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पंजाब में कांग्रेस की वर्किंग से संतुष्ट नहीं हरीश रावत, सिद्धू से नाराजगी के बाद जाखड़ से भी दिखे असंतुष्ट

पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत इन दिनों राज्य में हैं। वह कांग्रेस संगठन की नब्ज टटोलने में लगे हुए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू से नारजगी के बाद वह पंजाब में पार्टी की वर्किंग से भी संतुष्ट नहीं हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Fri, 09 Oct 2020 09:24 AM (IST)
पंजाब कांग्रेस प्रभारी व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत। फाइल फोटो
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। नवजोत सिंह सिद्धू की वकालत के एक दिन बाद कांग्रेस के पंजाब प्रदेश प्रभारी हरीश रावत संगठन के कामकाज को लेकर खिन्न दिखाई दिए। कांग्रेस की कमान सुनील जाखड़ के हाथों में है। रावत ने अपरोक्ष रूप से जाखड़ पर निशाना साधा है। रावत का कहना है, पंजाब में भले ही हमारी सरकार है, लेकिन संगठन को मजबूत करने के लिए जो काम किया जाना चाहिए था, वह नहीं किया गया। वहीं, प्रदेश प्रभारी का यह भी कहना है कि पंजाब में कांग्रेस अपनी ताकत से ज्यादा दूसरों की कमजोरियों पर ज्यादा निर्भर कर रही है।

प्रभारी बनने के बाद हरीश रावत पिछले दस दिनों से पंजाब में प्रवास कर रहे हैंं। इस दौरान जहां वह नवजोत सिंह सिद्धू के घर पर गए। वहीं, राहुल गांधी की तीन दिन की ट्रैक्टर यात्रा भी निकली। यूथ कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक की तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ दोपहर का भोजन भी किया।

पंजाब भवन में दैनिक जागरण से बातचीत में हरीश रावत ने कहा, ''सरकार की अपनी भूमिका है और संगठन की अपनी जिम्मेदारी। पंजाब में कांग्रेस की सरकार है लेकिन संगठन की तरफ ध्यान देने की भी अवश्यकता है।'' उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब में संगठन की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। जब उनसे पूछा गया कि 9 माह से पंजाब में संगठनात्मक ढांचा भंग है। दो माह से पदाधिकारियों की लिस्ट पार्टी हाईकमान के पास लटकी हुई है? इस संबंध में उन्होंने कहा, अभी दो माह का समय और लग सकता है नए संगठन का ढांचा तैयार होने में।

प्रदेश प्रभारी ने कहा कि जमीनी स्तर पर काम करके संगठन का ढांचा तैयार किया जाएगा। हरीश रावत ने यह भी संकेत दिए कि जो लिस्ट पूर्व प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ की रजामंदी से तैयार की गई है, उसमें बदलाव भी संभव है। अहम बात यह है कि सरकार में पार्टी कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती है। इस तरह के आरोप लंबे समय से लगते आ रहे है। यह पहला मौका है जब किसी प्रभारी ने इस बात को स्वीकार किया कि संगठन को मजबूत करने की दिशा में पंजाब कांग्रेस में काम नहीं किया गया।

वहीं, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि पंजाब में कांग्रेस अपनी ताकत पर कम और दूसरी पार्टियों की कमजोरियों पर ज्यादा भरोसा कर रही है, जबकि इसमें सामंजस्य बैठाने की आवश्यकता है। सरकार की अपनी कुछ ताकत है।

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