भ्रष्टाचार मामले में पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री को मिली अंतरिम जमानत, 7 दिसम्बर तक गिरफ्तारी पर लगी रोक
सोमवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री व भाजपा नेता मनप्रीत सिंह बादल को अंतरिम जमानत दे दी है। बता दें कि बादल के खिलाफ 24 सितंबर को पुलिस स्टेशन विजिलेंस ब्यूरो बठिंडा में आईपीसी के तहत धोखाधड़ी जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईटी अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने सोमवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता मनप्रीत सिंह बादल को अंतरिम जमानत (Manpreet Badal Granted Interim Bail) दे दी है। बादल के खिलाफ 24 सितंबर को पुलिस स्टेशन विजिलेंस ब्यूरो बठिंडा में आईपीसी के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईटी अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
हाई कोर्ट के जस्टिस विकास बहल ने मनप्रीत द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं। बठिंडा की एक स्थानीय अदालत द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद वरिष्ठ नेता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
वित्त मंत्री ने दायर याचिका में दी ये दलील
मनप्रीत ने अपनी याचिका में दलील दी है कि एफआईआर उस शृंखला की एक कड़ी है, जिसे पंजाब की मौजूदा आप सरकार उन सभी लोगों को जेल में डालने की कोशिश कर रही है। चाहे वह राजनीतिक नेता हों, उनके साथ करीबी तौर पर जुड़े लोग हों या आम आदमी हों जो किसी न किसी तरह से पिछली सरकार के शासनकाल से जुड़े रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि पंजाब के सत्तारूढ़ दल ने अपने एजेंडे में शीर्ष पर अपने विरोधियों के प्रति बदले की भावना उत्पीड़न और सार्वजनिक अपमान करना रखा है। बादल की तरफ से दलील दी गई कि तत्काल एफआईआर सत्ता का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयोग है और यह मुख्यमंत्री के आदेश पर किया गया है। जो राज्य की एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देने के बजाय अपने व्यक्तिगत उद्देश्य को व्यवस्थित करने का इरादा रखते हैं।
ये लगाए गए हैं मनप्रीत पर आरोप
मनप्रीत के खिलाफ एफआईआर में लगाए गए आरोप यह हैं कि उसने अपने पद और शक्ति का इस्तेमाल करके बठिंडा विकास प्राधिकरण (बीडीए) को प्रभावित किया। पहले तो प्लाटों को वर्ष 2021 में कम दर पर नीलामी के लिए रखा और दूसरा साइट प्लान अपलोड नहीं किया गया। जनता को नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने से रोक दिया गया। यह आरोप भी लगाया गया है कि याचिकाकर्ता के विश्वासपात्र, जिन्हें साइट के विवरण की विशेष जानकारी थी, उन्होंने उक्त नीलामी में भाग लिया और उक्त भूखंडों को लगभग आरक्षित मूल्य पर प्राप्त करने में सफल रहे। इससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ।
कोर्ट ने अगली सुनवाई तक बादल की गिरफ्तारी पर लगाई रोक
मनप्रीत के मुताबिक, संबंधित एफआईआर सरूप चंद सिंगला की शिकायत पर दर्ज की गई है। हालांकि इसकी सामग्री का खुलासा नहीं किया गया है और एफआईआर में सामग्री छिपाई गई है। सोमवार को हाई कोर्ट के विकास बहल ने सभी पक्षों को सुनने के बाद पंजाब सरकार को सात दिसम्बर के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक बादल की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए जांच में सहयोग करने का भी आदेश दिया।
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