क्या टूट जाएगा चन्नी और वड़िंग का सपना? सांसदों को चुनाव नहीं लड़ाने के फैसले से पंजाब में कांग्रेस नेताओं की बढ़ी बेचैनी
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी ने अपने सांसदों को विधानसभा चुनाव 2024 में टिकट नहीं देने का फैसला किया है। बता दें कि पंजाब में विधानसभा का चुनाव 2027 में है लेकिन यहां अभी से सीएम पद के लिए दौड़ जारी है। ऐसे में अगर हरियाणा कांग्रेस का ये फैसला मिसाल बनी तो चन्नी और वड़िंग का सपना टूट सकता है।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पंजाब में भले ही अगला विधानसभा का चुनाव 2027 में होना है लेकिन कांग्रेस में अभी से ही मुख्यमंत्री बनने की दौड़ चल रही है। इस दौड़ में प्रदेश प्रधान व लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, पूर्व मुख्यमंत्री व जालंधर के सांसद चरणजीत सिंह चन्नी, विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा और गुरदासपुर के सांसद व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा शामिल हैं।
राजनीति में भले ही कोई फैसला स्थायी नहीं होता लेकिन अगर हरियाणा विधानसभा को लेकर कांग्रेस ने जो फैसला लिया है, वह फैसला अगर मिसाल बना तो पंजाब के तीन सांसद मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो सकते हैं। हरियाणा में कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी ने फैसला किया हैं कि वह किसी भी सांसद को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देगी।
कांग्रेस में शुरू है मुख्यमंत्री पद की दौड़
आमतौर पर पंजाब में कांग्रेस अभी तक विधायक को लोकसभा का चुनाव लड़वाती रही है। इसी क्रम में कांग्रेस ने राजा वड़िंग और सुखजिंदर रंधावा को चुनाव लड़वाया था। 2022 में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस निरुत्साहित हो गई थी लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में 7 सीटें जीतने से पार्टी में उत्साह का संचार हुआ है।यह भी पढ़ें: हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने की सांसदों की छुट्टी, रणदीप सुरजेवाला-कुमारी सैलजा सहित कई नेताओं को नहीं मिलेगा टिकट
लोकसभा चुनाव के पहले से ही कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दौड़ शुरू हो गई थी। इस दौड़ में राजा वड़िंग और बाजवा में लगातार खींचतान होती रही। प्रदेश प्रधान होने के नाते जहां वड़िंग के पास पूरे प्रदेश की कमान थी तो बाजवा कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए पूर्व मंत्रियों व पूर्व विधायकों की घर वापसी करवाकर अपनी ताकत बढ़ा रहे थे।
लोकसभा चुनाव के पहले से ही कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दौड़ शुरू हो गई थी। इस दौड़ में राजा वड़िंग और बाजवा में लगातार खींचतान होती रही। प्रदेश प्रधान होने के नाते जहां वड़िंग के पास पूरे प्रदेश की कमान थी तो बाजवा कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए पूर्व मंत्रियों व पूर्व विधायकों की घर वापसी करवाकर अपनी ताकत बढ़ा रहे थे।
क्या पंजाब में भी लागू होगा ये फैसला?
वड़िंग की रजामंदी की बिना ही बाजवा ने भाजपा गए राजकुमार वेरका, बलबीर सिद्धू, गुरप्रीत कांगड़, अमरजीत सिंह जीपी आदि नेताओं को दिल्ली में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की उपस्थिति में पार्टी ज्वाइन करवाई। इसी प्रकार बीते दिनों बाजवा ने पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करवाई। अरोड़ा की ज्वाइनिंग भी दिल्ली में ही हुई।
जबकि जिला प्रधान प्रदेश प्रधान पर इस बात को लेकर दबाव बना रहे थे कि पार्टी छोड़ कर गए नेताओं को वापस नहीं लिया जाए। मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान के बीच कांग्रेस द्वारा हरियाणा में लिए गए फैसला सांसदों के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि अगर यह फैसला पंजाब में लागू हुआ तो वड़िग, चन्नी और रंधावा मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर हो सकते हैं।यह भी पढ़ें: 'मानसिक संतुलन खो चुकी हैं कंगना', हरपाल चीमा बोले- मंडी सांसद का इलाज करवाएं लोकसभा स्पीकर
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