पूर्व सेना प्रमुख ने नायब सरकार की नीति को दे दी चुनौती, हाईकोर्ट पहुंचा स्टिल्ट प्लस चार मंजिला इमारत से जुड़ा मामला
हरियाणा सरकार के स्टिल्ट प्लस चार मंजिला इमारत बनाने के फैसले को पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक और अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि यह फैसला बिना किसी वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग अध्ययन के लिया गया है और इससे होने वाले नुकसान के लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है। हाईकोर्ट इस मामले पर 11 नवंबर को सुनवाई करेगा।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक द्वारा राज्य में स्टिल्ट प्लस चार मंजिला इमारत बनाने की अनुमति देने के सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट 11 नवंबर को सुनवाई करेगा।
पंचकूला निवासी जनरल मलिक, जिन्होंने 1997-2000 तक भारतीय सेना के 19वें प्रमुख के रूप में कार्य किया और 1999 में कारगिल में देश के अंतिम युद्ध का नेतृत्व किया के साथ अन्य याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा बिल्डिंग कोड 2016 और 2017 के तहत अधिकतम योग्य फर्श क्षेत्र अनुपात ( एफएआर ) और अधिकतम स्वीकार्य ऊंचाइयों (स्टिल्ट प्लस चार) में वृद्धि को रद्द करने के निर्देश मांगे हैं।
मुआवजा का दाव करने का कोई प्रविधान नहीं
उनके अनुसार, एफएआर बढ़ाने और स्टिल्ट प्लस चार मंजिल बनाने की अनुमति देने का कदम किसी भी वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग अध्ययन के बिना लिया गया है। ऐसे नीतिगत निर्णयों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप होने वाले नुकसान के लिए मुआवजे का दावा करने के कोई प्रविधान नहीं किया गया।याचिका में कहा गया कि एचएसवीपी द्वारा इन क्षेत्रों के नागरिक बुनियादी ढांचे के आवश्यक संवर्धन के बिना ऐसा निर्णय लिया गया था। एचएसवीपी (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) और राज्य प्राधिकरणों द्वारा एफएआर वृद्धि शुल्क और अन्य शुल्कों के माध्यम से उत्पन्न राजस्व का उपयोग करने के लिए आगे के निर्देश भी मांगे गए हैं, जिसका उपयोग पहले पंचकूला, गुरुग्राम और अन्य शहरी क्षेत्रों में संबंधित विकास और बुनियादी ढांचे के आवश्यक उन्नयन के लिए किया जाना चाहिए।
मुनाफे-लालच को प्राथमिकता दे रहे
याचिका में यह भी कहा गया है कि यह नीति मुख्य रूप से बेईमान बिल्डरों और रियल एस्टेट समुदाय को लाभ पहुंचा रही है, जो शहरों के नाजुक पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने पर अपने मुनाफे व लालच को प्राथमिकता दे रहे हैं।याचिका में कहा गया है कि इस तथ्य के बावजूद कि पंचकूला और आसपास का क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र-चार में आता है, सरकार ने इस नीति के तहत ऐसी ऊंची इमारतों को अनुमति देते समय किसी भी स्तर पर इस पर विचार नहीं किया है।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी उल्लेख किया है कि राज्य में स्टिल्ट प्लस फोर इमारतों के लिए अनुमति फिर से शुरू करते समय, राज्य के अधिकारियों ने ऐसी नीति के कार्यान्वयन के प्रभाव के बारे में की गई चिंताओं और चेतावनियों की अनदेखी की है।हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पर आधारित खंडपीठ ने इस विषय पर दायर अन्य याचिकाओं के साथ 11 नवम्बर को सुनवाई करने का आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।यह भी पढ़ें- IPS अधिकारी के यौन शोषण प्रयास मामले में SIT का नया खुलासा, ई-मेल के जरिए भेजा गया था अफसरों को मेल
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