अपनी जेब से 5 हजार रूपये दोनों याचिकाकर्ता को देंगे- कोर्ट 

इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस को डिसिप्लिन फोर्स होने के नाते किसी मांगपत्र का इंतजार नहीं करना चाहिए। यह पुलिस का असंवेदनशील रवैया है जिसके चलते तीसरी बार याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी।

अदालत की याचिकाकर्ताओं के खिलाफ टिप्पणी उनके करियर पर बुरा प्रभाव डाल सकती है और अदालत ऐसा नहीं चाहती। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को हुई परेशानी के लिए दोनों को 5-5 हजार रुपये मुआवजा एसएसपी को अपनी जेब से भुगतान करना होगा। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं को जमानत दे दी थी।

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